Success Story Of IAS Topper Pankaj Yadav: कुछ लोग अपने जीवन में कम ही समय में इतना कुछ एचीव कर लेते हैं कि उन्हें देखकर लगता है कि इनके अंदर विशेष शक्तियां हैं, जिनके द्वारा ये सफलता दर सफलता पाते जा रहे हैं. जबकि सच तो यह होता है कि ये विशेष शक्तियां न होकर उनकी सालों की कड़ी मेहनत, धैर्य और कभी हार न मानने वाला हौसला होता है जो उन्हें यहां तक ले जाता है. ऐसा ही एक उदाहरण है पंकज यादव का. पंकज ने अपने जीवन में इतना कुछ हासिल किया और देखा जाए तो उन्हें इसके लिए न के बराबर सुविधाएं मिली. लेकिन पंकज ने कभी कोई बहाना नहीं किया और लगातार प्रयास करते रहे. आज जानते हैं पंकज यादव के इस कठिन लेकिन गौरान्वित करने वाले सफर के बारे में.


आप यहां पंकज यादव द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं



 


सरकारी स्कूल से पढ़ें हैं पंकज –


पंकज हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गांव टींट के रहने वाले हैं. उनका बचपन और शुरुआती शिक्षा-दीक्षा यही हुई. उनके पिताजी सरकारी स्कूल में टीचर थे और उन्होंने पंकज को अपने ही स्कूल में पढ़ाया. उनका मानना था कि अगर शिक्षक ठीक से पढ़ाएं तो सरकारी स्कूल के बच्चे भी प्राइवेट स्कूल के बच्चों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. पिता की इस विचारधारा के साथ पंकज ने क्लास 12 तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही की. इसके बाद उन्होंने पीएमटी की परीक्षा दी और चयनित हो गए. चयन के बाद पंकज ने वहीं के सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस पूरा किया.


पढ़ाई के दौरान पंकज को कई बार यह ख्याल आया कि उन्हें, उनके जैसे गांव की पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों के लिए कुछ करना चाहिए. हालांकि एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद वे इस दिशा में काम कर रहे थे पर उनको अपने प्रयास नाकाफी मालूम देते थे. यही सोचकर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी का मन बनाया.


पहले आईपीएस फिर आईएएस –


सीमित संसाधन और बिना किसी गाइडेंस या सलाह के पंकज ने यूपीएससी की तैयारी का बीड़ा उठाया और कड़ी मेहनत से काफी हद तक इस सफर को पूरा भी कर लिया लेकिन उनसे कुछ छोटी-छोटी गलतियां हो गई. अपने पहले प्रयास में पंकज इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन सेलेक्ट नहीं हुए. इसके पीछे का कारण वे ओवर थिंकिंग को मानते हैं. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए साक्षात्कार में पंकज कहते हैं कि ऑप्शनल परीक्षा के पहले वे दो रात सोये नहीं थे, नतीजतन उनका पेपर खराब हुआ और ऑप्शनल में अच्छे अंक नहीं आए. हालांकि मेहनत उन्होंने इस अटेम्पट में भी भरपूर की थी पर जरा सी गलती से डेढ़ साल खराब हो गए. खैर पंकज ने हिम्मत नहीं हारी और 2018 में दोबारा परीक्षा दी. इस बार उनकी 589 रैंक आयी और उन्हें आईपीएस सेवा एलॉट हुई. इसी के अंतर्गत वे इंफाल में एएसपी के पद पर तैनात थे जब उनके तीसरे अटेम्पट का रिजल्ट आया. जी हां, पंकज आईपीएस सेवा से भी संतुष्ट नहीं हुए क्योंकि उन्हें आईएएस ही बनना था. आखिरकार पंकज ने साल 2019 की परीक्षा में 56वीं रैंक के साथ टॉपर्स की सूची में जगह बनाई और अपना आईएएस बनने का सपना पूरा किया. इसी के साथ पंकज गांव के बच्चों के लिए वे सभी संसाधन जुटाने का काम कर पाएंगे जिनके अभाव में उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.


पंकज का अनुभव –


पंकज कहते हैं कि गांव से होने की वजह से उनके पास न तो कोई गाइडेंस था, न ही उनके परिवार या आसपास से कभी कोई इस क्षेत्र में आया था जिससे उन्हें थोड़ी मदद मिल जाए, इसलिए शायद उनकी सफलता का यह सफर कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया. इंटरनेट कनेक्टिविटी से लेकर रोड कनेक्टिविटी तक हर तरह की समस्या का सामना उन्होंने किया. सेल्फ स्टडी को अपना टूल बनाकर पंकज ने दिन-रात मेहनत की तब जाकर उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ.


पंकज एक बहुत जरूरी सलाह देते हैं कि यूपीएससी परीक्षा पास करने का सपना देखना अच्छा है पर इसे अपने जीवन से बड़ा न बनाएं. अगर सफल नहीं होते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आपकी जिंदगी ही खत्म हो गई. यह सफर वैसे भी आपको इतना परिपक्व कर देता है कि चयनित नहीं हुए तो भी आप कहीं तो पहुंचेंगे ही. रही बात देर से सफलता मिलने की तो इसके लिए भी परेशान न हों. आप पहली बार में सफल होते हैं या तीसरी-चौथी बार में अगर, आईएएस बनना चाहते हैं तो आईएएस ही बनेंगे उसमें कुछ बदलाव नहीं आ जाएगा, इसलिए धैर्यपूर्वक तैयारी करें. परीक्षा के लिए इतना दबाव न लें कि आपकी जिदंगी से बाकी चीजें ही खत्म हो जाएं. पढ़ाई के साथ दिमाग को फ्रेश रखने के लिए अपनी हॉबीज को भी टाइम दें. अगर आपके पास संसाधन नहीं हैं तो इंटरनेट पर मौजूद गुरुओं की सहायता लें. अपने सिंपल बैकग्राउंड को कभी भी रास्ते का रोड़ा न मानें बल्कि ऐसे में अपने लक्ष्य पर निगाह रखकर खुद को उत्साहित करें कि जो बड़ा काम आप करने जा रहे हैं, उसके आगे कोई चीज मायने नहीं रखती. अंत में पंकज यही कहते हैं कि लगातार कड़ी मेहनत, धैर्य और गाइडेंस से कोई भी इस परीक्षा को पास कर सकता है.


IAS Success Story: पहले MBBS डॉक्टर, फिर UPSC टॉपर, क्या है आनंद की निरंतर सफलता का राज़? 

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