Success Story Of IRS Poonam Dahiya: एक दो नहीं पूरे तीन बार यूपीएससी की परीक्षा पास कर चुकी आईआरएस अधिकारी पूनम दहिया के परीक्षा की तैयारी को लेकर विचार बिल्कुल अलग हैं. जहां हम आज तक यही सुनते आये हैं कि इस कठिन परीक्षा में सफल होने के लिये कैंडिडेट को दिन-रात एक कर देने पड़ते हैं और एक दिन में 14 से 16 घंटे पढ़ाई करनी होती है, वहीं पूनम दहिया का मानना है कि घंटे नहीं नियमित पढ़ाई करना जरूरी है. उनका मानना है कि दिन में 6 से 7 घंटे पढ़ाई करके भी यह परीक्षा पास की जा सकती है बशर्ते पढ़ाई नियमित रूप से की जाए.
कम पढ़िये पर रोज़ पढ़िये, यही ट्रिक उनके अनुसार इस परीक्षा की तैयारी के लिये काम आती है. हरियाणा के झज्जर जिले की पूनम ने इसी फॉर्मूला पर हमेशा पढ़ाई की और सफलता भी हासिल की. उनका कहना है कि वे उस तरीके को बिल्कुल सपोर्ट नहीं करतीं, जहां कैंडिडेट्स एक दिन तो 18 घंटे पढ़ लेते हैं फिर दो दिन का गैप कर देते हैं. फिर एक दिन 20 घंटे पढ़ लिया और तीन दिन किताब को हाथ नहीं लगाया. वे कहती हैं भले आप 6 घंटे पढ़ें पर रोजाना पढ़ें.
पूनम थीं पहले प्राइमरी टीचर –
आईआरएस अधिकारी बनने से पहले पूनम दिल्ली के एक स्कूल में प्राइमरी टीचर थीं. उस समय वे 21 साल की थीं. इसके बाद उन्होंने बैंक पीओ का फॉर्म भरा, वो भी क्लियर हो गया और उन्होंने कुछ समय बैंक की नौकरी की. इसके बाद पूनम ने एसएससी परीक्षा दी और ऑल ओवर इंडिया में 7वीं रैंक पाई. इसके बाद भी उनका मन नहीं भरा, उनके सपने कहीं ज्यादा बड़े थे. ऐसे में पूनम ने 28 साल की उम्र में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी. उनका चयन तो हो गया पर रैंक कम आने से उन्हें रेलवे (आरपीएफ) मिला, इसमें उन्हें रुचि नहीं थी. उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और दूसरी बार भी इसे पास कर लिया, लेकिन रैंक के कारण एक बार फिर उन्हें रेलवे में ही दूसरी सेवा (आईआरपीएस) मिली. तीसरी बार में वे आईआरएस ऑफिसर बन पायीं.
एक समय खत्म हो गया था यूपीएससी का सफर –
पूनम ने एक साक्षात्कार में बताया कि साल 2011 में उन्होंने तीसरी बार यह परीक्षा दी और प्री-परीक्षा पास नहीं कर पायीं. यहीं से उनका यूपीएससी का सफर खत्म हो गया था. इसके बाद उन्होंने हरियाणा सिविल सर्विसज़ पास करके हरियाणा पुलिस में नौकरी कर ली. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था. कुछ सालों के बाद उन्हें एक नोटिस मिला जिसमें लिखा था कि चूंकि साल 2011 में यूपीएससी के परीक्षा सिलेबस में कुछ बदलाव थे, इसलिये उस साल के कैंडिडेट्स को परीक्षा देने का एक मौका और दिया जाएगा.
बस यहीं से पूनम की लाइफ ने यूटर्न ले लिया. इस नोटिस से मिले मौके को कैश कराते हुये उन्होंने साल 2015 में फिर से परीक्षा दी और सेलेक्ट हो गयीं. काबिले-तारीफ बात यह है कि जब पूनम ने प्री परीक्षा दी, उस समय वे नौ महीने की गर्भवती थीं और जब मेन्स एग्जाम दिया उस समय उनका बेटा ढ़ाई महीने का था. लेकिन किसी भी वजह से वह नहीं रुकीं और अच्छी रैंक पाकर आईआरएस ऑफिसर बन गईं. पूनम कहती हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिये सबसे जरूरी है आत्मविश्वास. आप जितने बड़े पद के लिये परीक्षा दे रहे हैं, उसे संभालने के लिये उतना ही बड़ा कॉन्फिडेंस भी आप में होना चाहिए.
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