IAS Success Story: चार प्रयासों में प्री भी पास नहीं कर पाने वाले ऋषि ने पांचवीं कोशिश में कैसे किया टॉप? पढ़ें
ऋषि आनंद ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा अपने पांचवें प्रयास में क्लियर की. इसके पहले के प्रयासों में ऋषि प्री भी नहीं निकाल पा रहे थे. जानते हैं उनसे इन पांच सालों के सफर के बारे में.
Success Story Of IAS Topper Rishi Anand: ऋषि आनंद की यूपीएससी जर्नी खासी लंबी रही लेकिन उनके सफर की खास बात यह थी कि कुल पांच प्रयासों में से चार में वे प्री परीक्षा भी नहीं निकाल पाए थे और पांचवें में सीधे टॉपर बने. थोड़ा अजीब लगता है यह सुनना की पहले जो कैंडिडेट प्री भी नहीं निकाल पा रहा था बाद में परीक्षा के तीनों चरण पास कर गया. यानी पहला मेन्स और पहला इंटरव्यू दोनों क्लियर हो गए. ऋषि की 145वीं रैंक आयी थी और उन्हें आईएएस सेवा एलॉट हुई. ऋषि साल 2020 बैच के आईएएस बने. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में ऋषि ने इन पांच सालों के बारे में चर्चा की. जानते हैं विस्तार से.
साधारण परिवार से हैं ऋषि –
ऋषि आनंद मूलतः झारखंड के रहने वाले हैं. उनके परिवार में माता-पिता और एक छोटा भाई है. ऋषि के पिता की माली हालत ठीक न होने के कारण उनकी शुरुआती पढ़ाई से लेकर कॉलेज तक की एजुकेशन, बहुत ही साधारण संस्थानों से पूरी हुई. बारहवीं के बाद ऋषि ने इंजीनियरिंग की और घर को सपोर्ट करने के लिहाज से प्लेसमेंट में मिली जॉब करने लगे. इस दौरान उन्हें सरकारी नौकरी का अवसर मिला और वे स्विच कर गए. इस समय तक ऋषि ने यूपीएससी के बारे में सोचा भी नहीं था. दूसरी जॉब के दौरान उन्हें एक बार सिविल सर्वेंट्स के साथ काम करने का मौका मिला और यहीं से वे इस क्षेत्र में आने के इच्छुक हुए. अपने फैसले को लेकर साफ ऋषि ने नौकरी से इस्तीफा दिया और दिन-रात यूपीएससी की तैयारी में लग गए.
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में ऋषि आनंद ने विस्तार से बात की –
बार-बार हुए असफल –
ऋषि के छोटे भाई भी आईएएस अधिकारी हैं. दोनों भाई दिल्ली में रहकर परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. इस दौरान उनके भाई ने तो परीक्षा जल्दी क्लियर कर ली थी पर ईश्वर ऋषि की ज्यादा परीक्षा लेना चाहते थे क्योंकि उन्हें सफल होने में तुलनात्मक अधिक समय लग गया. अपने पहले प्रयास के लिए तो ऋषि मानते हैं कि वे तैयार नहीं थे लेकिन उसके बाद के अटेम्प्ट्स में सारी कोशिशें करने के बावजूद वे बार-बार प्री स्टेज पर ही अटक जाते थे. हर बार वे अपने अटेम्प्ट की कमियों को सुधारते थे लेकिन फिर भी कोई न कोई कमी रह जाती थी. ऋषि कहते हैं कि जब चौथे अटेम्प्ट में फेल हुए तो सबसे अधिक निराशा हुई क्योंकि इस समय तक उन्हें लगने लगा था कि शायद अब सारी कमियां दूर कर ली हैं. हालांकि अपने भाई, माता-पिता और दोस्तों के सपोर्ट से ऋषि फिर उठ खड़े हुए और पांचवें अटेम्पट में उन्होंने अंततः 145 रैंक के साथ परीक्षा पास की.
ऋषि की सलाह –
ऋषि कहते हैं कि सबसे पहले तो यह याद रखें कि चाहे कितनी भी बार फेल हों लेकिन हिम्मत न हारें और खुद को कैसे भी हर वक्त मोटिवेटड रखें. दूसरी जरूरी बात कि अपनी कमियों को न केवल खुले दिल से देखें बल्कि उन्हें स्वीकार भी करें. केवल यह पता करने से कुछ नहीं होता कि कहां गलती है, उसे सुधारना भी पड़ता है. इसलिए खुले मन से अपनी कमियों को स्वीकारें और बार-बार प्रयास करें. ऋषि स्वामी विवेकानंद की पुस्तकें पढ़ते थे और उनके कहे कुछ कोट्स उन्होंने स्टडी टेबल पर लगा रखे थे जो उनकी बहुत मदद करते थे. वे कहते हैं कि आपके लिए जो तरीका काम करे वह अपनाएं लेकिन कभी निराशा को खुद पर हावी न होने दें. पूरे उत्साह के साथ तैयारी करें और आप देखेंगे कि जब आप इस तैयारी को इंज्वॉय करते हैं तो सफर कितना भी लंबा हो जाए लेकिन रुचिकर लगता है.
IAS Success Story: इंजीनियर से UPSC टॉपर बनने तक तीन प्रयासों में पूरा किया अंशुमन ने यह सफर, यहां जानें उनकी रणनीतिEducation Loan Information:
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