Success Story Of IAS Topper Varjeet Walia: वर्जीत वालिया ने साल 2017 में अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा 21वीं रैंक के साथ टॉप की थी. यूं तो हर यूपीएससी कैंडिडेट की जर्नी तमाम उतार-चढ़ाव भरी होती है लेकिन वर्जीत के संघर्ष काफी अलग थे. वे कभी प्री स्टेज से बाहर होते थे तो कभी इंटरव्यू राउंड तक पहुंचकर भी असफल हो जाते थे. कभी उन्होंने ऑप्शनल बदला तो कभी स्ट्रेटजी, पर सफलता उनसे कोसों दूर थी. इन सालों में वर्जीत ने कैसे अपना धैर्य बनाए रखा और अंततः कैसे एग्जाम क्लियर किया. आइये जानते हैं.
ऐसा था यूपीएससी सफर –
वर्जीत, यूपीएससी के क्षेत्र में आने के पहले केमिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन कर चुके हैं. कुछ कारणों से उन्होंने इस ओर रुख किया. एक से डेढ़ साल की तैयारी के बाद पहला अटेम्प्ट दिया. इस अटेम्प्ट में वर्जीत का ऑप्शनल सोशियोलॉजी था. उन्होंने इन डेढ़ सालों में अपना अधिकतर वक्त ऑप्शनल की तैयारी में इनवेस्ट किया. वर्जीत उस समय शॉक्ड रह गए जब पूरी जी-जान लगाने के बाद भी उनका मेन्स क्लियर नहीं हुआ. उन्हें लगा कि इसके पीछे दोष ऑप्शनल का है क्योंकि इतनी मेहनत के बाद भी वे मेन्स क्लियर नहीं कर पाए. बिना अंक देखे उन्होंने अगले प्रयास के लिए ऑप्शनल बदल दिया. इसके बाद के अटेम्प्ट में भी वर्जीत सफल नहीं हुए.
इस प्रकार कभी वे प्री में अटके तो कभी मेन्स में. पहली बार उनका सेलेक्शन तीसरे अटेम्प्ट में हुआ और रैंक आयी 577. वर्जीत इस रैंक से खुश नहीं थे इसलिए उन्होंने फिर से परीक्षा दी और इस बार उन्होंने 21वीं रैंक के साथ एग्जाम टॉप किया. पहले अटेम्प्ट के बाद वर्जीत ने अपना ऑप्शनल बदला और बाकी के प्रयासों में उनका ऑप्शनल फिजिक्स रहा.
यहां देखें वर्जीत वालिया द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया इंटरव्यू -
वर्जीत का अनुभव –
वर्जीत दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि परीक्षा की तैयारी में शुरुआत में थोड़ा वक्त खर्च करें और जल्दबाजी न करें. सबकुछ ठीक से पता करने के बाद ही आगे बढ़ें. यही रवैया ऑप्शनल के लिए भी अपनाएं. कभी किसी की बातों में न आएं और न ही किसी और के अनुभव के आधार पर वैकल्पिक विषय चुनें. पहले विषय के बारे में ठीक से मालूमात कर लें उसके बाद ही फाइनल सेलेक्शन करें.
यह याद रखें कि ये परीक्षा बहुत अनप्रिडिक्टेबल है, जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है. इसलिए यहां मिलने वाली असफता को दिल से न लगाएं. सफल हुए तो अच्छा लेकिन असफल हुए तो भी उसका बोझ न लादें, क्योंकि इस परीक्षा की तैयारी हर कदम पर आपको इतना मजबूत बना देती है, इतना निखार देती है कि सेलेक्ट नहीं भी हुए तो भी आप इन सालों में एक इंसान के तौर पर बहुत परिपक्व हो चुके होंगे.
एक बात का ध्यान और रखें कि कई बार इस एग्जाम में सफलता पाने में कई सालों का समय लग जाता है. ऐसे में धैर्य न खोएं और केवल इस बात पर फोकस करें कि आप अपना कर्म ईमानदारी से करें, रिजल्ट को ईश्वर पर छोड़ दें. कई बार सारे प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती, ऐसे में आप कुछ नहीं कर सकते. अपनी कमियों को देखें और उन्हें दूर करते जाएं. निराश न हों क्योंकि निराशा से कुछ हासिल नहीं होगा. जितनी जल्दी पिछली असफलता की धूल झाड़कर अगली की तैयारी में लग जाएंगे उतना अच्छा रहेगा. वर्जीत के हिसाब से तीन चीजें सफलता के लिए जरूरी हैं, वह है कड़ी मेहनत, धैर्य और निरंतरता. रोज थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ें लेकिन क्रम न टूटने दें. उनका मानना है कि ईमानदार प्रयास से मंजिल जरूर मिलती है.
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