Success Story Of IAS Topper Mohd. Nooh Siddiqui: यूपीएससी की जर्नी कई बार कुछ कैंडिडेट्स के लिए खासी लंबी हो जाती है. हालांकि इस क्षेत्र में आने वाले कैंडिडेट्स इस बात के लिए तैयार होते हैं कि सफल होने में समय लग सकता है पर सवाल यह है कि कितना समय. दो-तीन साल तक तो शायद बहुत से कैंडिडेट धैर्य रख सकते हैं पर क्या अपनी लाइफ के सात साल इस परीक्षा को पास करने के लिए देने वाला व्यक्ति संयम रख सकता है. इसका जवाब है हां. अगर कैंडिडेट मोहम्मद नूह सिद्दीकी जैसा हो तो धैर्य भी रख सकता है और दोगुने जोश से हर बार प्रयास भी कर सकता है. नूह को यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने में काफी लंबा समय लग गया. जाहिर सी बात है इस दौरान उन्हें काफी स्ट्रेस भी हुआ लेकिन नूह ने तमाम तरीके अपनाए और हार नहीं मानी. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में नूह ने मुख्यतः इसी विषय पर बात की कि परीक्षा की तैयारी के दौरान स्ट्रेस से कैसे बचें.


प्रार्थना की ताकत –


नूह कहते हैं कि इबादत में बहुत ताकत होती है. अगर आप इस पर यकीन करते हैं तो जरूर प्रे करें. अपने ईश्वर या जिस भी आराध्य पर आप भरोसा करते हों, उससे प्रार्थाना करें. आप देखेंगे की आपका विश्वास काम कर रहा है और आपका तनाव काफी हद तक कम हो रहा है. हालांकि ये तरीका उन्हीं कैंडिडेट्स के लिए है जो इन तरीकों पर भरोसा करते हों. नूह कहते हैं कि उनके न जाने कितने दोस्त थे जो बार-बार फेल होने की स्थिति में पास की दरगाह या मंदिर में जाकर बैठ जाते थे और ऊर्जा से भरे वापस आते थे क्योंकि उन्हें विश्वास था इस बात पर कि इस फेलियर के पीछे भी कोई अच्छाई छिपी होगी.


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में मोहम्मद नूह सिद्दीकी ने विस्तार से बात की



फैमिली और दोस्तों से न करें कट-ऑफ –


दूसरे कैंडिडेट्स की तुलना में नूह मानते हैं कि परिवार या दोस्तों से बात न करना, घर न जाना या त्यौहार आदि न मनाना उनके हिसाब से ठीक नहीं. वे कहते हैं कि इनसे बात करके आप रिफ्रेश फील करते हैं तो जरूर बात करिए. घर जाइये, परिवार वालों के साथ समय बिताइए अपने दोस्तों से बातें कीजिए. यह सब स्ट्रेस बस्टर का काम करते हैं. कई बार यूपीएससी का सफर इतना लंबा हो जाता है कि सालों लोगों से कट-ऑफ करके आप नहीं जी सकते. यह प्रैक्टिकल अपरोच नहीं है. अपने लिए उतने ही बंधन निर्मित कीजिए जिन्हें आप बर्दाश्त कर सकें. आप एक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं कोई टॉर्चर नहीं झेल रहे. यह कहीं नही लिखा कि खुद को तकलीफ देने से ही सफलता मिलती है. समय बर्बाद न करें लेकिन खुद को जेल में कैद भी न करें.


जिस जगह मिली हो हार, संभव हो तो बदल दें उसे –


नूह कहते हैं कि जब आप असफल होते हैं तो एक नई शुरुआत करना कठिन होता है. ऐसे में अगर संभव हो तो जहां आप रहते हैं और जिस ग्रुप के साथ पढ़ रहे हैं, उसे बदल दें. नूह ने खुद कई बार अपना हॉस्टल बदला क्योंकि उन्हें लगता था कि नई जगह पर नई शुरुआत करना आसान होता है जबकि पुरानी जगह पर हार की यादें जुड़ी होती हैं. इसी प्रकार वे कहते हैं कि कई बार देखा गया है कि लोग बार-बार फेल होते हैं पर अपना ग्रुप नहीं बदलते परिणामस्वरूप उस ग्रुप में से सालों-साल कोई सेलेक्ट नहीं होता. इसलिए ग्रुप को लेकर इमोशनल अटैचमेंट न फील करें और जगह, दोस्त, ग्रुप वह सब बदल दें जिसके साथ हार की यादें जुड़ी हों.


जो आपके लिए काम करे, वह तरीका अपनाएं –


नूह कहते हैं सबसे पहले तो खुद पर भरोसा रखें कि भले यह राह कठिन है या भले आप इसमें बार-बार असफल हो रहे हैं पर आप लूजर नहीं हैं. कांफिडेंस रखें कि एक न एक दिन आप सफल जरूर होंगे. अपने आप को अपनी खूबियां बताएं और ऐसे दोस्तों के बीच रहें जो आपको इंपॉर्टेंट फील कराएं. इससे भी खुद पर भरोसा जगता है कि मैं कर सकता हूं.


अंत में बस एक बात का ध्यान रखें कि हर किसी का स्ट्रेस बस्ट करने का तरीका फर्क होता है, इसलिए आपके लिए जो तरीका काम करता हो, उसे अपनाएं किसी की कॉपी न करें. म्यूजिक सुनना, मूवी देखना, दोस्तों के साथ बाहर जाना, नॉवेल पढ़ना, बच्चों के साथ समय बिताना, यूट्यूब देखना, नेट सर्फ करना आदि अनगिनत तरीके हैं. इनमें से आपके लिए जो काम करे उसे फॉलो करें.


अंत में बस इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप इस फील्ड में सफल नहीं भी हो पाते तो इससे जिंदगी खत्म नहीं हो जाती. आप यहां नहीं सफल होंगे तो कहीं और सफल होंगे, इसे दुनिया का अंत मानकर तैयारी न करें. स्ट्रेस लिए बिना और परिणाम की परवाह किए बिना जो इस जर्नी को एंजॉय करता हुआ आगे बढ़ता है, वह जरूर सफल होता है.


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