Success Story Of IAS Topper Vaishali Singh: वैशाली सिंह जोकि पेशे से एक वकील थीं के घर में सभी वकील हैं. उनके मां-पिताजी, उनका छोटा भाई और खुद वैशाली भी. बचपन से उन्होंने वकालत को इतने करीब से देखा और समझा था कि जैसे ये उनके खून में बस गयी थी. करियर के मामले में कुछ ज्यादा सोचने विचारने की जरूरत नहीं पड़ी और जैसे ये तय ही था कि वैशाली इसी क्षेत्र में जाएंगी. उन्होंने वकालत ज्वॉइन की, बहुत अच्छे नंबरों से पास हुईं और फिर एक बड़ी कंपनी में काम करने लगीं. लेकिन कुछ दिनों के बाद वैशाली का मन वकालत में नहीं लगा. उन्हें ऐसा महसूस होता था जैसे कुछ कमी सी है और अभी कुछ और करने की कसर बाकी है. बचपन से लॉयर बनने का सपना देखने वाली वैशाली के लिए यह बात काफी नई थी पर उन्होंने अपने दिल की सुनी. लकीर न पीटते हुए उन्होंने अपने एनएलयूडी के दिनों को याद किया जब रिसर्च वर्क के लिए वे फील्ड पर जाती थीं और ग्राउंड लेवल पर फैली समसायाओं से रूबरू होती थीं. उस क्षण भी उन्हें लगता था कि इन परेशानियों से जूझने के लिए कुछ करना चाहिए. यह विचार लॉ पूरा होने के बाद यूपीएससी की तैयारी करने के लिए एक मजबूत आधार बना. अंततः वैशाली ने यूपीएससी की तैयारी करने का पक्का मन बना लिया.


फरीदाबाद की हैं वैशाली –


वैशाली फरीदाबाद की रहने वाली हैं. उनका बचपन और शुरुआती शिक्षा भी फरीदाबाद में ही हुयी. उनकी स्कूलिंग डीपीएस स्कूल से पूरी हुयी फिर वे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली से ग्रेजुएशन करने चली गयीं. यहां से उन्होंने पांच साल का इंटीग्रेटेड लॉ का कोर्स किया. इस दौरान उनका प्रदर्शन कमाल का रहा और कॉलेज में टॉप करने के साथ ही उन्होंने यहां कुल 6 गोल्ड मेडल जीते. इसके बाद वैशाली ने कुछ समय नौकरी की पर उनको वहां संतोष नहीं मिला. ऐसे में उन्होंने नौकरी छोड़कर या कहा जाए तो अपने बचपन के सपने वकालत को छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने का मन बनाया. वैशाली अपने शुरू से अभी तक के सफर में अपने माता-पिता जोगिंदर सिंह और सुमन सिंह को प्रेरणा-स्त्रोत मानती हैं. एक साक्षात्कार में वैशाली कहती भी हैं कि कई बार हमें अपने जीवन की दिशा चुनने में वक्त लगता है, कई बार हम समझ ही नहीं पाते की कौन सा क्षेत्र हमारे लिए श्रेष्ठ है पर ऐसे में परेशान नहीं होना चाहिए साथ ही आसपास वालों के तानों पर गौर नहीं करना चाहिए. आप अपना समय लें यह तय करने में की किस क्षेत्र में जाना चाहते हैं और फिर उसमें सफलता पाने के लिए अपना सब कुछ झोंक दें.


दूसरे प्रयास में मिली सफलता –


वैशाली कहती हैं कि पहले प्रयास में असफल होने का कारण उनकी कोई एक गलती नहीं थी बल्कि उस समय उन्होंने बल्क में गलतियां करी थीं. हां लेकिन अपनी हर गलती से वैशाली ने खूब सीखा और आगे उन्हें कभी नहीं दोहराया. वे बताती हैं कि पहले तो उनकी तैयारी ही प्री की लिए पक्की नहीं थी, उस पर वे एक नाइट पर्सन हैं जो रातभर पढ़कर सुबह 6 बजे सोने जाती हैं. ऐसे में जब प्री की परीक्षा देने गयीं तो उनका दिमाग जिसे उस समय सोने की आदत थी काम ही नहीं कर रहा था. उन्हें पहला प्रश्न समझने में 2 मिनट लग गया. उनकी दूसरी गलती थी मॉक टेस्ट न देना और सीधे पेपर देने पहुंच जाना. वैशाली ने अगली बार से अपनी गलतियां सुधारी और परीक्षा के दो महीने पहले से अपनी बायोलॉजिकल क्लॉक भी ताकि परीक्षा देते समय चैतन्य रहें. हालांकि वे ये भी कहती हैं कि सबकी बॉडी की अपनी जरूरतें होती हैं, जिनके मुताबिक ही हमे चलना चाहिए. बॉडी जो कहे उसे सुनो.


 


ऐसे पायी वैशाली ने सफलता –


वैशाली सफलता के टिप्स देते हुये कहती हैं, इस परीक्षा में पास होने के लिए हार्डवर्क के साथ ही स्मार्ट वर्क की भी बहुत जरूरत होती है. बिना स्ट्रेटजी या प्लानिंग के पढ़ाई करेंगे तो कहीं नहीं पहुंच पाएंगे और तो और कोर्स खत्म करना ही मुश्किल हो जाएगा. पढ़ाई शुरू करने से पहले ठीक से स्ट्रटेजी बनाएं और उसका पालन करें. प्री और मेन्स का कोर्स इंटीग्रेटेड होता है इसलिए दोनों की तैयारी साथ करें और कोशिश करें की प्री के पहले अपना ऑप्शनल खत्म कर लें. वैशाली ने अपना ऑप्शनल लॉ ही रखा था. वे आगे कहती हैं आंसर राइटिंग स्किल सुधारें जैसे अगर पर्सनली उनकी बात करें तो वे कोई भी उत्तर बहुत लंबा लिखती थीं, उन्होंने कम शब्दों में अपनी बात कहना सीखा. इसके अलावा अन्य जरूरी टिप्स हैं कि प्री और मेन्स दोनों के पहले खूब मॉक दें. अपनी स्ट्रेंथ पर फोकस करने के बजाय वीकनेस पर फोकस करें और उन्हें चुन-चुनकर खत्म करें.


वैशाली का पढ़ाई का कोई शेड्यूल नहीं था पर वे 24 घंटे में 9 से 12 घंटे जरूरत और प्लान के मुताबिक पढ़ाई करती थी. उनको ट्रैवलिंग करना बहुत पसंद है इसलिए जब बहुत बोर हो जाती थीं तो अपनी हॉबीज़ को भी समय देती थी. वैशाली बाकी कैंडिडेट्स को यही सलाह देती हैं कि इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए नॉलेज और स्ट्रेटजी दो ही रास्ते हैं. इसके साथ ही पुराने पेपर्स खूब देखें, अगर आप परीक्षा का पैटर्न समझ गए थे समझ लीजिए आधी जंग जीत ली. अपने आप से ईमानदार रहें और तैयारी के बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें. चाह लेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी.


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