IAS Success Story: मैकेनिकल इंजीनियर ऋषभ ने फॉलो की ये स्ट्रेटजी और बन गए IAS ऑफिसर, पढ़ें विस्तार से
साल 2018 में दूसरे प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में टॉप करने वाले ऋषभ मंडल ने शेयर की अपनी प्रिपरेशन स्ट्रेटजी और दिए परीक्षा पास करने के टिप्स.
Success Story Of IAS Topper Rishav Mandal: ऋषभ मंडल ने साल 2018 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 58वीं रैंक के साथ टॉप किया था. इसके पहले भी उन्होंने एक अटेम्पट दिया था पर साल 2017 के इस अटेम्पट में उनका प्री भी क्लियर नहीं हुआ था. कुछ अंकों से वे रह गए थे. ऋषभ को बुरा तो लगा पर अपनी असफलता को पकड़कर बैठने के बजाय उन्होंने पिछली गलतियों से सीख ली और अगले ही अटेम्पट में उन पर पार पाते हुए सफलता हासिल की. इस साल ऋषभ का न केवल सेलेक्शन हुआ बल्कि वे टॉपर भी बनें. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में ऋषभ ने शेयर की अपनी स्ट्रेटजी और दिए परीक्षा पास करने के लिए कुछ टिप्स.
तीन परीक्षाओं में परखी जाती हैं तीन चीजें
साक्षात्कार में बात करते हुए ऋषभ कहते हैं कि इस परीक्षा के तीनों चरणों का एक पर्पज होता है और तीनों ही एग्जाम कैंडिडेट के अंदर डिफरेंट क्वालिटीज चेक करते हैं. जैसे प्री में देखा जाता है कि स्टूडेंट को कितनी फैक्चुअल नॉलेज है या उसका डेटा बेस कितना स्ट्रांग है. इसी प्रकार मेन्स परीक्षा में नॉलेज डेटा बेस के साथ ही स्टूडेंट का एक्सप्रेशन चेक किया जाता है. यानी जो पता है उसे वह कितने अच्छे से लिख पा रहा है या अपनी बात कितने अच्छे से कनवे कर पा रहा है यह देखा जाता है. अब बारी आती है तीसरी स्टेज की यानी साक्षात्कार की. इसमें मुख्यतः यह देखा जाता है कि आपकी पर्सनेलिटी कैसी है, आप कैसे अपनी बात रखते हैं और आपकी सोच कैसी है. चूंकि ये तीनों ही स्टेज आपस में गुथी हुई हैं इसलिए तीनों की तैयारी साथ ही करें.
सिलेबस पर दें भरपूर ध्यान
ऋषभ कहते हैं कि सबसे पहले यूपीएससी का सिलेबस देखें और इस काम में ठीक से समय दें. यह आपकी तैयारी की नींव है, अगर यहीं गड़बड़ हो गई तो आगे और मुश्किलें आएंगी. इसलिए खूब समय देकर सिलेबस ठीक से देख-समझ लें. अगले स्टेप में सिलेबस को हिस्से में बांटते हुए देखें कि किस हिस्से के लिए कौन सी किताब पढ़नी है. किताबें कलेक्ट करें और उन्हें जहां तक हो सके सीमित रखने की कोशिश करें. जैसा की बाकी टॉपर्स भी सलाह देते हैं कि किताबें कम रखें पर उन्हें कम से कम दो से तीन बार रिवाइज करें. ऋषभ तो नंबर तीन को लकी मानते हैं इसलिए वे हर काम को तीन बार करने में यकीन करते हैं, रिवीजन भी उन्होंने तीन बार किया. ज्यादा किताबों के चक्कर में न पड़ें और जो हैं उन पर भरोसा करते हुए तैयारी को आगे बढ़ाएं.
लांग टर्म और शॉर्ट टर्म शेड्यूल बनाएं
सिलेबस देखने और किताबें सेलेक्ट करने के बाद अपने लिए शेड्यूल बनाएं. कब, कैसे पढ़ना है पूरी योजना बना लें. यहां भी दो तरह के शेड्यूल बनाएं, एक शॉर्ट टर्म और दूसरा लांग टर्म. बस ध्यान यह रहे कि दोनों ही शेड्यूल पूरे करें और उन्हें कतई बीच में न छोड़ें और शेड्यूल से भटकें भी नहीं. जहां जो कमी मिले उसे समय रहते खत्म करते चलें.
यहां देखें ऋषभ मंडल द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू
अगर बात करें मेन्स की तो इसके लिए भी कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे सभी विषयों को बराबर महत्व दें. ऐस्से के लिए खूब प्रैक्टिस करें और उसे खास बनाने के लिए उसमें डेटा, फैक्ट्स, इंडेक्स आदि डालें ताकि आपका ऐस्से दूसरों से अलग दिखे. पेपर के लिए मिलने वाले कुल टाइम का कुछ हिस्सा निबंध को पहले ही फ्रेम करने में यूज करें.
ऑप्शनल को लेकर रहें सजग
ऋषभ कहते हैं कि ऑप्शनल ही वह विषय होता है जो आपकी रैंक बनाता है और आपको सबसे अधिक नंबर दिलाता है. इसलिए इसका चुनाव और तैयारी सोच-समझकर करें. देखें की आपका रुझान किस विषय में है, उसे ही चुनें और अच्छे से इसकी तैयारी करें. इस पर अतिरिक्त ध्यान दें.
ऋषभ अंत में आंसर राइटिंग पर बहुत जोर देते हैं. वे कहते हैं कि ये तैयारी की आत्मा होती है. इसलिए जितना हो सके आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस करें. आपके आंसर ही अंततः आपको अंक दिलाते हैं. ज्ञान को इकट्ठा करना ही काफी नहीं, ज्ञान को अप्लाई करना भी आना चाहिए. जब तैयारी एक स्तर तक पहुंच जाए तो टेस्ट सीरीज ज्वॉइन कर लें और बिल्कुल परीक्षा वाले माहौल में एग्जाम दें. समय रहते अपनी कमियां न केवल पहचानें बल्कि उन्हें दूर भी करें तभी आप इस परीक्षा में सफल हो सकते हैं.
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