Success Story Of IAS Topper Ravi Jain: देवघर झारखंड के रवि जैन का यूपीएससी का सफर आसान नहीं था. 2019 में सफलता मिलने से पहले वे कई बार असफल हुए. पिछले तीन प्रयासों में से पहले में वे प्री भी पास नहीं कर पाए, उसके बाद के दो प्रयासों में साक्षात्कार राउंड तक पहुंचे लेकिन सेलेक्ट नहीं हुए. यह उनका चौथा प्रयास था, जिसमें उन्होंने न केवल सफलता पाई बल्कि अपने आईएएस बनने के सपने को भी साकार किया. आज जानते हैं रवि से कैसे की उन्होंने तैयारी और क्या रही उनके पिछले प्रयासों की गलतियां.


रवि का एजुकेशनल बैकग्राउंड


रवि की शुरुआती शिक्षा अपने होम टाउन से ही हुई. दसवीं और बारहवीं अच्छे अंकों से पास करने के बाद उन्होंने दिल्ली के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग में डिग्री ली. इसके बाद वे एक विदेशी कंपनी के लिए काम करने लगे. उन्होंने करीब तीन साल वहां काम किया. साल 2015 में रवि ने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से परीक्षा की तैयारी में जुट गए. इस क्षेत्र की कार्यशैली की विभिन्नता और देश के लिए कुछ कर पाने के जज्बे ने उन्हें यहां आने के लिए प्रेरित किया. हालांकि रवि का यह सफर काफी लंबा रहा पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हर साल अपनी गलतियों को सुधारते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहे.


कोचिंग के बिना चल सकता है काम


परीक्षा की तैयारी के विषय में दिल्ली नॉलेज ट्रैक से बात करते हुए रवि कहते हैं कि बहुत से स्टूडेंट्स के मन में यह प्रश्न आता है कि इस एग्जाम की प्रिपरेशन के लिए कोचिंग कितनी जरूरी है. वे कहते हैं कि उनके हिसाब से कोचिंग के बिना भी स्टूडेंट्स आराम से मैनेज कर सकते हैं. इसके माध्यम से केवल उन्हें एक गाइडेंस मिल जाती है लेकिन मुख्य काम तो सेल्फ स्टडी ही करती है. बिना खुद से पढ़े आप सफल नहीं हो सकते. रही गाइडेंस की बात तो वह थोड़ी मेहनत करके इंटरनेट से भी पाया जा सकता है. यहां शुरू से लेकर अंत तक कैसे तैयारी करें इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी हुई है. विभिन्न ब्लॉग, टॉपर्स के वीडियो आदि आपको गाइड कर देंगे. हालांकि यह अनुभव रवि को कोचिंग करने के बाद ही प्राप्त हुआ. उन्हें इसकी बहुत महत्ता समझ नहीं आई.


यहां देखें रवि जैन द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू



सीमित रखें किताबें


रवि आगे कहते हैं कि चाहे प्री हो या मेन्स अपनी किताबों को सीमित रखें. उन्हें ही बार-बार पढ़ने से सफलता मिलती है यानी रिवीजन ही सफलता की कुंजी है. वे कहते हैं कि पहले प्री के लिए तैयारी करें और तैयारी पूरी हो जाने के बाद मॉक टेस्ट दें. आप चाहें तो नोट्स भी बना सकते हैं, हालांकि इस बारे में रवि का का मानना है कि यह कैंडिडेट की अपनी च्वॉइस पर निर्भर करता है. मॉक टेस्ट से आपकी प्रैक्टिस होती है और आप जान पाते हैं कि कहां क्या कमी है.


रवि आगे बताते हैं कि अगर केस उनके जैसा हो जहां सफलता मिलने में समय ज्यादा लग रहा है तो उनके अनुभव के हिसाब से आंसर राइटिंग पर ज्यादा फोकस करें. उनका मानना है कि अगर आपको लगता है कि ज्ञान के स्तर पर आपकी तैयारी में कोई कमी नहीं है तो आंसर्स को सुधारें. देखें कि उन्हें और बेहतर कैसे बना सकते हैं. वीडियो देखें, ब्लॉग पढ़ें और तब भी समस्या न सुलझे तो किसी टॉपर से बात करें.


टाइम मैनेजमेंट है जरूरी


दूसरे कैंडिडेट्स को रवि यही सलाह देते हैं कि इस परीक्षा में सफल होने के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. अपने दिन, हफ्ते और महीने का शेड्यूल बना लें और उसी के हिसाब से पढ़ाई करें ताकि समय वेस्ट न हो. पढ़ाई के साथ ही कुछ समय दूसरी एक्टिविटीज पर भी दें ताकि आपका दिमाग फ्रेश रहे और आप ज्यादा प्रोडक्टिव हो सकें.


जहां तक बात सोशल मीडिया की है तो रवि कहते हैं कि यह कैंडिडेट का अपना निर्णय है. अगर उसे लगता है कि इससे उसका समय जाया होता है तो इनसे दूर हो जाएं. हालांकि अगर आपको सोशल मीडिया ही नहीं किसी भी काम के लिए पता है कि आपकी सीमा क्या है और आपको कहां रुकना है तो आप बाकी काम करते हुए भी तैयारी जारी रख सकते हैं.


जमकर मेहनत करें, इंटरनेट की हेल्प लें. कहीं डाउट हो तो किसी सीनियर से साफ कर लें और पिछले साल के प्रश्न-पत्र देखकर अपनी तैयारी की रूप-रेखा बनाएं. इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो एक दिन जरूर सफल होंगे.


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