Success Story Of IAS Topper Rheecha Ratnam: बिहार की रिचा के लिए यूपीएससी जर्नी बाकी कैंडिडेट्स की तुलना में इसलिए भी मुश्किल रही क्योंकि उन्होंने परीक्षा का माध्यम हिंदी चुना था. जैसा कि ज्यादातर हिंदी कैंडिडेट्स ने अपने साक्षात्कार में बताया है कि हिंदी में स्तरीय स्टडी मैटीरियल आसानी से नहीं मिलता और उन लोगों को इंग्लिश मीडियम वालों से कही ज्यादा संघर्ष इस मामले में करना पड़ता है. रिचा को भी इस परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्होंने हिंदी मीडियम से परीक्षा देने का चुनाव किया था. चार प्रयासों में असफल रहने वाली रिचा ने आखिर कैसे पांचवें प्रयास में पाई सफलता, आइये जानते हैं.


बीटेक हैं रिचा –


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में रिचा बताती हैं कि वे एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट रही हैं और उन्होंने बीटेक की डिग्री लेने के बाद यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की. रिचा ने क्लास दस तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से की और फिर ग्यारहवीं एवं बारहवीं की इंग्लिश मीडियम से. इस प्रकार रिचा ने दोनों माध्यमों का अनुभव ले रखा है.


यूं तो रिचा सिवान, बिहार की हैं पर यूपीएससी की तैयारी उन्होंने नोएडा में अपने भाई के पास रहकर की. रिचा ने यूपीएससी के कुल चार अटेम्प्ट दिए. इन चार अटेम्प्ट्स में से चौथे अटेम्प्ट में वे पहली बार मेन्स तक पहुंची लेकिन कुछ अंकों से सेलेक्ट नहीं हुईं. अंततः अपने पांचवें प्रयास में उन्होंने सभी चरण पास किए और सेलेक्ट हुईं.


यहां देखें रिचा रत्नम द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू –



हिंदी माध्यम की सबसे बड़ी चुनौती –


रिचा हिंदी माध्यम की सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं कि इस मीडियम में स्टडी मैटीरियल आसानी से उपलब्ध नहीं होता. उन्होंने खुद अपने केस में इंग्लिश में उपलब्ध मैटीरियल के नोट्स अपनी भाषा में बनाए थे. वे दूसरे कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देती हैं कि जिस भी भाषा में मैटीरियल मिले उसे पढ़ें और अपने हिसाब से अपनी भाषा में बदलें. अगर अपने माध्यम में मैटीरियल तलाशेंगे तो तलाशते ही रह जाएंगे और पूरा समय ऐसे ही चला जाएगा.


हिंदी वालों की दूसरी चुनौती –


रिचा कहती हैं कि उनके केस में चूंकि वे एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट रही थी इसलिए उन्हें सी-सैट सेक्शन में बहुत दिक्कत नहीं हुई लेकिन ज्यादातर हिंदी वाले सी-सैट में परेशान होते हैं. इसका हल वे बताती हैं कि यूपीएससी का सी-सैट इतना कठिन नहीं होता जिसके लिए बहुत पेन लेने की जरूरत है. वे कहती हैं कि अगर रोज एक घंटा भी आप इससे संबंधित प्रश्न हल कर लेंगे तो परीक्षा पास करने के लिए काफी है.


रिचा की पांच गलतियां –


रिचा अंत में अपने पिछले प्रयासों की गलतियों पर बात करते हुए कहती हैं कि ये पांच गलतियां कैंडिडेट्स को नहीं करनी चाहिए. पहली बात यह कि परीक्षा तभी दें जब आप पूरी तरह परीक्षा देने के लिए तैयार हों, केवल एक्सपीरियंस करने के लिए एग्जाम न दें. दूसरी जरूरी बात कि रिचा मॉक वगैरह सब घर पर रहकर ही देती थी और तैयारी भी घर से ही कर रही थी. ऐसे में केवल परीक्षा वाले दिन जाकर एग्जाम देती थी जिससे उनका प्रदर्शन खराब होता था. आपको रियल लाइफ सिचुएशन में परीक्षा देने का अभ्यास करना चाहिए. तीसरी जरूरी बात कि सोर्स सीमित रखें. एक विषय की एक ही किताब रखें और उसे बार-बार पढ़ें. ज्यादा रिसोर्स आपको कभी मंजिल तक नहीं पहुंचा सकते.


रिचा बात को आगे बढ़ाते हुए चौथे बिंदु पर आती हैं कि चूंकि उनका सिविल सर्विसेस का कोई बैकग्राउंड नहीं था इसलिए उन्हें इस बारे में खास जानकारी नहीं थी. ऐसे में उन्होंने गाइडेंस प्रोग्राम ज्वॉइन किया और उसने उनकी बहुत मदद की. अंत में आखिरी जरूरी बात कि आंसर राइटिंग खूब करें. केवल इसी के द्वारा आप मेन्स परीक्षा में अच्छे अंक पा सकते हैं. इससे पेपर भी नहीं छूटता और अभ्यास भी होता है.


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