Success Story Of IAS Topper Yashni Nagrajan: अक्सर यूपीएससी परीक्षा को लेकर कैंडिडेट्स को यह लगता है कि ये परीक्षा इतनी कठिन है कि इसकी तैयारी अलग से और फुल टाइम ही की जानी चाहिए. यहां तक कि कई बार फुल टाइम तैयारी करके भी कैंडिडेट सेलेक्ट नहीं हो पाते. यशिनी नागराजन भी एक ऐसी ही कैंडिडेट हैं जिन्होंने तैयारी के लिए कभी नौकरी नहीं छोड़ी. हालांकि ऐसे में तैयारी करना मुश्किल होता है पर नामुमकिन नहीं. आज जानते हैं यशिनी से उनकी तैयारी के टिप्स.


नौकरी के साथ टाइम मैनेजमेंट है बहुत जरूरी –


यशिनी इस बारे में बात करते हुए एक साक्षात्कार में कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि नौकरी के साथ तैयारी की नहीं जा सकती लेकिन ऐसी कंडीशन में टाइम मैनेजमेंट थोड़ा ज्यादा देखना पड़ता है. अपना उदाहरण देते हुए वे कहती हैं कि जॉब के बावजूद वे दिन के चार से पांच घंटे तो पढ़ाई के लिए निकाल ही लेती थी. अगर इंसान चाहें तो समय निकाल सकता है. यशिनी अपना हर चीज का शेड्यूल बना लेती थी और उसी के अनुसार काम करती थी. वीकेंड्स पर यानी शनिवार, रविवार को वे पूरे-पूरे दिन पढ़ती थी. इस प्रकार टाइम-टेबल बनाकर और टारगेट सेट करके यशिनी ने पढ़ाई की और अपने समय को जहां तक संभव हुआ वेस्ट होने से बचाया. प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीनों के पहले उन्होंने जरूरत के हिसाब से छुट्टी ली लेकिन बाकी तैयारी नौकरी के साथ ही की.


चौथे प्रयास में हुईं सफल –


यशिनी को यह सफलता चौथे प्रयास में मिली है. इसके पहले वाले प्रयास में भी वे चयनित हुईं थी पर उस समय उनकी रैंक आई थी 834. वे अपनी इस रैंक से संतुष्ट नहीं थी इसलिए उन्होंने दोबारा प्रयास किया. इसके पहले के प्रयासों में उनका प्री भी नहीं हुआ था. हालांकि यशिनी ने अपनी गलतियों से सीखा और अगले अटेम्पट्स में उन्हें नहीं दोहराया. सफलता पाने में इतनी देर लगने के मुद्दे पर यशिनी कहती हैं कि इस परीक्षा में कई बार ऐसा हो जाता है इसलिए जरूरी है कि कैंडिडेट हिम्मत न हारे. यहां सफलता आसानी से नहीं मिलती पर ऐसे में खुद को मोटिवेटेड रखना जरूरी है. यशिनी अपना केस बताते हुए कहती हैं कि वे हमेशा से एकेडमिक्स में बहुत अच्छी थी और उनके अंक बहुत अच्छे आते थे. यहां तक कि उन्होंने सीबीएसई बोर्ड में बारहवीं में मेरिट लिस्ट में भी जगह बनाई थी. ऐसे में जब यूपीएससी में उनका प्री में भी सेलेक्शन नहीं हुआ तो वे बेहद हताश हो गईं थी और उन्हें यह समझने में समय लगा कि बाकी परीक्षाओं में और यूपीएससी में फर्क होता है. आखिरकार कुछ समय में उन्होंने खुद को इसके लिए तैयार कर लिया.


असफलता के कारण –


यशिनी कहती हैं कि किसी भी कैंडिडेट को परीक्षा में असफल होने पर अपने वीक प्वॉइंट्स आइडेंटिफाई करने चाहिए और उन्हें दूर करना चाहिए. साक्षात्कार में आगे बात करते हुए वे कहती हैं कि जैसे उनकी बहुत बड़ी कमी थी ऑप्शनल की. उन्होंने गलत ऑप्शनल चुन लिया था क्योंकि उनके सारे दोस्त वही चुन रहे थे. तीन बार उन्होंने उसी ऑप्शनल के साथ परीक्षा दी और चौथी बार में उसे बदला. वे कहती हैं किसी भी कैंडिडेट के लिए ऑप्शनल का चुनाव बहुत ज्यादा जरूरी है इसलिए सोच-समझकर इसे चुनें. अगर कंफ्यूजन हो तो जीएस की मदद लें. उसे पढ़कर देखें कि किस विषय में रुचि आ रही है. इसके बाद भी समझ न आए तो पिछले सालों के प्रश्न-पत्र देख लें. इनकी सहायता से आप तय कर सकते हैं कि कौन सा विषय आपके लिए ठीक रहेगा. किसी की देखा-देखी निर्णय न लें. इसके साथ ही टॉपर्स के इंटरव्यू देखें इनसे मदद मिलती है और मार्गदर्शन भी.


ऑनलाइन है बहुत मैटीरियल वो भी फ्री में –


यशिनी कहती हैं दूसरी जरूरी चीज है तैयारी के लिए करेंट अफेयर्स की बुकलेट और मॉक टेस्ट. इन दोनों का बहुत ध्यान रखें. इसके साथ ही यशिनी कहती हैं कि जरूरी नहीं ऑनलाइन मैटीरियल पाने के लिए पैसे खर्च किए जाएं, सच तो यह है कि न जाने कितनी साइट्स हैं जो फ्री में और अच्छा मैटीरियल उपलब्ध कराती हैं. दूसरी जरूरी बात यह है कि केवल मॉक टेस्ट देने से काम नहीं चलता. स्टूडेंट्स को उसको एनालाइज भी करना चाहिए कि जो आंसर उन्होंने लिखे हैं और जो मॉडल आंसर में हैं उनमें क्या फर्क है. अपने आंसर्स को उसी लेवल का बनाएं. संभव हो तो डायग्राम्स और फ्लोचार्ट की मदद लें.


अंत में यशिनी यही कहकर अपनी बात खत्म करती हैं कि अगर सही दिशा में सही मार्गदर्शन के साथ बढ़ेंगे और जितना पढ़ेंगे मन लगाकर पढ़ेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब मंजिल आपके कदमों में होगी.



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