Success Story Of IAS Topper Syed Ali Abbas: जब हम टॉपर्स की चर्चा करते हैं तो हमारे सामने बहुत सी कहानियां, बहुत से संघर्ष आते हैं. हर किसी का सफर अलग-अलग रास्तों से होकर मंजिल तक पहुंचता है. कोई यह सफर साल दो साल में पूरा कर लेता है तो किसी को और ज्यादा टाइम लग जाता है. जैसे हमारे आज के टॉपर सैय्यद अली अब्बास को ही ले लें. सैय्यद की यूपीएससी जर्नी खासा लंबी रही और एक-दो नहीं पूरे चार बार असफल होने के बाद उन्होंने साल 2017 में पांचवीं बार में सफलता पायी. साल 2011 से सैय्यद ने यूपीएससी सीएसई के अटेम्पट्स देना शुरू कर दिए थे. आज जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.


यूपी के एक छोटे से गांव के हैं सैय्यद


सैय्यद दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में बताते हैं कि वे उत्तर प्रदेश के एक छोटे से और शित्रा के क्षेत्र में तुलनात्मक काफी पिछड़े गांव बहराइच के रहने वाले हैं. उनका जन्म और शुरुआती शिक्षा वहीं हुई. हालांकि सैय्यद इस मामले में खुद को लकी मानते हैं कि उनका परिवार पढ़ाई को लेकर बहुत सजग था और ऐसी जगह रहने के बावजूद उन्हें बेस्ट ऑफ एजुकेशन प्रोवाइड की गई. सैय्यद ने वहां के एक अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढ़ाई की. वे मानते हैं कि इससे उन्हें एक मजबूत बैकग्राउंड मिलने में सहायता मिली.


देखें सैय्यद अली अब्बास द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू



इंजीनियर भी हैं सैय्यद


यूपीएससी का रुख करने के पहले सैय्यद ने इंजीनियरिंग की है. कुछ कारणों से इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी सीएसई परीक्षा देने की सोची और तैयारी के लिए दिल्ली आ गए. सैय्यद कहते हैं कि हालांकि वे इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं पर यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें अहसास हुआ कि उनका इंक्लिनेशन आर्ट्स विषयों की तरफ ज्यादा है और उन्हें आर्ट्स पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है. साल 2011 में जब सैय्यद ने पहला अटेम्पट दिया तो प्री परीक्षा के लिए बहुत कम समय बचा था. जाहिराना तौर पर उनकी तैयारी नहीं हो पाई थी और वे सेलेक्ट नहीं हुए.


बार-बार मिली असफलता


सैय्यद की यूपीएससी की कहानी काफी लंबी चली जहां बार-बार प्रयास करने के बावजूद वे हर बार किसी न किसी कारण से असफल हो रहे थे. कभी प्री में रह जाते थे तो कभी मेन्स में. एक बार तो इंटरव्यू राउंड तक पहुंचने के बाद सेलेक्ट नहीं हुए. अगर इस जर्नी को शॉर्ट में समेटना हो तो कह सकते हैं कि चार प्रयासों में से दो में सैय्यद का प्री में ही नहीं हुआ, एक बार मेन्स में नहीं हुआ और एक बार इंटरव्यू तक दिया और सेलेक्ट नहीं हुए. अंततः अपने पांचवें प्रयास में उन्होंने सभी चरण पास किए और 137वीं रैंक के साथ सेलेक्ट हुए जिसके अंतर्गत उन्हें आईपीएस सेवा एलॉट हुई.


सैय्यद का अनुभव


सैय्यद कहते हैं कि सबसे पहले तो सिलेबस ठीक से देखें और उसी के अनुसार अपने पास सीमित मात्रा में स्टैंडर्ड किताबें इकट्ठा करें. ज्यादा के फेर में न पड़ें बल्कि जो बुक्स हैं उन्हीं को बार-बार रिवाइज करें. इस परीक्षा को पास करने में रिवीजन का बड़ा महत्व है. जब तैयारी कुछ आगे बढ़ जाए तो खूब आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करें. उत्तर लिखने से ही आप अच्छे अंक पा सकते हैं.


अंत में सैय्यद यही कहते हैं कि इस क्षेत्र में आने के लिए दो बातों पर विशेष ध्यान दें. एक तो यह कि दिमाग में यह बैठाकर आएं कि यहां सफलता मिलने में समय लग सकता है. सालों का समय आपको देना पड़ सकता है. दूसरा यह कि चाहे कितनी भी बार असफल हों लेकिन निराश न हों और हिम्मत न हारें. खुद को इन दो बातों के लिए तैयार रखें कि एक तो धैर्य बनाए रखना है और दूसरा बार-बार मिलने वाली हार से दुखी या परेशान नहीं होना है. कड़ी मेहनत और सच्चे प्रयास से मंजिल जरूर मिलती है.


IAS Success Story: कांस्टेबल से UPSC टॉपर, ऐसे तय किया विजय ने यह असंभव लगने वाला सफर

Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI