Success Story Of IAS Topper Riddhima Srivastava: रिद्धिमा श्रीवास्तव ने साल 2018 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 74वीं रैंक के साथ टॉप किया था. इसके पहले के प्रयास में रिद्धिमा प्री स्टेज पर ही असफल हो गईं थी. हालांकि रिद्धिमा उन कैंडिडटे्स में से नहीं हैं जो अपनी हार का रोना लिए बैठे रहते हैं, बजाय इसके उन्होंने अपने पिछले अटेम्प्ट की गलतियों से सीखा और दूसरी ही बार में परीक्षा के तीनों चरण पास करती हुईं न केवल सेलेक्ट हुईं बल्कि टॉपर्स की लिस्ट में भी शामिल हुईं.


नतीजा यह हुआ कि रिद्धिमा को उनका मनपसंद आईएएस पद मिला. क्या थी उनकी पिछले प्रयास की गलितयां और कैसे पाया रिद्धिमा ने उनसे पार, ये और ऐसी बहुत सी बातें शेयर की उन्होंने दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में.


ये थी पिछले प्रयास की कमी –


रिद्धिमा कहती हैं उनके पिछले अटेम्प्ट की दो सबसे बड़ी गलतियां थी कि प्री परीक्षा वाले दिन उन्होंने ओएमआर शीट देर से भरना शुरू की थी. पहले वे पेपर सॉल्व करने के फेर में उलझी रही और अंत में समय कम पड़ गया. यह बिंदु अक्सर कैंडिडेट्स को बहुत छोटा लगता है जब उन्हें कहा जाता है कि ओएमआर शीट समय से भरें, इसकी प्रैक्टिस करें लेकिन रिद्धिमा का इसकी जीता-जागता उदाहरण हैं कि इसे कितनी गंभीरता से लेना चाहिए.


रिद्धिमा की दूसरी गलती थी कि वे एग्जाम वाले दिन बहुत ज्यादा परेशान हो गईं थी, उन्होंने बहुत स्ट्रेस ले लिया था. इस वजह से वे पेपर में अपना सौ प्रतिशत नहीं दे पाईं. रिद्धिमा दूसरे कैंडिडेट्स को भी यह सलाह देती हैं कि एग्जाम वाले दिन बिलकुल स्ट्रेस न लें. नेचुरल स्ट्रेस से बचने के लिए कुछ दिनों तक रोज अपने घर में परीक्षा आयोजित होने के समय पर बिलकुल परीक्षा वाले माहौल में पूरे नियम-कायदे मानते हुए एग्जाम दें. इससे आपका अभ्यास होगा और शायद मुख्य परीक्षा के दिन कम स्ट्रेस हो.


यहां देखें रिद्धिमा श्रीवास्तव द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 



  


रिद्धिमा की सीख –


रिद्धिमा तैयारी के विषय में बात करते हुए कहती हैं कि अपने सोर्स सीमित रखें और उन्हें समय से खत्म करके बार-बार रिवाइज करें. जितनी बार रिवाइज करेंगे उतना अच्छा रहेगा. रिद्धिमा बताती हैं कि उन्होंने अपने टाइम-स्लॉट को ऐसे बांटा हुआ था कि कि कितने दिन में पहला रिवीजन खत्म करना है, कितने में दूसरा और कितने में तीसरा. लक्ष्य यह था कि परीक्षा के पहले कम से कम तीन बार रिवीजन हो जाए.


रिवीजन के साथ ही आंसर राइटिंग प्रैक्टिस पर भी भरपूर ध्यान दें. इसके लिए बस एक ही उपाय है जितने हो सके मॉक सॉल्व करें. रिद्धिमा ने भी खूब आंसर लिखे और खूब अभ्यास किया. उनके अनुसार प्रैक्टिस के लिए सेक्शनल पेपर न चुनें. इसके बजाय पूरा पेपर हल करें.


दूसरे कैंडिडेट्स को रिद्धिमा यही सलाह देती हैं कि तैयारी के दौरान अपने लिए कड़े नियम बनाएं और उन्हें फॉलो करें. जैसे रिद्धिमा का सेट था कि उन्हें सुबह जल्दी उठना ही है, सोशल मीडिया से दूर रहना है, रोज रिवीजन करना है और अपनी तैयारी का एनालिसेस भी करते चलना है. वे उत्तर लिखने के बाद खुद उन्हें चेक करती थी और टॉपर्स के आंसर्स की तुलना में जो कमी पाती थी उसे दूर करती थी. रिद्धिमा ने अपने लिए कुछ चीजें तय की थी जिनका उन्होंने हमेशा पालन किया. ये हर कैंडिडेट के लिए भिन्न हो सकती हैं पर एक बात तो पक्की है कि इस एग्जाम को क्लियर करने के लिए अनुशासन, कड़ी मेहनत और सही दिशा में प्रयास जरूरी है.


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