IAS Success Story: बार-बार असफल हुईं पर नहीं हारी हिम्मत, झारखंड की यह बेटी ऐसे बनी IAS ऑफिसर
धनबाद, झारखंड की रेना जमील 2019 बैच की आईएएस हैं. यह उनका यूपीएससी का तीसरा प्रयास था, जिसमें उन्हें मन-माफिक सफलता मिली. जानते हैं रेना से उनके इस सफर के बारे में.
Success Story Of IAS Topper Rena Jamil: धनबाद, झारखंड के एक छोटे से गांव की रेना खुद को लकी मानती हैं कि एक ऐसी जगह जन्म लेने के बावजूद जहां लड़कियों की पढ़ाई को बहुत तवज्जो नहीं दी जाती, उन्हें एक ऐसी फैमिली मिली जिसने कभी उन्हें पढ़ने से नहीं रोका और हर हाल में सपोर्ट किया. चाहे वह पढ़ाई के लिए मीलों दूर कॉलेज भेजना हो, चाहे घर की जिम्मेदारियां उन पर न डालना, रेना को हर मायने में अपने परिवार और खासकर अपनी अम्मी का सहयोग मिला. इसी प्यार, सहयोग और विश्वास का नतीजा था कि बहुत सुविधाएं न होने के बावजूद रेना न सिर्फ पढ़ी बल्कि खूब पढ़ीं. यूपीएससी परीक्षा पास करने के पहले भी वे काफी सारी डिग्रियां ले चुकी थीं. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में रेना ने अपने इस सफर के बारे में बात की.
मुश्किल था साइंस से आर्ट्स विषयों पर आना –
रेना की शुरुआती पढ़ाई अपने गांव में ही हुई और उनका पहला स्कूल एक उर्दू स्कूल था. यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने ग्रेजुएशन किया, पोस्ट ग्रेजुएशन किया और उसके बाद बीएड यानी बैचलर ऑफ एजुकेशन की डिग्री भी ली. पोस्ट ग्रेजुएशन में रेना के पास जुलॉजी विषय था. यही नहीं उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में अपना ऑप्शनल भी जुलॉजी को ही बनाया. ऊपर बतायी तीन डिग्रियां लेने के बाद रेना ने यूपीएससी के क्षेत्र में आने का मन बनाया.
हमेशा से साइंस स्टूडेंट रही रेना को अब आर्ट्स विषय पढ़ने और समझने में बहुत दिक्कत आयी. इस समय उनकी मदद की उनके बड़े भाई ने जो कुछ समय पहले यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से ही आईआरएस सेवा के लिए चयनित हुए थे. रेना भी चूंकि इस क्षेत्र में आने की ठान चुकी थी तो रास्ते में आने वाली सभी परेशानियों से उन्हें लड़ना ही था.
देखें रेना जमील द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू
प्री के लिए स्ट्रेटजी बनाना है जरूरी –
सबसे पहले हर्डल प्री के लिए रेना मानती हैं कि परीक्षा के लिए पढ़ाई तो हर कोई कर लेता है लेकिन परीक्षा पास करने के लिए आपको एक स्ट्रेटजी की जरूरत पड़ती है. यह स्ट्रेटजी कैसी होनी चाहिए या इसे कैसे बनाएं यह जानने के लिए टॉपर्स के इंटरव्यू देख सकते हैं और दूसरे यूपीएससी कैंडिडेट्स का अनुभव जान सकते हैं. रेना ने भी दूसरों के अनुभव से सीखा और अपने लिए स्ट्रेटजी बनाई. वे कहती हैं कि कितने प्रश्न हल करने से सेलेक्शन होगा, कितने हल करने से निगेटिव मार्किंग होगी यह सब जानना बहुत जरूरी है. इसके लिए प्रैक्टिस ही एक मात्र तरीका है. देखें कि आपके लिए कौन सा तरीका काम आता है.
जहां तक तैयारी की बात है तो एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ें यह बहुत लाभ देती हैं. अगर आपको बेसिक्स ही नहीं क्लियर होगा तो आगे की पढ़ाई नामुमकिन हो जाएगी.
कम किताबें रखें –
प्री और मेन्स दोनों के लिए रेना यह सलाह देती हैं कि किताबें कम रखें. वरना मार्केट में इतनी किताबें हैं कि आप दो-तीन साल तक उन्हें पढ़ते रह जाएंगे. किताबें कम रखने से एक तो रिवीजन आसान हो जाता है दूसरा आपका समय भी बर्बाद नहीं होता. जो पढ़ें, अच्छे से पढ़ें और बार-बार पढ़ें. इस परीक्षा के लिए एक बार पढ़ना काफी नहीं होता. इसलिए छोटे-छोटे नोट्स बनाते चलें ताकि अंत में परेशानी न हो.
इसके बाद रेना अगली जरूरी चीज मानती हैं करेंट अफेयर्स और न्यूज पेपर्स को. वे कहती हैं वैसे तो किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए न्यूज पेपर का बहुत महत्व है लेकिन यूपीएससी परीक्षा में तो इसका बहुत ही अहम रोल है. इसलिए जब से सोचें कि इस क्षेत्र में जाना है तब से रोजाना अखबार पढ़ें.
रेना की सलाह –
रेना मानती हैं कि दूसरी परीक्षाओं की तुलना में इस परीक्षा को पास करने में ज्यादा समय लगता है इसलिए धैर्य रखें. उनके खुद के केस को देखें तो पहले साल 2016 के प्रयास में उन्हें 882 रैंक प्राप्त हुई जिससे इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस मिली. उन्होंने ट्रेनिंग तो ज्वॉइन कर ली पर उनके दिमाग में हमेशा आईएएस पद घूमता रहता था. इसी कारण से उन्होंने फिर परीक्षा दी लेकिन ट्रेनिंग के दौरान तैयारी ठीक से ना हो पाने के कारण प्री भी पास नहीं कर पाई. अंततः उन्होंने छुट्टी ली और तीसरी बार में मंजिल तक पहुंचीं. रेना की कहानी हमें बताती हैं कि इस क्षेत्र में सफल होना और मनचाही सफलता पाना दोनों ही बहुत मुश्किल है. लेकिन इरादा पक्का हो और कैंडिडेट में धैर्य व सच्ची लगन हो तो आज नहीं तो कल सफलता जरूर मिलती है.
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