Success Story Of IAS Topper Swati Sharma: दिल्ली की स्वाती शर्मा ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा के कुल चार अटेम्प्ट्स दिए. इनमें दो बार उनका सेलेक्शन हुआ. साल 2018 के प्रयास में स्वाति की रैंक आयी 278 जिससे असंतुष्ट होकर उन्होंने दोबारा कोशिश की. हालांकि इस रैंक के तहत स्वाति को इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट सर्विस एलॉट हुई, जिसे उन्होंने ज्वॉइन कर लिया. ट्रेनिंग में रहते हुए ही स्वाति ने चौथा प्रयास दिया और इस बार पिछली सारी असफलताओं को किनारे करते हुए न केवल सेलेक्ट हुईं बल्कि 17वीं रैंक के साथ टॉप भी किया. इससे उन्हें उनका मनचाहा आईएएस पद मिला. इकोनॉमिक्स की स्टूडेंट रही स्वाति ने दिल्ली नॉलेज ट्रैक के साथ इस जर्नी की खास बातें शेयर की.


शुरुआत हो सही –


स्वाति अपनी बातचीत की शुरुआत में ही कहती हैं कि जिस दिन से आप इस परीक्षा को देने का पक्का इरादा करें उसी दिन से एक निश्चय और करें कि एग्जाम देने के पहले आप इस परीक्षा के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी कर लेंगे उसके बाद ही आगे बढ़ेंगे. स्वाति इस स्टेप को इतना अहम मानती हैं कि उनके अनुसार अगर परीक्षा के बारे में पता करने में एक महीना भी लग जाए तो परेशान न हों. यह महीना इस काम में खर्च करें लेकिन इंटरनेट या जिस भी माध्यम का प्रयोग आप करना चाहते हैं, उसके द्वारा परीक्षा के बारे में एक-एक छोटी से बड़ी बात जान लें तभी आगे बढ़ें. यह समझ लें कि किसी रास्ते पर निकलने से पहले वहां पहुंचने का सही रूट क्या होगा, आप ये पता कर रहे हैं. इसमें शुरू में समय बर्बाद होता महसूस होगा लेकिन आगे की जर्नी स्मूद हो जाएगी.


यहां देखें स्वाति शर्मा द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 



दूसरों से अलग हैं स्वाति के विचार –


स्वाति का कहना है कि प्री और मेन्स को दो अलग-अलग एग्जाम मानकर तैयारी करें. वे दोंनों को साथ तैयार करने की सलाह नहीं देती जैसा कि अक्सर दूसरे कैंडिडेट्स कहते हैं. वह अपना ही उदाहरण देती हैं कि पहले वे प्री के लिए तैयारी करती थी और जब तय समय सीमा के अंदर कोर्स पूरा हो जाता था तभी मेन्स में हाथ लगाती थी. जिस समय मेन्स के लिए पढ़ रही होती थी उस समय केवल उसी पर फोकस करती थी. हालांकि यह स्वाति की राय है, इस बारे में फाइनल डिसीजन आपका होगा कि आप कैसे प्रिपेयर करना चाहते हैं पर स्वाति को यही तरीका सही लगता है. उनके हिसाब से दोनों परीक्षाओं का पैटर्न अलग है इसलिए तैयारी भी अलग होनी चाहिए.


अन्य जरूरी बात स्वाति मानती हैं टेस्ट देने और उन्हें एनालाइज करने की. वे कहती हैं एग्जाम क्लियर करने के लिए मॉक टेस्ट से प्रैक्टिस करना बहुत जरूरी है. यह भी ध्यान रहे कि केवल टेस्ट देने से काम खत्म नहीं होता आपको अपने आंसर्स को एनालाइज भी करना चाहिए. फिर जो कमी निकले उसे दूर करते चलें. इस प्रकार मुख्य परीक्षा के पहले खुद को खुद ही टेस्ट कर लें.


स्वाती की सलाह –


स्वाती अपने अनुभव से कहती हैं कि यूं तो पूरे साल लगकर इस परीक्षा की तैयारी करें लेकिन डे वन से एक शेड्यूल बनाकर चलें. इस परीक्षा में सफल होने के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. किस दिन क्या पढ़ना है, कब तक क्या खत्म हो जाना चाहिए, अंत में रिवीजन के लिए कितने दिन निकालने हैं, हर छोटी-बड़ी बात आपके प्लान में होनी चाहिए. इस तैयारी में अपने रिवीजन के नोट्स भी कंसोलिडेट करते चलें क्योंकि कई बार कैंडिडेट्स के साथ ऐसा होता है कि वे रिवीजन को एंड में प्लान तो कर लेते हैं लेकिन स्टडी मैटीरियल या कहें रिवीजन की सामग्री इतनी बिखरी होती है कि उसे लाइनअप नहीं कर पाते. इसलिए टाइम टेबल बनाने, शेड्यूल बनाने के साथ ही नोट्स या अन्य स्टडी मैटीरियल भी ऐसे बनाकर चलें जिसे अंत में फटाफट रिवाइज किया जा सके.


अंत में स्वाति प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीनों के लिए मॉक टेस्ट की महत्ता पर सलाह देती हैं. उनके अनुसार परीक्षा की किसी भी स्टेज पर पहले मॉक टेस्ट दें तभी मेन एग्जाम देने जाएं. तैयारी के दौरान खुद से ईमानदार रहें और सही दिशा में आगे बढ़ें, सफल जरूर होंगे.


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