Success Story Of IAS Pujya Priyadarshini: पूज्य प्रियदर्शनी ने साल 2018 में अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में सफलता पायी. इसके पहले के तीन प्रयासों में वे किसी न किसी स्टेज पर आकर फेल होती रहीं लेकिन कभी निराश नहीं हुईं. हालांकि जिस साल वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बाद फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाई थी वह साल उनके लिए काफी कठिन था. सफलता के इतने करीब पहुंचकर असफल होना किसी को भी आसानी से हजम नहीं होता. पूज्य को भी नहीं हुआ था लेकिन अपने माता-पिता के सपोर्ट से वे फिर से मैदान में कूदीं और इस बार विजेता बनकर ही दम लिया. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में पूज्य ने अपनी जर्नी के बारे में विस्तार से चर्चा की.



यहां देखें पूज्य प्रियदर्शनी द्वारा द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 





पूज्य की शुरुआती पढ़ाई - लिखाई –


पूज्य ने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बी.कॉम किया और कोलंबिया यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स. स्नातक के अंतिम साल में यानी साल 2013 में ही उन्होंने पहली बार यूपीएससी परीक्षा भी दी लेकिन तैयारी ठीक से न हो पाने के कारण उनका सेलेक्शन इस साल नहीं हुआ.  इसके बाद उन्होंने लंबा गैप लिया और अगला अटेम्प्ट साल 2016 में दिया. पीजी करने के बाद पूज्य ने नौकरी ज्वॉइन कर ली और एक अच्छी कंपनी में करीब ढ़ाई साल तक काम किया. इस दौरान पूज्य की तैयारी चलती रही.


साक्षात्कार तक पहुंचकर हुईं बाहर –


साल 2016 में पूज्य ने सभी बाधाएं पार कर लीं और वे साक्षात्कार राउंड तक पहुंच गयीं. लेकिन इस साल उनका सफर यहीं खत्म हो गया. वे रिर्ज़व लिस्ट तक ही सीमित रह गयीं. सफलता के इतना करीब आकर फेल होने से उनका कांफिडेंस लेवल इस कदर प्रभावित हुआ कि साल 2017 के अटेम्पट में पूज्य प्री-परीक्षा भी नहीं निकाल पायीं. जो थोड़ी बहुत उम्मीदें उन्हें खुद से बची थी वे भी खत्म हो गयीं. यह वो साल था जब पूज्य का विश्वास इतना डगमगाया कि उन्होंने सिविल सर्विसेस का सपना त्यागने का मन बना लिया. उन्हें लगा यह परीक्षा उनके बस की नहीं.


पैरेंट्स ने किया सपोर्ट –


पूज्य के माता-पिता दोनों सिविल सर्वेंट हैं, शायद इसी वजह से पूज्य हमेशा से इस क्षेत्र में जाना चाहती थी. उन्होंने बचपन से देखा था कि इस फील्ड के लोग कैसे काम करते हैं और कैसे जनता के जीवन पर उनका सीधा प्रभाव होता है. अपने बचपने के सपने को वह इतनी आसानी से नहीं छोड़ पा रही थी. खैर माता-पिता के सहयोग से उन्होंने दोबारा हिम्मत जुटायी और इस बात पर फोकस किया की उनसे कहां गलती हो रही है. अपनी गलतियों को सुधारकर पूज्य ने फिर से कोशिश की और इस बार न केवल परीक्षा पास की बल्कि ऑल इंडिया रैंक 11 के साथ टॉपर भी बनीं. उनके सफर की खास बात यह थी कि इतनी बार असफल होने के बावजूद उन्होंने कभी नौकरी नहीं छोड़ी और जॉब के साथ ही तैयारी की.


पूज्य की सलाह –  


पूज्य बाकी उम्मीदवारों को सलाह देती हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिये खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है. चाहे कितनी भी बार फेल हों पर  हिम्मत न हारें. वे आगे बताती हैं कि लगातार न्यूज पेपर पढ़ते रहें, ऑप्शनल हमेशा अपने इंट्रेस्ट का चुनें, किताबें सोच-समझ कर चुनें ज्यादा कंफ्यूज़ न हों और आंसर लिख-लिखकर प्रैक्टिस करें और किसी और से चेक करायें ताकि अपनी कमियां पता चल सकें. अपनी गलतियों पर निराश न हों बल्कि उन्हें सुधारने की कोशिश करें. सबसे जरूरी बात धैर्य रखें क्योंकि इस परीक्षा में समय देना पड़ता है यहां रातों-रात कुछ हासिल नहीं होता. याद रखें कि अगर इरादे मजबूत हों तो देर से ही सही पर मंजिल मिलती जरूर है.


IAS Success Story: पांच बार हुईं असफल पर नहीं मानी हार, आखिरी प्रयास में नुपूर ने किया IAS बनने का सपना साकार

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