Success Story Of IAS Topper Shashwat Tripurari: यूपीएससी परीक्षा पास करने में न्यूज पेपर्स का कितना अहम रोल होता है ये यूपीएससी कैंडिडेट्स जानते हैं. उन्हें अपनी बाकी सारी तैयारियों के साथ ही इस पर भी फोकस करना होता है और जितने समय तैयारी चलती है या जब तक कैंडिडेट का सेलेक्शन नहीं हो जाता, तब तक उसका पेपर पढ़ना जारी रहता है. चूंकि परीक्षा में पिछले 6 महीने से लेकर एक साल तक के करेंट अफेयर्स के बारे में कहीं से भी कुछ भी पूछा जा सकता है इसलिए न्यूज पेपर पढ़ना बहुत आवश्यक हो जाता है. यहां कुछ कैंडिडेट्स को यह भी लग सकता है कि न्यूज पेपर पढ़ने में सीखने जैसी क्या बात है तो इसका जवाब है कि न्यूज पेपर पढ़ना भी एक आर्ट है. पूरे पेपर में से अपने काम की चीजें निकालना और इस काम में सीमित समय खर्च करना आसान नहीं होता. कैंडिडेट्स को ठीक से न्यूज पेपर पढ़ने का तरीका जानने में ही कई बार महीनों लग जाते हैं. वरना कैंडिडेट्स तीन घंटे तक पेपर लेकर ही बैठे रहते हैं और उनको बाकी तैयारी का समय नहीं मिल पाता. आज जानते हैं पिछले साल के टॉपर शाश्वत से न्यूज पेपर रीडिंग की सही तकनीक. दरअसल दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए साक्षात्कार में शाश्वत ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं. आइए जानते हैं..


आप यहां शाश्वत द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं



आईआईटी ग्रेजुएट हैं शाश्वत –


इस बारे में बात करने से पहले जान लेते हैं कि शाश्वत प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. उनकी स्कूलिंग यहीं हुईं. इसके बाद उन्होंने दिल्ली आईआईटी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. ग्रेजुएशन के बाद शाश्वत ने एक साल तक पूरा दिल लगाकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और साल 2019 में पहले ही अटेम्पट में 78 रैंक लाकर टॉपर बने. शाश्वत कहते हैं कि इस परीक्षा में अखबार के अहम रोल को वे जानते थे और उन्होंने कभी इस काम को न कम आंका न बंद किया. हालांकि शाश्वत को सफलता हासिल करने में बहुत समय नहीं लगा पर इस दौरान वे रेग्यूलर अखबार पढ़ते रहे. शाश्वत इस बारे में बात शुरू करने से पहले एक साक्षात्कार में कैंडिडेट्स को सलाह देते हैं कि जब आप शुरू करेंगे तो बहुत से ऐसे विषय होंगे जो आपको समझ नहीं आएंगे और आपको लगेगा कि ये है क्या जो पेपर में दिया हुआ है. शुरू-शुरू में सबके साथ ऐसा होता है, इससे परेशान न हों. बल्कि वहीं के वहीं उस टर्म को गूगल करके देख लें कि यह क्या है और उसका छोटा सा बैकग्राउंड भी जान लें. इससे अगली बार पेपर पढ़ते समय आपको अजीब महसूस नहीं होगा.


पहला पन्ना है बहुत जरूरी –


शाश्वत कहते हैं कि पेपर का पहला पन्ना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसमें मेन हेडलाइंस होती हैं. इससे अपने काम की खबरें निकाल लें और कोई बहुत जरूरी बिंदु हो तो कहीं नोट कर लें. कोई बड़ी डील जो दो देशों के बीच में क्रैक हुई हो, कोई बड़ा अविष्कार, कोई बड़ी घटना, दुघर्टना ऐसा कुछ भी मिले तो उसे ध्यान से पढ़ें. उसका फॉलोअप भी करते रहें. पॉलिटिक्स पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है खासकर अगर किन्हीं दो या तीन दलों के बीच में कोई आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है तो आपको उस पर ध्यान नहीं देना है. ऐसी खबरों से दूर रहें. हां पॉलिटी से रिलेटेड, इंडियन कांस्टीट्यूशन से रिलेडेट या हाईकोर्ट का कोई बड़ा ऑर्डर आदि आए तो उसे जरूर ध्यान से पढ़ लें.


रीजनल को दें थोड़ा महत्व –


अगली बारी आती है रीजनल की. रीजनल न्यूज पर भी बहुत समय खर्च करने की जरूरत नहीं है अगर वह आपके सिलेबस या आपके ऑप्शनल से संबंधित न्यूज नहीं है तो. शाश्वत कहते हैं कई बार कैंडिडेट के ऑप्शनल विषय ऐसे होते हैं जिनमें न्यूज पेपर के कुछ कॉलम हेल्प करते हैं. ऐसे में आपको न्यूज पेपर के वे कॉलम देखने ही होंगे. लेकिन अगर आपका ऑप्शनल टेक्निकल है तो यहां ज्यादा समय न लगाएं. सबसे जरूरी होता है कि यूपीएससी सिलेबस को कई बार अच्छे से देख लें ताकि न्यूज पेपर से लेकर किताबें पढ़ने तक आपको पता हो कि यह विषय सिलेबस के अंदर आता है या नहीं.


इसके बाद बारी आती है एडिटोरियल पेज की, जोकि यूपीएससी कैंडिडेट्स के लिए सबसे अहम होता है. इसे ध्यान से पढ़ें और इस पर समय खर्च करें. जो भी बड़े इश्यू उस समय चल रहे हों, उन पर गहराई से जानकारी आपको यहां मिल सकती है. इसके साथ ही ये पन्ना आपकी सोचने की क्षमता को विकसित करता है और आपकी एनालिटिकल थिंकिंग इम्प्रूव करने के साथ ही नये आस्पेक्ट्स से परीचित कराता है. हालांकि यहां फिर इस बात का ध्यान रखना है कि अगर कोई राइटर किसी पर्टिकुलर आइडियोलॉजी का है और किसी विषय के फॉर या अगेंस्ट में अपना मत रख रहा है तो आपको उस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपका व्यू हमेशा बैलेंस्ड रहना चाहिए. प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीनों फेजेस में यह पन्ना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है.


मैगजींस से नहीं चलता काम –


शाश्वत कहते हैं कि कई कैंडिडेट्स न्यूज पेपर को मंथ्ली मैगजींस से रिप्लेस करने की बात कहते हैं पर उनके हिसाब से यह तरीका न कारगर होता है न ही लांग रन में फायदा पहुंचाता है. उनके अनुसार पेपर को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता, मैगजीन से अतिरिक्त नॉलेज ली जा सकती है पर जो काम पेपर का है वो उसी से होगा. अपनी बात आगे बढ़ाते हुए शाश्वत इंटरनेशनल रिलेशन पन्ने पर आते हैं और कहते हैं कि इस पेज को भी महत्व दें क्योंकि देश-दुनिया में क्या हो रहा है, किस के बीच कौन सी डील हो रही है, या किसकी सीमा में किसको लेकर तनाव है, यह सब आपको पता होना चाहिए. इस पेज की हेडलाइन देखें और कहीं कुछ काम का दिखे तो गहराई में जाकर पढ़ लें. जहां तक बात स्पोर्ट्स पेज की है तो अगर आपकी हॉबी में हो तो पढ़ें वरना रहने दें, ठीक इसी तरह एंटरटेनमेंट भी छोड़ दें. अंत में आता है लास्ट पेज इसे ध्यान से देखें क्योंकि अक्सर किसी भी क्षेत्र की बड़ी खबर यहीं दी होती है. इस प्रकार अगर आप ठीक से न्यूज पेपर पढ़ेंगे तो यह आपको परीक्षा में बहुत मदद करेगा.


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