Success Story Of IAS Topper Pradeep Kumar Dwivedi: प्रदीप कुमार द्विवेदी ने साल 2018 में अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 74वीं रैंक के साथ टॉप किया था. इसी के साथ उनका आईएएस बनने का सपना भी पूरा हुआ. इसके पहले भी प्रदीप एक बार सेलेक्ट हो चुके थे पर रैंक कम आने के कारण उन्हें दूसरी सेवा मिली थी जबकि प्रदीप का लक्ष्य आईएएस ही था. उन्हें कुछ पल के लिए तो निराशा हुई पर वे जल्द ही इससे बाहर आ गए और दोगुनी ताकत से पढ़ाई में जुट गए. नतीजा यह हुआ की तीसरे प्रयास में प्रदीप का न केवल सेलेक्शन हुआ बल्कि उन्हें अपना मन-माफिक आईएएस पद भी मिला. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में प्रदीप ने अपने तीन प्रयासों के बारे में बात की. जानते हैं विस्तार से.


 बहुत ही सिंपल पृष्ठभूमि के हैं प्रदीप –


प्रदीप का जन्म और शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव में हुई. उनके पिता किसान हैं और प्रदीप के घर में खेती का काम होता है. एक साधारण हिंदी मीडियम स्कूल से प्रदीप ने अपनी स्कूल एजुकेशन पूरी की. यूपीएससी का सपना प्रदीप का बचपन का सपना नहीं था न ही उन्होंने अपनी स्कूल लाइफ में कभी इस बारे में सोचा था. स्कूल के बाद प्रदीप इंजीनियरिंग करने भोपाल चले गए और यहां से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. स्नातक के तुरंत बाद प्रदीप की भोपाल में ही बिजली विभाग में नौकरी लग गई. यही वो समय था जब उनको पहली बार यूपीएससी का ख्याल आया.


परीक्षा की तैयारी में कूदने से पहले प्रदीप ने तय किया था कि वे दो प्रयास तक तो देखेंगे लेकिन अगर दो बार में उनका चयन नहीं होता है तो वे पहले कोई दूसरी नौकरी करेंगे उसके बाद ही आगे की तैयारी की योजना बनाएंगे. हालांकि प्रदीप की प्लानिंग के अनुसार चीजें नहीं हुईं और उन्हें सफलता तीसरे प्रयास में मिली.


यहां देखें प्रदीप कुमार द्विवेदी द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 





 


प्रदीप का यूपीएससी सफर –


प्रदीप का पहली बार में सेलेक्शन नहीं हुआ. दूसरी बार में वे सेलेक्ट हुए और रैंक आयी 491. प्रदीप  इससे संतुष्ट नहीं थे हालांकि दो बार में एग्जाम क्रैक करने का उनका लक्ष्य पूरा हुआ लेकिन रैंक मन की नहीं मिली. अंततः प्रदीप ने इस रैंक के तहत मिलने वाली सेवा ज्वॉइन कर ली लेकिन फिर से अटेम्प्ट दिया. इस प्रकार प्रदीप ने साल 2018 में तीसरी बार परीक्षा दी और इस साल उनकी कई सालों की मेहनत रंग लाई और वे 74वीं रैंक के साथ आईएएस पद के लिए चयनित हो गए. इस दौरान प्रदीप कई तरह के संघर्षों से गुजरे, चीजें उनकी योजना के मुताबिक भी नहीं हुई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. गिरे लेकिन फिर उठ खड़े हुए और तब तक कोशिश की जब तक मंजिल मिल नहीं गई.


प्रदीप का अनुभव –


प्रदीप अपनी तैयारी के विषय में बात करते हुए कहते हैं कि सबसे पहले तो यह समझ लें कि मेन्स और प्री अलग अलग नहीं हैं, इनकी तैयारी साथ ही करें. वे आगे सलाह देते हैं कि पहले मेन्स की तैयारी करें, इससे प्री की प्रिपरेशन अपने आप ही हो जाएगी. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिए किसी प्रकार की कोई कोचिंग नहीं ली थी और वे इसे जरूरी भी नहीं मानते. वे कहते हैं कि अगर आप एक ऐसी जगह से हैं जहां कोचिंग की सुविधा नहीं है तो बिलकुल परेशान न हों. इंटरनेट ने दुनिया इतनी छोटी कर दी है कि वहां से आप सभी प्रकार की सामग्री, गाइडेंस वगैरह पा सकते हैं.


वे आगे कहते हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिए सेल्फ स्टडी सबसे जरूरी है. कहीं से कुछ भी जानकारी इकट्ठी कर लें लेकिन अंत में सेल्फ स्टडी पर ही भरोसा करें. इसके साथ ही अगला अहम बिंदु है निरंतरता. जितना भी पढ़ें, रोज पढ़ें. एक शेड्यूल बना लें और उसी के अनुसार तैयारी करें. इसके अलावा लगातर टेस्ट देते रहें ताकि समय के अंदर अपनी कमियां पता चल जाएं.


अंत में बस इतना ही कि जो आपके हाथ में नहीं है उसके बारे में बिलकुल न सोचें पर जो आपके हाथ में है, उसमें अपना बेस्ट दें. आप किस बैकग्राउंड के हैं, किस स्कूल से आपकी पढ़ाई हुई है, इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर आप मेहनत करने के लिए तैयार हैं तो सफलता निश्चित मिलेगी.


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