Success Story Of IAS Topper Ravi Jain: साल 2019 के टॉपर रवि जैन, देवघर, झारखंड के हैं. यूपीएससी के क्षेत्र में आने के पहले वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं. इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ कारणों से उन्होंने यूपीएससी के क्षेत्र में आने का मन बनाया और तैयारी शुरू कर दी. यहां एक-दो नहीं पूरे तीन बार असफलता का सामना करना पड़ा पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. किसी न किसी स्टेज पर अटकने वाले रवि तय करके आए थे कि कैसे भी एग्जाम तो क्लियर करना ही है. हुआ भी यही, तीन बार फेल होने के बाद अंततः रवि ने चौथे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक नौ के साथ टॉप किया और अपना मनचाहा पद पाया. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में रवि ने विभिन्न मुद्दों पर बात की.
रवि का यूपीएससी सफर कुछ ऐसा रहा –
रवि जैन की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई होमटाउन में ही हुई. वे हमेशा से पढ़ने में अच्छे थे और हर क्लास में बढ़िया अंकों के साथ पास होते थे. बारहवीं के बाद रवि ने दिल्ली के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की और ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद एक अच्छी विदेशी कंपनी में नौकरी करने लगे. यहां रवि ने करीब तीन साल काम किया पर वे किसी ऐसी सेवा में जाने चाहते थे जहां से देश के लिए कुछ कर सकें. इस विचार के साथ रवि ने नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने का मन बनाया और इसके लिए कोचिंग ज्वॉइन कर ली.
कई प्रयासों के बाद भी रवि को सफलता नहीं मिली. पहले प्रयास में रवि प्री परीक्षा पास नहीं कर पाए लेकिन इसके बाद के दोनों प्रयासों में वे साक्षात्कार राउंड तक पहुंचे. हालांकि सेलेक्शन अभी भी नहीं हुआ और रवि का संघर्ष काफी लंबे समय तक चला. अंततः चौथे प्रयास में रवि ने न केवल परीक्षा पास की बल्कि नौंवी रैंक के साथ टॉप भी किया.
यहां देखें रवि जैन द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू -
रवि की सलाह –
जहां तक इस परीक्षा के लिए कोचिंग ज्वॉइन करने की बात है तो यह रवि को भी अनुभव करने के बाद समझ आया पर वे दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए कोचिंग को कोई जरूरत नहीं. मुख्य मदद सेल्फ स्टडी से ही होती है, केवल गाइडेंस की जरूरत पड़ती है, जो इंटनेट से लिया जा सकता है. यहां टॉपर्स के ब्लॉग, इंटरव्यू, स्ट्रेटजी आदि सबकुछ उपलब्ध है जिसकी सहायता से आप अपने लिए योजना बना सकते हैं.
अंत में बस इतना ही की रिर्सोस सीमित रखें और खूब अभ्यास करें. इसके लिए पिछले साल के प्रश्न-पत्र देखना भी एक बढ़िया विकल्प है. इनसे परीक्षा का पैटर्न तो पता चलता ही है साथ ही प्रैक्टिस भी हो जाती है. मॉक टेस्ट खूब दें और जहां गलती हो रही हो, उसे दूर करें.
अगर बात करें सोशल मीडिया की तो रवि का मानना है कि अगर आपको पता है कि आपकी सीमा क्या है और किसी भी स्थिति में आप उसे नहीं लांघते तो सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा सकता है. सही दिशा में सही प्लानिंग के साथ तैयारी करने से कोई भी कैंडिडेट इस परीक्षा में सफलता हासिल कर सकता है. किसी कॉ यह सफर छोटा होता है तो किसी का बड़ा लेकिन सच्चे प्रयास करने वाला कैंडिडेट मंजिल तक जरूर पहुंचता है.
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