Success Story Of IAS Topper Paritosh Pankaj: यूपीएससी की जर्नी की जब-जब बात होती हैं तो अक्सर कैंडिडेट्स यह कहते पाए जाते हैं कि इस सफर में भले आप सफल न हों पर एक व्यक्ति के तौर पर काफी निखर जाते हैं. इस तथ्य की सच्चाई दिखती है जब परितोष अपना अनुभव साझा करते हैं. परितोष की बातें यह अहसास दिलाती हैं कि जीवन, सफल और असफल के अलावा भी बहुत कुछ है. उन्होंने खुद अपने यूपीएससी के सफर के दौरान बहुत सी बातें सीखी और जाना कि जो सफल है और जो असफल, उनमें कोई अंतर नहीं होता. यह बस समय का फेर है जो किसी को कहीं बैठा देता है तो किसी को कहीं छोड़ देता है. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में परितोष ने अपने अनुभव दूसरे कैंडिडेट्स से शेयर किए. जानें विस्तार से.


पांच साल मर्चेंट नेवी में किया है काम –


परितोष अपने सफर की शुरुआत के बारे में बताते हैं कि उनका जन्म बिहार के एक छोटे से गांव में हुआ और बारहवीं तक की शिक्षा वहीं पूरी हुई. इसके बाद उन्होंने बीएससी नॉटिकल साइंस का कोर्स किया और एक शिपिंग कंपनी में जॉब करने लगे. करीब पांच साल उन्होंने यहां काम किया और उसके बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली आए. परितोष कहते हैं कि यूपीएससी का विचार बहुत पुराना था लेकिन कुछ कारणों से वे सीधा तैयारी शुरू नहीं कर सकते थे इसलिए काफी घूमकर इस रास्ते पर आए. दिल्ली आकर उन्होंने कोचिंग ज्वॉइन की और दिन-रात तैयारी में जुट गए.


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में परितोष पंकज ने विस्तार से बात की –



पहला प्रयास सच में गोल्डन होता है –


परितोष अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि जब लोग उन्हें समझाते थे कि पहला प्रयास सबसे अहम होता है तो यह बात उन्हें उस समय समझ नहीं आती थी लेकिन बाद में वे जान पाए कि ऐसा क्यों कहा जाता है. दरअसल पहले प्रयास के समय आपके अंदर जो जोश, जो लग्न, कड़ी मेहनत का जज्बा और मोटिवेशन होता है वह बाकी सालों में धीरे-धीरे धुंधलाने लगता है. वे यही सलाह देते हैं कि पूरी जान लगा दें और संभव हो तो पहले प्रयास को अंतिम मानते हुए इसी में परीक्षा निकाल लें. हालांकि यह हमेशा आपके हाथ में नहीं होता लेकिन प्रयास करना जरूर आपके हाथ में होता है.


शॉर्ट-कट के चक्कर में न पड़ें –


परितोष कहते हैं कि जब तैयारी की बात आए तो सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबें चुनें और इनसे बेस मजबूत करें. जो कैंडिडेट्स सीधा एडवांस बुक्स के फेर में पड़ते हैं उन्हें बाद में तमाम परेशानियां उठानी पड़ती हैं. उनके अनुसार यूपीएससी की प्री परीक्षा खासतौर पर एक ऐसा एग्जाम है जिसे बिना एनसीईआरटी पढ़े पास नहीं किया जा सकता. क्लास 6  से 12 तक की एनसीईआरटी पढ़ें और नोट्स बनाते चलें ताकि अंत में रिवीजन में आसानी हो.


मेन्स का पेपर पूरा करना है चुनौती –


परितोष बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि जब बात मेन्स परीक्षा की आती है तो तैयारी विस्तार में करनी पड़ती है लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि बहुत किताबें न पढ़ें. बाजार में तमाम स्टडी मैटीरियल है और सब अच्छा है लेकिन आपको इसमें से क्या पढ़ना है, वह तय करें और एंड तक उसी से स्टिक रहें. इसी प्रकार ऑप्शनल का चुनाव अच्छे से सोच-विचार करने के बाद करें और फिर उसे अंत तक न बदलें. ऐस्से और एथिक्स के पेपर में अतिरिक्त प्रयास करें ताकि अतिरिक्त अंक पा सकें. एक जरूरी बात जान लें कि मेन्स में तीन घंटे में बीस प्रश्न करने होते हैं जो असंभव सा टास्क लगता है. इसके लिए जितनी हो सके प्रैक्टिस करें और खूब आंसर लिखें.


परितोष का अनुभव –


अंत में परितोष यही कहते हैं कि किसी भी परीक्षा को जीवन से बड़ा मत बनाइए. अगर आप सफल होते हैं तो बहुत अच्छी बात है पर सफल नहीं भी होते हैं तो उसे दिल से लगाने की जरूरत नहीं है. यहां नहीं तो कहीं और आपका करियर कहीं तो सेट होगा ही. जिस क्षेत्र में जाइए उसमें एक्सेल करिए. रही आस-पास वालों की बात तो उन पर ध्यान मत दीजिए जो एक एग्जाम के आधार पर आप पर सफल या असफल का तमगा लगाते हैं. दरअसल आपकी हस्ती इससे बहुत आगे बढ़कर है.


एक बात का और ध्यान रखें कि सफलता मिलने में देर लगे तो घबराएं नहीं क्योंकि इसमें आपका जा कुछ नहीं रहा बल्कि इन सालों में आप और परिपक्व होते जाते हैं. परितोष खुद चार प्रयासों में से दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन सूची में नाम नहीं आया. पहले ही प्रयास में तीनों स्टेज क्लियर कर ली लेकिन चयन नहीं हुआ. अंततः चौथे प्रयास और तीसरे इंटरव्यू में पीडीएफ में नाम दिखा. इस प्रकार उन्होंने खुद यहां तक पहुंचने में हर तरह के दिन देखे लेकिन हिम्मत नहीं हारी.


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