IAS Success Story: बार-बार हुए असफल पर नहीं मानी हार, वर्जीत वालिया का सपना यूं हुआ साकार
अपने चौथे अटेम्पट में IAS पद पाने वाले वर्जीत वालिया बार-बार मिलने वाली असफलताओं से निराश नहीं हुए बल्कि अपनी कमियों को पहचानकर उन्हें दूर करते गए. यही बना उनका सक्सेस मंत्र.
Success Story Of IAS Topper Varjeet Walia: जालंधर के वर्जीत वालिया की यूपीएससी जर्नी आसान नहीं थी. यूं तो यूपीएससी परीक्षा पास करना अपने आप में काफी चुनौतीपूर्ण काम है पर वर्जीत की कहानी कुछ ज्यादा ही अलग है. हां, इस कहानी में कुछ खास है तो वो है वर्जीत का जज्बा जो कभी फीका नहीं पड़ा. शुरू से लेकर अंत तक वर्जीत अपनी कमियों को देखकर दूर करते रहे और हर बार अपने पुराने प्रदर्शन को उन्होंने सुधारा. पहले अटेम्पट से चौथे अटेम्पट तक का उनका सफर किसी के लिए भी प्रेरणा बन सकता है क्योंकि जितने उतार-चढ़ाव उन्होंने इस दौरान देखें सामान्यतः लोग हैंडल नहीं कर पाते हैं. आज जानते हैं वर्जीत की कहानी.
पहले अटेम्पट के बाद बदला ऑप्शनल –
केमिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन करने के बाद वर्जीत तय कर चुके थे कि उन्हें सिविल सर्विसेस के क्षेत्र में ही जाना है. साल 2013 से उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी और 2014 में उन्होंने अपना पहला अटेम्पट दिया. इस समय उनका ऑप्शनल सोशियोलॉजी था. इस परीक्षा में वर्जीत प्री में तो सेलेक्ट हो गए पर उसके आगे नहीं बढ़ पाए. उनके मन में यह बात कहीं गहरे बैठ गयी की पूरे साल की पढ़ाई में से करीब 60 प्रतिशत हिस्सा उन्होंने सोशियोलॉजी को दिया फिर भी सेलेक्ट नहीं हो पाए इसलिए अब वे अपना ऑप्शनल बदलेंगे. लोगों ने खूब मना किया पर वर्जीत नहीं माने और अगले साल ऑप्शनल बनाया फिजिक्स को. उसी साल परीक्षा पैटर्न में भी कुछ बदलाव हुआ था जिससे वर्जीत की मेहनत चार गुना बढ़ गयी. और तो और मेन्स परीक्षा के समय तक वे अपने ऑप्शनल यानी फिजिक्स का 70 प्रतिशत सिलेबस ही खत्म कर पाए थे. इस साल उन्हें चयन की बिलकुल उम्मीद नहीं थी पर पता नहीं कैसे वे सेलेक्ट हो गए और रैंक मिली 577. इसके तहत उन्हें इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस मिली, जिससे एक्स्ट्राऑर्डिनेरी लीव लेकर उन्होंने फिर से परीक्षा की तैयारी की.
पूरी कोशिश की लेकिन हो गए फेल –
यह वर्जीत का तीसरा अटेम्पट था और जैसा कि उन्हें हमेशा से आदत थी वे अपनी गलतियों को पहचानकर उन्हें दूर करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते थे, वैसा ही उन्होंने इस बार भी किया. इस स्टेज तक आते-आते वर्जीत की तैयारी भी काफी पक्की हो गयी थी और वे अपनी इस जर्नी में निरंतर निखर रहे थे लेकिन वर्जीत को दूसरा बड़ा झटका तब लगा जब साल 2016 के अपने तीसरे प्रयास में, जिसमें उन्होंने अपना सबकुछ झोंक दिया था, उनका सेलेक्शन नहीं हुआ. वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि कहां कमी रह गयी. हालांकि इस पड़ाव तक आते-आते वर्जीत अपने स्ट्रेस को संभालना सीख चुके थे. उन्हें बहुत देर किसी असफलता का दुख मनाने में रुचि नहीं थी. इसलिए पिछली असफलता की धूल झाड़कर वे फिर से तैयारियों में लग गए. साल 2017 में अंततः वर्जीत के सालों की मेहनत का परिणाम उन्हें मिला जब 21वीं रैंक के साथ उनका सेलेक्शन हो गया. इन दोनों ही सालों में वर्जीत ने अपना ऑप्शनल फिजिक्स ही रखा.
वर्जीत का अनुभव –
वर्जीत कहते हैं यह परीक्षा बहुत अनप्रिडिक्टेबल है, कभी कुछ भी हो सकता है इसलिए इससे दिल न लगाएं. सफल हुए तो अच्छा लेकिन असफल हुए तो भी उसका बोझ न लादें क्योंकि इस परीक्षा की तैयारी हर कदम पर आपको इतना मजबूत बना देती है, इतना निखार देती है कि सेलेक्ट नहीं भी हुए तो आपके हाथ खाली नहीं रहेंगे. आप इन सालों में एक इंसान के तौर पर बहुत परिपक्व हो चुके होंगे जो तैयारी की शुरुआत से अंत तक एकदम अलग पर्सनेलिटी बन चुका है. वर्जीत आगे कहते हैं किसी की बातों में न आएं और ऑप्शनल चुनने में जल्दबाजी न करें. पहले एक महीने परीक्षा से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज जान-समझ लें उसके बाद ऑप्शलन का चुनाव अंत में करें. इससे आपको अपने निर्णय पर आगे पछतावा नहीं होगा. अगर सेलेक्शन नहीं होता है तो देखें कि कहां गलती रह गयी है उसे दूर करें. निराशावादी लोगों से दूर रहें जो बात-बात पर यही कहते हैं कि इसका तो कुछ हो ही नहीं सकता ये सालों से यूपीएससी की तैयारी कर रहा है या कर रही है. आपको अपने सपने को लेकर मन में कोई शंका नहीं होनी चाहिए, बाकी कोई क्या कहता है, इससे फर्क नहीं पड़ता. इस परीक्षा के लिए मेंटल स्टेबिलिटी भी बहुत जरूरी है क्योंकि चाहे एक बार में सेलेक्शन हो या चार बार में प्रेशर हर किसी को झेलना पड़ता है. अपने केस में वर्जीत चार सालों में उस पड़ाव पर आ गए थे जहां चयनित हों या न हों उन्हें फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि वे जानते थे कि उन्होंने प्रयास में कहीं कमी नहीं रखी है.
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