Success Story Of IAS Topper Pratibha Verma: आईएएस सक्सेस स्टोरीज में आज तक हमने आपसे परीक्षा की तैयारी से लेकर स्ट्रेस हैंडल करने तक के बारे में बहुत कुछ शेयर किया. कैंडिडेट्स के संघर्षों की भी बड़ी चर्चा हुई पर एक बिंदु है जिस पर कम बात हुई और वह है कैंडिडेट्स की हेल्थ. आज इस मुद्दे को उठाने का मुख्य कारण यह भी है कि आज की हमारी टॉपर प्रतिभा वर्मा पूरी तैयारी के दौरान कई बार बीमार पड़ीं, जिससे उनकी तैयारी बार-बार प्रभावित हुई. अपने अनुभव से ही प्रतिभा कहती हैं कि पेपर की चिंता में इतना स्ट्रेस न ले लें कि खुद की सेहत किनारे हो जाए. एक बार बीमार होकर आप इतना नुकसान कर लेते हैं कि सारा शेड्यूल, सारा टाइम-टेबल बिगड़ जाता है. बीमार से मतलब यहां फिजिकल हेल्थ के साथ ही मेंटल हेल्थ से भी है. परीक्षा का तनाव लाजिमी है पर उसे सीमित करने का प्रयास करें.
तीसरी बार में हुआ चयन –
साल 2019 की टॉपर प्रतिभा वर्मा का चयन तीसरी बार में हुआ है. पहले प्रयास में प्रतिभा प्री भी नहीं कर पाईं थी, दूसरे में उनका सेलेक्शन हुआ पर रैंक आयी 489, जो सर्विस मिली वह उनके मन की नहीं थी. अंततः तीसरी बार में तीसरी रैंक आने पर उन्हें उनका मनचाहा पद मिला आईएएस. प्रतिभा, सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश की हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई यहीं से हुई. क्लास दस तक उनका बोर्ड रहा यूपी और अगली दोनों क्लास उन्होंने सीबीएसई बोर्ड से पास किए. इसके बाद प्रतिभा ने दिल्ली आईआईटी से बीटेक किया. ग्रेजुएशन के बाद दो साल जॉब करने के बाद प्रतिभा को लगा कि यह उनकी मंजिल नहीं है. नौकरी छोड़कर प्रतिभा पूरी तरह से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गईं और इस पूरे सफर को तय करने में उन्हें तकरीबन साढ़े तीन से चार साल लगे. इस टाइम पीरियड में प्रतिभा ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखें जिनमें एक मुख्य था हेल्थ इश्यू. अपने अनुभव से ही प्रतिभा कहती हैं कि सेहत का ख्याल सबसे पहले बाकी सब बाद में.
इस बात से होता है दोगुना तनाव –
एक साक्षात्कार में प्रतिभा बताती हैं कि उनके तीनों ही अटेम्पट्स में वे हेल्थ इश्यू फेस कर चुकी हैं. इसकी वजह से हर बार उनका समय वेस्ट हो जाता था. एक तरफ बीमारी का तनाव दूसरा दिमाग में यह चलता था कि दिन वेस्ट हो रहे हैं जिससे डबल स्ट्रेस होता था. यह ख्याल अलग सताता था कि उनके सभी कांपटीटिर इस समय पढ़ रहे हैं और वे बिस्तर पकड़ कर बैठी हैं. दूसरों से तुलना समस्या को और बढ़ा देती है.
शिक्षा – तैयारी के दौरान कई बार कैंडिडेट्स को लगता है कि वॉक पर गए, एक्सरसाइज की या जिम ज्वॉइन किया तो समय बर्बाद होगा जबकि सच यह नहीं है. सच तो यह है कि अगर बीमार हो गए तो जो आधा या एक घंटे हम बचा रहे हैं उससे कई गुना खराब हो जाते हैं. अगर आप तीन दिन भी बेड पर रहे और आप दिन में दस घंटे पढ़ते थे तो तीस घंटे गए. मेंटल स्ट्रेस हुआ सो अलग.
रिजल्ट के दबाव से उबरना जरूरी है –
प्रतिभा एक इंटरव्यू में अपने अनुभव से कहती हैं कि उन्होंने अपने ऊपर रिजल्ट का बहुत प्रेशर ले लिया था. तीसरे अटेम्पट में बस वे यही सोचती रहती थी कि कैसे भी करके इस बार आईएएस में सेलेक्ट होना है. नतीजा यह हुआ कि अत्यधिक एनजाइटी ने उन्हें बीमार कर दिया. आखिरकार प्रतिभा के परिवार और दोस्तों ने भी उन्हें कहा और उन्होंने खुद महसूस किया कि इस प्रेशर से वे केवल स्ट्रेस्ड होकर अपना ज्यादा नुकसान कर रही हैं. यहां उन्हें गीता के उस ज्ञान पर फोकस करना है कि कर्म करों फल की चिंता न करो.
शिक्षा – रिजल्ट का या अच्छा परफॉर्म करने का जबरदस्त प्रेशर आपको अंदर ही अंदर खोखला कर देता है. आप इतना तनाव लेते हैं कि बेहतर करने के बजाय और खराब कर देते हैं. आपके चिंता करने से रिजल्ट अच्छा नहीं हो जाएगा, मेहनत करने से होगा. इसलिए अपना 100 प्रतिशत दीजिये पर रिजल्ट की चिंता में दिन पर दिन घुलिये मत. आपके दिन-रात सोचने से अंक अच्छे नहीं आ जाएंगे.
कोविड ने दिया एक मौका –
प्रतिभा की जिंदगी में कोविड, एक अवसर लेकर आया. उनका साक्षात्कार था 26 मार्च को और तभी लॉकडाउन लग गया. इस समय प्रतिभा की हेल्थ बहुत खराब हो चुकी थी, इतनी की वे इस निष्कर्ष पर पहुंच गईं कि अब परीक्षा का जो होना है हो लेकिन वे केवल और केवल अपनी हेल्थ पर फोकस करेंगी. इस समय उन्होंने नियम से योगा और मेडिटेशन शुरू किया साथ ही हेल्दी खाने पर भी फोकस किया. कोविड के कारण वे घर आ गईं थी और पढ़ाई को पूरी तरह किनारे करके सिर्फ हेल्थ पर फोकस कर रही थी. इस बीच उन्होंने बहुत इम्प्रूव किया और उनका स्ट्रेस और एनजाइटी लेवल भी काफी कम हुआ.
शिक्षा – किसी भी कार्य में अति अच्छी नहीं होती. अगर रोज थोड़ा-थोड़ा स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे तो यह नौबत ही नहीं आएगी कि सबकुछ किनारे करके केवल हेल्थ पर फोकस करना पड़े. फिटनेस एक हैबिट है, इसे बनाकर रखिए. जरा सोचिए आप ही नहीं रहेंगे तो सफलता कौन इंज्वॉय करेगा. प्रतिभा की बहन डॉक्टर हैं इसलिए उन्हें बार-बार अपनी बहन से मदद मिल जाती थी और वे जल्दी रिकवर कर जाती थी पर हर कोई इतना लकी नहीं होता. इसलिए समय रहते इस पर ध्यान दें ताकि यह बड़ी समस्या में न बदल जाए.
चलते – चलते -
ये तो थी हेल्थ से जुड़ी चर्चा पर इस कठिन परीक्षा को पास करने के लिए प्रतिभा ने और भी कई तरह के संघर्षों को फेस किया. फिर चाहे वह हिंदी मीडियम की होने से अंग्रेजी में आने वाली दिक्कत हो या लैंग्वेज में समस्या होने के कारण फिजिक्स ऑप्शनल चुनने का डिसीजन. प्रतिभा ने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत से कठिन पड़ावों को पार किया है. उनका यह सफर कठिन लेकिन प्रेरणादायक है. शायद इसीलिए प्रतिभा कहती हैं कि अपनी गलतियों को अपनी कमियों को पहचानिए, उनसे भागिये नहीं. उन्हें समय रहते दूर कीजिए फिर देखिये आप कैसे सफल होते हैं.
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