Success Story Of IAS Topper Sameer Saurabh: बिहार के पूर्णिया जिले के रहने वाले समीर सौरभ ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 32वीं रैंक के साथ टॉप किया है. उन्हें यह सफलता अपने दूसरे प्रयास में साल 2018 में मिली. इसके पहले के प्रयास में भी वे सफल हुए थे और उनकी रैंक आयी थी 142. इस रैंक के अंतर्गत उन्हें आईपीएस सेवा एलॉट हुई थी. जब साल 2018 का परीक्षा परिणाम आया, उस समय समीर हैदराबाद में आईपीएस की ट्रेनिंग ले रहे थे. वे हमेशा से सिविल सर्विसेस में आईएएस का पद ही पाना चाहते थे इसलिए उन्होंने पहले प्रयास में सेलेक्ट हो जाने के बाद भी दोबारा कोशिश की और इस बार अपने मन-माफिक सफलता हासिल की. आज जानते हैं समीर से कि एक बार सेलेक्ट हो जाने वाले कैंडिडेट्स कैसे दोबारा बार में इस परीक्षा में अपनी रैंक सुधार सकते हैं.


प्रैक्टिस है बहुत जरूरी –


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में समीर सौरभ बताते हैं कि इस परीक्षा में अपनी रैंक सुधारने के लिए आपको कुछ बिंदुओं पर काम करना होगा. इनमें से पहला है अभ्यास. वे कहते हैं कि चूंकि इस परीक्षा में आप एक सर्टेन लेवल तक पहुंच चुके हैं और अब आपको ऊपर उठना है इसलिए जितना हो सके अभ्यास करें. अभ्यास से मतलब हर चीज के अभ्यास से है. टेस्ट पेपर दें, आंसर राइटिंग की जितनी हो सके प्रैक्टिस करें, ऐस्से लिखें और वह सबकुछ जो इस परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. किसी भी हिस्से को कमतर न समझें और सभी को बराबर महत्व देते हुए सबकी तैयारी करें.


यहां देखें समीर सौरभ द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू



अपनी रिटेंशन पावर चेक करें –


पढ़ा हुआ विषय कितना याद रहता है, यह जानना हर किसी के लिए बहुत जरूरी है. कई बार स्टूडेंट्स पढ़ लेते हैं, याद कर लेते हैं पर जब लिखने का समय आता है तो उसे भूल जाते हैं, इससे बचें. इसे समझाने के लिए समीर कहते हैं कि जिस समय जो विषय तैयार करते थे, तुरंत उस समय उसका पेपर नहीं देते थे बल्कि किसी और विषय का टेस्ट देते थे. अगले दिन या दो दिन बाद वे उस विषय का एग्जाम देते थे. इससे वे अपनी रिटेंशन पावर जान पाते थे. देखें कि जो आज पढ़ा है वह आपको कब तक याद रहता है और इसमें अगर कमी पाएं तो समय रहते उसे सुधारें.


पेपर का एनालिसेस है जरूरी –


समीर इस बारे में आगे बात करते हुए कहते हैं कि प्री या मेन्स जिसका भी पेपर प्रैक्टिस के लिए दें उसका एनालिसेस जरूर करें. अगर प्री का पेपर देने में दो घंटे लगे तो एनालिसेस में कम से कम तीन घंटे खर्च करें. ठीक इसी प्रकार मेन्स का पेपर तीन घंटे दिया तो अपने दोस्तों या फैकल्टी जिसके साथ भी आप डिस्कस कर रहे हैं कम से कम तीन घंटे तो डिस्कशन करें ही. पेपर देकर छोड़ देने से कोई फायदा नहीं होता जब तब आप उसके उत्तरों को एनालाइज नहीं करते.


अगली बात समीर खासतौर पर प्री परीक्षा के लिए कहते हैं. वे कहते हैं कि इसे लाइकली न लें. कई बार ऐसा होता है कि कैंडिडेट का सेलेक्शन हो जाता है तो अगली बार वह प्री को गंभीरता से नहीं लेता और यहीं मात खा जाता है. आप लाख साक्षात्कार राउंड तक पहुंच गए हों या रैंक के लिए दोबारा परीक्षा दे रहे हों, प्री को हमेशा सीरियसली लें.


पुराना रिवाइज करें और फैक्ट्स याद करें –


समीर कहते हैं कि नया पढ़ते समय पुराने को न भूलें और अपने बनाए नोट्स रोज रिवाइज करें (वे नोट्स बनाना परीक्षा की तैयारी के लिए अच्छा मानते हैं). इससे भूलने का कार्यक्रम बंद हो जाता है. इसी प्रकार अगर फैक्ट्स और फिगर्स की बात करें तो ये बहुत जरूरी हैं क्योंकि ये आपके आंसर्स में वजन लाते हैं पर इनके साथ कोई और ऑप्शन नहीं है सिवाय इस बात के कि ये आपको रटने ही होंगे. मेहनत करें और फैक्ट्स को याद करें ताकि अपने आंसर्स में उन्हें डाल सकें.


सोशल मीडिया से दोस्ती –


अंत में समीर यही कहते हैं कि सोशल मीडिया को लेकर सबके अपने व्यू हैं पर वे मानते हैं कि अगर इसका प्रयोग वाइजली किया जाए तो समस्या नहीं आती. वे यह भी कहते हैं कि उन लोगों का चार-पांच लोगों का एक ग्रुप था जिसमें वे परीक्षा की तैयारी के विषय में ही बात करते थे. इसी तरह उन्होंने फेसबुक पर भी बहुत से पेपर्स और एजेंसीज को लाइक किया हुआ था. इससे वे जब भी फेसबुक खोलते थे बस न्यूज के अपडेट ही दिखते थे. उनके अनुसार अगर आप में सेल्फ कंट्रोल है तो यह माध्यम तैयारी में आपकी मदद कर सकता है.


समीर कमरे में बंद होकर, दुनिया से कटकर पढ़ाई करने के तरीके को भी सही नहीं मानते. वे कहते हैं कि दिन का एक घंटा अगर आप ब्रेक लेते हैं और कुछ भी पसंद का काम करते हैं तो उसमें कुछ गलत नहीं. दिमाग को फ्रेश रखना जरूरी है. बाकी परिवार और दोस्तों का सहयोग बहुत जरूरी है इसलिए उनसे दूरी न बनाएं.


 

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