IAS Success Story: सुनने की शक्ति खोने के बावजूद नहीं खोयी हिम्मत और पहले ही प्रयास में 23 साल की सौम्या बनीं IAS ऑफिसर
साल 2017 में पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा क्लियर करने वाली सौम्या शर्मा के जीवन में तमाम तरह के संघर्ष आए पर उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. तेज बुखार में मेन्स परीक्षा देने वाली सौम्या 9वीं रैंक के साथ टॉपर बनीं.
Success Story Of IAS Topper Saumya Sharma: सौम्या शर्मा मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं. उन्होंने साल 2017 में पहले ही अटेम्प्ट में न केवल यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की बल्कि नौंवी रैंक के साथ ऑल इंडिया टॉपर भी बनीं. रैंक के अनुसार उन्हें आईएएस पद मिला. सौम्या का यह सफर यहां हमनें चार लाइनों में समेट दिया पर इस सफर के पीछे छिपे संघर्ष को लिखने बैठेंगे तो शायद चार किताबें भी कम पड़ जाएं. खैर सौम्या को सहानुभूति नहीं पसंद और न पसंद है समस्याओं का रोना रोना. वे द शो मस्ट गो ऑन की तर्ज पर किसी भी हालात में निरंतर आगे बढ़ने में यकीन करती हैं. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में सौम्या ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के विषय में विस्तार से बात की. जानते हैं उनके यूपीएससी के सफर और जीवन के सफर दोनों के बारे में.
यहां देखें सौम्या शर्मा द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू –
जब अचानक एक दिन खोयी सुनने की शक्ति -
16 साल की उम्र में एक दिन सौम्या की सुनने की शक्ति अचानक चली गयी. ऐसा क्यों हुआ इसका कारण बाद तक भी कभी उजागर नहीं हो पाया लेकिन सौम्या 90 से 95 प्रतिशत सुनने की क्षमता खो चुकी थीं. पहले तो सौम्या इस सदमे से उबर ही नहीं पा रही थी लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिया और खुद को समझाया कि अब यही उनका सच है और उन्हें ऐसे ही जीवन काटना है. इसके बाद से सौम्या हियरिंग ऐड की सहायता से सुनती हैं.
अगर शिक्षा की बात करें तो सौम्या पढ़ने में हमेशा से अच्छी थी और स्कूल के बाद उन्होंने नेशनल लॉ स्कूल, दिल्ली से पढ़ायी की. लॉ के अंतिम वर्ष में ही सौम्या ने यूपीएससी परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया और मात्र 23 साल की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर ली.
किताबें चुनें सावधानी से –
सौम्या कहती हैं कि अपने सोर्सेस का चयन ध्यान से करें. ऐसा न हो कि एक ही टॉपिक पर आपको बार-बार और अलग-अलग किताबों से पढ़ना पड़े. इत्मीनान से अपनी किताबों का चयन करिये लेकिन एक बार चुनने के बाद केवल उन्हीं से पढ़िए. इसके अलावा सौम्या नोट्स बनाने को भी काफी अच्छा मानती हैं, जिसकी सहायता से परीक्षा के समय में काफी कम टाइम में टॉपिक रिवाइज़ हो जाते हैं. पढ़ने के साथ ही लिखने की प्रैक्टिस भी उनके हिसाब से बहुत जरूरी है ताकि तय समय में बढ़िया उत्तर लिखा जा सके. सौम्या को बचपन से पेपर पढ़ने का काफी शौक था जो इस परीक्षा की तैयारी में बहुत काम आया. उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिये कोचिंग नहीं ली पर टेस्ट सीरीज़ खूब ज्वॉइन की. उन्होंने प्री, मेन्स, इंटरव्यू तीनों के लिए मॉक टेस्ट दिए थे.
103 बुखार में दिए मेन्स के पेपर –
सौम्या को मेन्स एग्जाम के समय हाई वायरल फीवर था. इस समय वे चाहती तो आसानी से परीक्षा न देने का निर्णय ले सकती थी पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. वे बिना प्रयास के हार नहीं मानना चाहती थी इसलिये पहुंच गयी परीक्षा देने. मेन्स परीक्षा के दिनों में सौम्या को 102 बुखार था जो कभी-कभी 103 भी पहुंचा पर कम नहीं हुआ. सौम्या को एक दिन में तीन-तीन बार सलाइन ड्रिप चढ़ायी जाती थी. उनके दोनों पैरेंट्स डॉक्टर हैं इसलिए सौम्या का यह कठिन समय तुलनात्मक रूप से आसानी से कट गया. परीक्षा के बीच में जब लंच ब्रेक होता था, उसमें भी सौम्या को ड्रिप लगती थी. इस प्रकार हाई फीवर के बीच उन्होंने मेन्स की परीक्षा पूरी की.
सौम्या की सलाह –
सौम्या दूसरे यूपीएससी एस्पिरेंट्स को यही सलाह देती हैं कि पढ़ने के साथ-साथ लिखने का भी खूब अभ्यास करें. नोट्स बनायें और टॉपर्स के टच में रहें, उनके इंटरव्यू सुनें. सबकी स्ट्रेटजी जानने के बाद जो आपके लिये बेस्ट हो वो स्ट्रेटजी सेलेक्ट करें. स्टडी मैटीरियल संभालकर चुनें और अंत तक उसी किताब से स्टिक रहें. ऐस्से के पेपर को इग्नोर न करें क्योंकि यही आपकी रैंक बनाता है.
अंत में बस इतना ही की समस्याएं सभी के जीवन में होती हैं. कुछ उनके पीछे छिपकर काम चला लेते हैं तो कुछ सामने से उनका सामना करते हैं. अपने लिए चुनाव आपको खुद करना है. जहां तक यूपीएससी की बात है तो यहां कड़ी मेहनत पहली जरूरत है और धैर्य दूसरी. इन दोनों का दामन थामकर सफर पर निकलेंगे तो मंजिल जरूर मिलेगी.
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