Success Story Of IAS Topper Nityanand Jha: बिहार के नित्यानंद झा हमेशा से एक होनहार स्टूडेंट थे. यूपीएससी परीक्षा पास करने से पहले उन्होंने जेईई एग्जाम दिया और सेलेक्ट होकर पहुंचे कानपुर आईआईटी. यहां से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और इसी दौरान उन्हें यूपीएससी की तैयारी का ख्याल आया. इसी समय से नित्यानंद ने तैयारी शुरू कर दी और बार-बार असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी. अंततः साल 2018 में अपने चौथे प्रयास में नित्यानंद को सफलता मिली जब 128वीं रैंक के साथ उनका सेलेक्शन हुआ.
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में नित्यानंद ने परीक्षा की तैयारी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बात की. जानते हैं विस्तार से.
बिहार के हैं नित्यानंद –
नित्यानंद का जन्म बिहार में हुआ पर उनकी शिक्षा हुई असम गुवाहटी में. यहां से वे इंजीनियिरंग एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए कोटा चले गए. आखिरकार उन्हें अपनी सालों की मेहनत का फल मिला और उनका सेलेक्शन ज्वॉइंट एंट्रेंस एग्जाम में हो गया. यहां आयी रैंक के आधार पर नित्यानंद को आईआईटी कानपुर एलॉट हुआ. यहां ग्रेजुएशन के अंतिम साल में नित्यानंद को यूपीएससी परीक्षा का ख्याल आया और वे जुट गए तैयारी में. बार-बार असफल होने के बावजूद नित्यानंद ने हिम्मत नहीं हारी तब तक जब तक उनका सेलेक्शन फाइनल नहीं हो गया.
प्री परीक्षा की तैयारी ऐसे करें –
नित्यानंद कहते हैं कि प्री परीक्षा की तैयारी के लिए भी आपको कुछ सेट फॉर्मूलों पर काम करना होगा. जैसे सीमित किताबें और असीमित रिवीजन. वे कहते हैं कि एनसीईआरटी की किताबों से पहले अपना बेस मजबूत करें और फिर बाजार में उपलब्ध स्टैंडर्ड बुक्स से तैयारी करें. एक बार तैयारी आगे बढ़ जाए तो टेस्ट् पेपर दें. हालांकि इस मामले में नित्यानंद की सोच थोड़ी अलग है. वे कहते हैं कि बहुत से टेस्ट देने से चयन पक्का हो जाए ऐसा जरूरी नहीं. इसलिए मॉक टेस्ट सीमित संख्या में दें और उन्हें बार-बार रिवाइज करें. जो गलतियां करें उन्हें समय रहते दूर करने का प्रयास करें तभी मॉक टेस्ट देने का फायदा है.
मेन्स के लिए आंसर राइटिंग है जरूरी –
नित्यानंद आगे कहते हैं कि मेन्स के लिए आंसर राइटिंग प्रैक्टिस बहुत जरूरी है. जब एक सीमा तक तैयारी आगे बढ़ जा तो आंसर लिखने की प्रैक्टिस करें. इससे आप समय के अंदर पेपर पूरा करना सीखेंगे. हो सकता है पहले पेपर पूरा न हो पाए लेकिन धीरे-धीरे पेपर पूरा होने लगेगा. इस बात से घबराएं नहीं. आंसर लिखकर किसी सीनियर या टीचर को दिखाएं जो आपकी कमियों पर काम कर सके. अपने दोस्तों के साथ आंसर डिस्कस करें ताकि वे भी आपकी कमियों को पकड़कर उन्हें दूर कर सकें.
नित्यानंद की सलाह –
अंत में नित्यानंद यही कहते हैं कि आप किस बैकग्राउंड के हैं या आपके पहले कैसे नंबर आते थे, इनमें से किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर आप ठान लेंगे तो सफल जरूर होंगे. बस इस दौरान अपने सोशल सर्कल पर भी खास ध्यान दें. भले दो दोस्त बनाएं पर वो ऐसे होने चाहिए जो आपकी तैयारी में मदद करें न कि आपका समय बर्बाद करें. अपनी तैयारी के बारे में किसी से खास चर्चा करने की जरूरत नहीं है. चाहे फैमिली हो या कोई दूसरी गैदरिंग जब तक बहुत जरूरी न हो किसी में भी पार्ट लेने की जरूरत नहीं है.
कड़ी मेहनत, सही स्ट्रेटजी और सटीक प्लानिंग से कोई भी इस परीक्षा में सफल हो सकता है.
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