Success Story Of IAS Topper Sumit Kumar: सुमित कुमार उन कैंडिडेट्स में से आते हैं जिनका बचपन या शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बहुत आरामदायक माहौल में नहीं हुई. लेकिन पढ़ाई को लेकर गंभीर माता-पिता ने उनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए बचपन में ही उन्हें खुद से दूर कर दिया. ये निर्णय आसान नहीं था उनके लिए पर बच्चे के फ्यूचर के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा. जहां वे रहते थे, (जमुई, बिहार में) वहां न अच्छे स्कूल थे और न ही बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं. इसलिए आठ साल की छोटी उम्र में ही उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया था. सुमित के माता-पिता दोनों ने अपने-अपने हिस्से के संघर्ष किए पर बच्चों की पढ़ाई पर कभी किसी प्रकार की आंच नहीं आने दी. सुमित का एक छोटा भाई और है जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. दोनों ही बच्चों ने मां-बाप की मेहनत और संघर्ष का प्रतिफल दिया और अच्छी जगहों पर चयनित हुए. आज जानते हैं सुमित से उनकी यूपीएससी की पिछली गलतियों के बारे में जिनके कारण वे कभी सेलेक्ट नहीं हुए तो कभी रैंक मन-मुताबिक नहीं मिली.


तीसरे प्रयास में मिला आईएएस पद


दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में सुमित कहते हैं कि साल 2018 में उन्होंने तीसरी बार यह परीक्षा दी थी जिसमें 53वीं रैंक के साथ सेलेक्शन हुआ. इसके पहले वे दो प्रयास कर चुके थे. इसमें से पहले प्रयास में उनका प्री भी क्लियर नहीं हुआ था और साल 2017 के दूसरे प्रयास में उनकी रैंक 493 आयी थी जिससे उन्हें इंडियन डिफेंस स्टेट्स सर्विस मिली. तीसरे प्रयास के दौरान सुमित ट्रेनिंग में थे लेकिन समय निकालकर पढ़ाई भी कर रहे थे.


दरअसल सुमित के साथ पहले अटेम्पट के बाद सिलेबस तैयार न होने की समस्या खत्म हो चुकी थी क्योंकि वे इंटरव्यू में स्कोर नहीं कर पाए थे जिस वजह से उनकी रैंक खराब आयी थी. अगली बार उन्होंने अपनी इस समस्या पर काम किया.


इंटरव्यू में सुधारा प्रदर्शन


अपने पहले प्रयास की गलती सुमित मानते हैं कि उन्होंने टेस्ट पेपर्स जिस संख्या में प्रिपेयर करने चाहिए थे नहीं किए थे. वे मात्र 5 या 6 टेस्ट पेपर देकर एग्जाम देने पहुंच गए थे जिससे उनकी प्रैक्टिस नहीं हुई थी. इस पेपर में अभ्यास का बहुत महत्व है. इस कारण उनका पहले अटेम्पट में प्री भी क्लियर नहीं हुआ था.


देखें सुमित कुमार द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू



दूसरे अटेम्पट में सुमित का प्री अच्छे मार्जिन से क्लियर हुआ और मेन्स भी बढ़िया नंबर थे पर वे इंटरव्यू में स्कोर नहीं कर पाए. उनका साक्षात्कार अच्छा नहीं गया. बाद में जब सुमित ने इस कमी पर काम किया तो तीसरी बार में न केवल सेलेक्ट हुए बल्कि 53वीं रैंक के साथ टॉपर भी बने. इस प्रकार उनके पिताजी का सपना भी पूरा हुआ.


सीनियर्स की ली मदद


सुमित अपने आप को इस बात में बहुत लकी मानते हैं कि उनके आसपास हमेशा इसी क्षेत्र के लोग रहें जिन्होंने न केवल सुमित की समय-समय पर हेल्प की बल्कि उन्हें उनकी कमियों से भी अवगत कराया. पहले अटेम्पट के बाद सुमित ने जमकर प्री के लिए टेस्ट दिए. वे प्री में सफलता के तीन मंत्र मानते हैं, टेस्ट सीरीज, रिवीजन और लिमिटेड किताबें. इसी प्रकार मेन्स के लिए भी आंसर लिखकर सुमित अपने अलग-अलग साथियों और सीनियर्स को देते थे जो या तो सेलेक्ट हो चुके हैं या तैयारी कर रहे हैं. इनसे फीडबैक लेकर फिर सुमित अपनी कमियों को दूर करते थे. वे कहते हैं, जब अलग-अलग क्षेत्र के लोग आपका आंसर देखते हैं तो उसमें अलग तरह की कमियां प्वॉइंट आउट करते हैं तो उन्हें सुधारना आसान होता है.


इसी प्रकार जो लोग सेलेक्ट हो चुके हैं उनसे सुमित ने साक्षात्कार के लिए हेल्प मांगी और जो भी कमियां उन्हें बताई गई उन्होंने सब पर काम किया.


सुमित की सलाह –


सुमित कहते हैं कि इस परीक्षा की तैयारी के दौरान पेशेंस रखना बहुत जरूरी है क्योंकि कई बार सफलता मिलने में बहुत समय लग जाता है. कड़ी मेहनत और सही दिशा में प्रयास भी बहुत जरूरी है. इसके साथ ही अपनी कमियों को स्वीकराने के लिए हमेशा खुले रहें ताकि लोग खुलकर आपको आपकी कमियां बता सकें. उनमें समय रहते सुधार करें. प्रैक्टिस इस एग्जाम के लिए बहुत जरूरी है इसलिए जमकर अभ्यास करना न भूलें. स्ट्रेटजी अपनी कमजोरी और ताकत के अनुसार बनाएं और लोगों से लगातार फीडबैक लेते रहें. आखिर में बस इतना ही की मेहनत करें पर रिजल्ट को लेकर बहुत परेशान न हों. जब प्रयास सही दिशा में होते हैं तो सफलता भी जरूर मिलती है.


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