Success Story Of IAS Topper Pratham Kaushik: प्रथम कौशिक ने साल 2017 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा 5वीं रैंक के साथ पास की थी. पहले प्रयास में यानी साल 2016 में प्रथम प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाए थे. हालांकि इस असफलता का कारण प्रथम कांफिडेंस की कमी को मानते हैं. प्रथम कहते हैं पहले प्रयास के समय उनके मन में यह डर था कि यह परीक्षा पास करना आसान काम नहीं है क्योंकि उनके आसपास हर कोई यही कहता था. इसी डर को प्रथम पार नहीं कर पाए और अंततः सफल नहीं हुए. लेकिन प्रथम ने अपनी गलतियों से सीखा और अगली बार वे पूरे कांफिडेंस के साथ परीक्षा देने मैदान में उतरे. प्रथम के शब्दों में कहें तो, उन्होंने इस बार यह ठान लिया था कि वे युद्ध पर जा रहे हैं और देखना यह है कि दुश्मन ज्यादा बड़ा है या वे खुद. वे सोचकर गए थे कि आर या पार करके आएंगे और मेन्स में उनका यही एटीट्यूड अंत के पेपर तक चला. यह सोच कितनी सही है यह तो नहीं पता पर प्रथम के साथ इसने काम किया क्योंकि इस प्रयास में वे सफल भी हुए.


 


कॉलेज के बाद शुरू की तैयारी –


प्रथम ने अपने कॉलेज के दिनों में ही तय किया कि वे आईएएस की परीक्षा देंगे और जिस सिस्टम की लोग दिन-रात बुराई करते हैं, उसे बदलने के लिए उसका हिस्सा बनेंगे. इंजीनियरिंग ग्रेजुएट, प्रथम के बैच में ऐसे बहुत से बैचमेट थे जो पढ़ाई में बहुत अच्छे थे फिर भी यूपीएससी के नाम से घबराते थे. सबका एक सुर में कहना था कि यूपीएससी पास करना मतलब बड़ी जंग जीतना समझो. प्रथम भी इसी ख्याल को दिल में लिए तैयारियों में जुट गए लेकिन उनका आत्मविश्वास डगमगाता रहा. शायद यही वजह थी कि अपना 100 परसेंट देने के बाद भी प्रथम का पहली बार में प्री में भी चयन नहीं हुआ. उन्होंने अगले अटेम्पट की तैयारी करने से पहले इस बार अपने मन से डर को निकाला. प्रथम कहते हैं अगर ईमानदारी से कड़ी मेहनत की जाए तो यह परीक्षा इतनी भी कठिन नहीं जितना इसके बारे में फिजा बना दी गयी है. सही दिशा के प्रयास आपको सफल बना सकते हैं.


प्रथम की प्रिपरेशन स्ट्रेटजी –


प्रथम कहते हैं कि यूपीएससी के कोर्स को जो अथाह सागर कहा जाता है, उससे बचने के लिए उन्होंने अपने सीनियर्स की सलाह ली और पहले सही दिशा में जाकर यह इंफॉर्मेशन कलेक्ट करी कि उन्हें क्या पढ़ना है और क्या नहीं. इससे उन्हें अपने टारगेट फिक्स करने में आसानी हुयी. अगर किसी विषय से कम अंक के प्रश्न आते हैं और वह बहुत बड़ा है तो प्रथम ने उसे छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने अगला महत्वपूर्ण बिंदु माना एनसीईआरटी की किताबों को. उन्होंने क्लास 6 से 12 तक की एनसीईआरटी की अधिकतम विषयों की किताबें पढ़ी. इसके बाद न्यूज पेपर पढ़ना सीखा. जी हां, यूपीएससी कैंडिडेट आम लोगों की तरह पेपर नहीं पढ़ते उन्हें उसमें से कौन से बिंदु निकालने हैं और कैसे कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां इकट्ठा करनी है यह सीखना पड़ता है. वरना घंटो केवल पेपर पढ़ने में ही निकल जाते हैं.


अगली जरूरी बात प्रथम कहते हैं कि अगर किसी विषय में दिक्कत पेश आ रही हो तो उस विषय की तैयारी सीधे जीरों से शुरू करें. बेसिक्स पर जाएं और वहां से पढ़ते हुए आगे आएं. तभी आप उस पेपर के डर से बाहर निकल पाएंगे. अपने सफर में प्रथम सीनियर्स को धन्यवाद देना नहीं भूलते जिन्होंने उनका सही मार्गदर्शन किया. अंत में प्रथम का बस यही कहना है कि बिना डरे, दिल लगाकर तैयारी करें तो एक न एक दिन सफलता जरूर मिलती है. मेहनत के बिना कुछ हासिल नहीं किया जा सकता इसलिए इससे मुंह न चुराएं.


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