Success Story Of IAS Topper Shubham Bansal: आज के हमारे टॉपर शुभम बंसल की यूपीएससी जर्नी इस परीक्षा की अनिश्चित्ता का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करती है. यहां इस बात पर चर्चा तो बहुत होती है कि इस परीक्षा के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन शुभम ने इस चीज को केवल सुना नहीं जिया है. अपने पहले ही प्रयास में जब वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंच गए तो उनका कांफिडेंस काफी हाई था. हालांकि ईश्वर को कुछ और मंजूर था और फाइनल लिस्ट में उनका नाम नहीं आया. शुभम ने हिम्म्त नहीं हारी और दोबारा कोशिश की. लेकिन जब इस अटेम्प्ट में वे प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाए तो काफी निराश हुए. अपने सपोर्ट सिस्टम की बदौलत शुभम ने आखिरकार तीसरी कोशिश की और इस बार 43वीं रैंक के साथ टॉपर बनें. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में शुभम ने अपने इन प्रयासों के बारे में खुलकर बताया.


मैकेनिकल इंजीनियर हैं शुभम –


यूपीएससी के क्षेत्र में आने के पहले शुभम ने इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. उन्होंने दिल्ली के एक संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है. इस दौरान ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का मन बनाया और दिन-रात तैयारियों में जुट गए. पहले प्रयास में पूरा जोर लगाने का फल भी शुभम को मिला जब वे साक्षात्कार राउंड तक पहुंच गए. हालांकि चयन नहीं हुआ. इस बीच वे दूसरी परीक्षाएं भी दे रहे थे और इसी दौरान उनका सेलेक्शन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में हो गया. यहां शुभम ने कुछ समय तक जॉब किया.


इधर वे लगातार यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे थे और अटेम्प्ट्स भी दे रहे थे. पहले प्रयास में काफी लंबा सफर तय कर लेने से शुभम को विश्वास हो गया था कि अब मंजिल दूर नहीं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दूसरे प्रयास में वे बुरी तरह फेल हुए. इस प्रकार शुभम को एक साल का संघर्ष और करना पड़ा और अंततः साल 2019 में जॉब में रहते हुए शुभम ने टॉप किया.


 


यहां देखें शुभम बंसल द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू - 


शुभम की सलाह –


शुभम ने अपने अनुभव से जो सीखा उसका निचोड़ यह है कि यूपीएससी की प्री परीक्षा को कभी हल्के में न लें. यह पहली बाधा कई बार आपके लिए बहुत बड़ी हो जाती है. अगर आप कई बार यह स्टेज क्लियर कर चुके हैं और बाद में किसी कारण से दोबारा या तीसरी बार फिर से प्री देना पड़े तो उतनी ही गंभीरता से दें जैसे पहले दिया था. न जाने कितनी बार कैंडिडेट्स यहां आकर अटकते हैं जबकि आगे के चरणों में बढ़िया प्रदर्शन कर चुके होते हैं.


अपनी किताबें सीमित रखें और उन्हीं से बार-बार रिवाइज करें. क्लासरूम कोचिंग भले न लें जैसे शुभम ने भी कोचिंग नहीं ली थी लेकिन टेस्ट सीरीज जरूर ज्वॉइन करें. ये टेस्ट आपको आपकी असलियत से वाकिफ कराते हैं. एक बात का ध्यान और रखें कि पेपर गंभीरता से बिलकुल परीक्षा वाले माहौल में दें. यानी समय के अंदर शुरू करें और ऐसे लिखें जैसे यही मुख्य परीक्षा है. इससे आपका दिमाग मेन एग्जाम के लिए प्रोग्राम होता है.


कांफिडेंस रखें, खुद पर विश्वास जताएं कि तुम यह कर सकते हों लेकिन ओवर कांफिडेंट न हों. कई बार कैंडिडेट्स अति- आत्मविश्वास में मारे जाते हैं. चूंकि यह सफर लंबा है इसलिए अपने साथियों के संपर्क में बने रहें. निराशा भरे समय में ये ही आपका हाथ थामते हैं. खुद शुभम को उनके दूसरे प्रयास की असफलता से परिवार और दोस्तों ने मिलकर निकाला था.


अंत में बस इतना ही की धैर्य के साथ सही दिशा में आगे बढ़ें, जल्दी सफल न भी हों तो भी विचलित न हों और प्रयास जारी रखें. सही राह में बढ़ाया गया कदम मंजिल तक ले ही जाता है.


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