Success Story: जुनून के लिए छोड़ी लाखों रुपये की जॉब, आज फ्री में बच्चों को शिक्षा दे रहीं रोशनी
2017 में रोशनी ने अपने जीवन में एक कठिन अवधि का सामना किया. इन चुनौतियों का सिर पर सामना करने के लिए, रोशनी ने 2019 में एग्जाम फियर का नाम बदलकर लर्नोहब कर दिया.
Success Story of Roshni Mukherjee: अगर इंसान किसी काम को करने की ठान ले तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत की कहानी बताएंगे जिन्होंने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा प्रदान करने की चाहत में 15 लाख रुपये की पैकेज वाली नौकरी छोड़ दी और एक प्लेटफॉर्म बनाया जहां स्टूडेंट्स को अच्छी शिक्षा मिल सके. हम बात कर रहे है लर्नहब-क्लास की संस्थापक रोशनी मुखर्जी की.
रोशनी मुखर्जी का जन्म धनबाद में हुआ था, वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं. रोशनी के माता-पिता चाहते थे उनकी बेटी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़े इसके लिए उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला पास के ही एक स्कूल में करा दिया. छोटी सी ही उम्र से रोशनी का पढ़ाई के प्रति काफी रुझान था. एक इंटरव्यू में वह बताती हैं कि स्कूल के दिनों में जब उनके जूनियर क्लास के बच्चों कुछ समझ नहीं आता तो वह उन्हें समझाती थीं, जिससे उन्हें काफी खुशी मिलती थी.
रोशनी ने हायर एजुकेशन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और यहां से फिजिक्स में डिग्री हासिल की. उन्होंने डीयू के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई की है. कॉलेज के समय में भी वह अपने दोस्तों के सवालों को हल करती थीं, उनके दोस्तों को उनका समझाने का तरीका पसंद था. कॉलेज खत्म होने के बाद उनकी नौकरी एक नामी कंपनी में लगी. बैंगलोर में लंबे समय तक जॉब करते समय भी उनके मन में यही बात थी कि उन्हें पढ़ाना है. उनकी इच्छा थी कि वह इस तरह से पढ़ाएं जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे उनसे जुड़ सकें.
बच्चों ने की तारीफ
रोशनी बताती हैं कि 2011 में अपने शौक के चलते यूट्यूब पर पढ़ाने की शुरुआत की. जॉब के साथ साथ उन्होंने एक चैनल बनाकर फिजिक्स के वीडियो उस पर पोस्ट किए. उस चैनल का नाम उन्होंने एग्जाम फियर दिया था. वह बताती हैं कि उस वक्त भारत यूट्यूब पर लर्निंग कंटेंट इतना नहीं था. साथ ही इससे पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी बेहद कम हुआ करती थी. हालांकि शुरूआत में चैनल पर कम ही बच्चे थे, लेकिन उन्हें अच्छा लगता था. आज भी उन्होंने वीडियो पर किया गया पहला कमेंट याद है. जिसमें एक छात्र ने लिखा था कि जो आपने दस मिनट में समझा दिया हमारी टीचर एक हफ्ते ने भी वह नहीं समझा पातीं. जिसके बाद उनका हौसला और बढ़ा.
4 बजे उठकर बनाए वीडियो
शुरुआत में वीडियो बनाने के लिए साधन नहीं थे. रोड के पास घर होने के चलते वाहनों का शोर भी आता था. जिसके चलते वह देर रात में वीडियो बनाती थीं, कई बार तो उन्होंने सुबह 4 बजे उठकर भी वीडियो शूट किए. रोशनी ने एक इंटरव्यू में बताया कि शुरुआत फिजिक्स से हुई लेकिन बच्चों की डिमांड पर अन्य सब्जेक्ट्स के भी वीडियो बनाए.
मोबाइल ऐप किया लॉन्च
साल 2014 में उन्होंने 15 लाख रुपये सालाना की जॉब छोड़ दी. वर्ष 2017 में काफी दिक्कतों का करना पड़ा. जिसके चलते उनके चैनल का ग्राफ नीचे गया. साल 2019 में एक्जाम फियर का नाम बदलकर लर्नोहब कर दिया. ये कदम काफी अच्छा रहा. आगे आने वाली चुनौतियों को देखते हुए रोशनी ने एक टीम बनाने का काम शुरू किया. 2021 में लर्नोहब एक व्यक्ति के संचालन से बढ़कर 30 व्यक्तियों की टीम बन गया, जिसमें नए शिक्षक और सहायक कर्मचारी शामिल थे. उन्होंने बैंगलोर में एक कार्यालय स्थापित किया और एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया, जिसने कम समय के अंदर लाखों लोगों तक रीच हासिल की. उनके प्लेटफॉर्म पर वीडियो फ्री में मौजूद हैं.
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