Success Story Of IAS Saumya Sharma: दिल्ली की सौम्या आम कैंडिडेट्स से अलग हैं बहुत अलग. उनके जैसी शख्सियत वर्तमान में आपको आसानी से देखने को नहीं मिलेगी. उन्होंने अपने जीवन में एक बार नहीं बल्कि बार-बार मुसीबतें आने पर साहस का परिचय दिया और तब तक डटी रहीं जब तक मंजिल पर पहुंच नहीं गयीं. खासतौर पर उस समय जब उनके पास पीछे हटने के वाजिब कारण थे और वो ऐसे पल थे कि अगर वे हाथ पीछे खींचती भी तो कोई उन पर उंगली नहीं उठाता. लेकिन सौम्या को बहाने बनाना नहीं पसंद.
अपनी असफलता, अपनी गलतियों की जिम्मेदारी वे खुद लेती हैं. बिना कोशिश के हार मान जाने वालों में से नहीं है सौम्या. इससे भी बढ़कर उन्हें कतई नहीं पसंद की लोग उन पर दया दिखायें. वरना 16 साल की उम्र में सुनने की शक्ति 90 से 95 प्रतिशत तक खो चुकीं सौम्या परीक्षा देते समय साधारण स्टूडेंट्स की तरह फॉर्म नहीं भरती. वो भी तब, जब डिसऐब्ल कैटेगरी में आवेदन करने का हक था उनके पास और इस वर्ग को मिलने वाली सुविधाओं का वे लाभ उठा सकती थीं. लेकिन नहीं सौम्या ने आम कैंडिडेट्स की तरह परीक्षा दी और टॉपर भी बनीं.
16 साल में खोयी सुनने की शक्ति –
एक साक्षात्कार में सौम्या बताती हैं कि 16 वर्ष की आयु में एक दिन उनकी सुनने की शक्ति अचानक चली गयी. ऐसा क्यों हुआ इसका कारण बाद तक भी कभी उजागर नहीं हो पाया लेकिन सौम्या 90 से 95 प्रतिशत सुनने की क्षमता खो चुकी थीं. पहले तो सौम्या इस सदमें से उबर ही नहीं पा रही थी लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिया और खुद को समझाया कि अब यही उनका सच है और उन्हें ऐसे ही जीवन काटना है. इसके बाद से सौम्या हियरिंग ऐड की सहायता से सुनती हैं.
अगर शिक्षा की बात करें तो सौम्या पढ़ने में हमेशा से अच्छी थी और स्कूल के बाद उन्होंने नेशनल लॉ स्कूल, दिल्ली से पढ़ायी की. लॉ के अंतिम वर्ष में ही सौम्या ने यूपीएससी परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया और मात्र 23 साल की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर ली.
बहुत कम समय में की तैयारी
सौम्या जल्दी पढ़कर जल्दी समझने के मामले में खुद को लकी मानती हैं. वे कहती हैं मुझे बहुत समय नहीं लगता चीजों को समझने या दिमाग में बैठाने में. सौम्या ने जब साल 2017 में यूपीएससी की परीक्षा में बैठने का मन बनाया तो उस समय प्री-परीक्षा में केवल 4 महीने बाकी थे. सौम्या कहती हैं कि अपने सोर्स का चयन ध्यान से करें. ऐसा न हो कि एक ही टॉपिक पर आपको बार-बार और अलग-अलग किताबों से पढ़ना पड़े. इत्मीनान से अपनी किताबों का चयन करिये लेकिन एक बार चुनने के बाद केवल उन्हीं को रेफर करिये. इसके अलावा सौम्या नोट्स बनाने को भी काफी अच्छा मानती हैं, जिसकी सहायता से परीक्षा के समय में काफी कम टाइम में टॉपिक रिवाइज़ हो जाते हैं. किताबें पढ़ने के साथ ही लिखने की प्रैक्टिस भी उनके हिसाब से बहुत जरूरी है ताकि तय समय में बढ़िया उत्तर लिखा जा सके. सौम्या को बचपन से पेपर पढ़ने का काफी शौक था जो इस परीक्षा की तैयारी में बहुत काम आया. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिये कोचिंग नहीं ली पर टेस्ट सीरीज़ खूब ज्वॉइन की. सौम्या का ऑप्शनल लॉ था, जिसे वे पहले भी पढ़ चुकी थी इसलिये उन्हें इसमें खास दिक्कत नहीं हुयी.
मेन्स एग्जाम के समय था हाई वायरल फीवर
ईश्वर सौम्या की परीक्षा लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे थे. सौम्या को मेन्स एग्जाम के समय हाई वायरल फीवर हो गया. इस समय सौम्या अपना रिवीज़न तक ठीक से नहीं कर पायी थी क्योंकि परीक्षा के पहले का एक हफ्ता जो बहुत ही क्रूसियल होता है, उसमें सौम्या बीमार पड़ी थी. इस समय वे चाहती तो आसानी से परीक्षा न देने का निर्णय ले सकती थी पर कदम पीछे करना तो जैसे सौम्या को आता ही नहीं था. वे बिना प्रयास के हार नहीं मानना चाहती थी इसलिये पहुंच गयी परीक्षा देने. मेन्स परीक्षा के दिनों में सौम्या को 102 बुखार था जो कभी-कभी 103 भी पहुंचा पर कम होने का नाम ही नहीं लेता था. सौम्या को एक दिन में तीन-तीन बार सलाइन ड्रिप चढ़ायी जाती थी. वो तो प्रभु की कृपा थी कि सौम्या के माता-पिता दोनों डॉक्टर हैं, जिसकी वजह से यह चुनौती थोड़ा आसान हो गयी. परीक्षा के बीच में जब लंच ब्रेक होता था, उसमें भी सौम्या को ड्रिप लगी और जीएस के पेपर के दिन तो उनकी आंखों के सामने अंधेरा ही छा गया था. उन्होंने तुरंत चॉकलेट खायी. इससे जो एनर्जी मिली तो वे फिर आंसर लिखने में जुट गयीं.
सौम्या की सलाह
सौम्या दूसरे यूपीएससी एस्पिरेंट्स को यही सलाह देती हैं कि पढ़ने के साथ-साथ लिखने का भी खूब अभ्यास करें. नोट्स बनायें और जो परीक्षा निकाल चुका हो, उससे संपर्क बनायें रखें. टॉपर्स के इंटरव्यू सुनें और सबकी स्ट्रेटजी जानने के बाद जो आपके लिये बेस्ट हो वो स्ट्रेटजी बनायें. स्टडी मैटीरियल संभालकर चुनें और अंत तक उसी किताब से पढ़ें. डायग्राम्स आदि को सौम्या बहुत महत्व नहीं देतीं. वे कहती हैं अगर कंटेंट सही होगा तो अंक खुद-ब-खुद मिलेंगे. उत्तर लिखते समय ध्यान रखें इंट्रो, बॉडी और कॉनक्लूज़न तीन भागों में बांटकर उत्तर लिखें. पैरा बदलें, बुलेट्स बनायें ताकि आंसर अच्छा दिखे. ऐस्से के पेपर को इग्नोर न करें क्योंकि यही आपकी रैंक बनाता है.
सौम्या कहती हैं जीवन में ऐसा कुछ नहीं जो हम ठान लें तो हासिल न कर पायें. रास्ता कितना भी कठिन हो पर उसे पार, हम जैसे लोग अपने दृढ़ विश्वास से ही करते हैं. तो सबसे पहले खुद पर भरोसा रखें, धैर्य से काम लें और यह जान लें कि हार्डवर्क का कोई ऑप्शन नहीं होता. निरंतर कोशिश करते रहेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी.
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