नवंबर माह के दूसरे हफ्ते में होती है, दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल दक्षिण कोरिया का सुनेयुंग एग्जाम. इसमें हर साल पांच लाख से अधिक छात्र बैठते हैं. परीक्षा नौ घंटे चलती है और इस परीक्षा में पास होना बेहतर भविष्य की गारंटी माना जाता है. इस परीक्षा के बाद तय होता है कि दक्षिण कोरिया के युवा किस यूनिवर्सिटी में जाएंगे. इसका असर भविष्य में उनकी नौकरी और होने वाली आय, यहां तक कि रिलेशनशिप्स पर भी पड़ता है. आइए जानते हैं, आखिर कैसे होता है सुनेयुंग एग्जाम.


सुनेउंग, एक एबिलिटी टेस्ट है, जो दक्षिण कोरिया के जाने-माने कॉलेज में प्रवेश दिलवाने का जरिया है. हायर एजुकेशन की इच्छा रखने वाले हर छात्र का सपना इस परीक्षा को पास करना होता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस एग्जाम के कारण यहां के युवाओं में डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं. यहां 24 साल तक के युवाओं में सुसाइड की दर पिछले पांच सालों के दौरान 10 फीसदी बढ़ गई है.


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ऐसा होता है एग्जाम का स्ट्रक्चर


सुनेयुंग एग्जाम में विभिन्न विषयों जैसे कि कोरियाई भाषा, गणित, अंग्रेजी, विज्ञान आदि शामिल होते हैं. छात्रों को इन विषयों में गहन ज्ञान होना आवश्यक होता है. परीक्षा का स्वरूप इस तरह से तैयार किया गया है कि यह छात्रों के विश्लेषणात्मक कौशल, समस्या समाधान क्षमताओं और ज्ञान के गहरे स्तर का परीक्षण करती है.


महत्व और सामाजिक प्रभाव
इस एग्जाम का परिणाम केवल शैक्षणिक सफलता तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के करियर, सामाजिक स्थिति और यहां तक कि विवाह के अवसरों पर भी प्रभाव डालता है. दक्षिण कोरिया में सुनेयुंग पास करने वाले छात्रों को समाज में उच्च सम्मान दिया जाता है, जबकि असफल छात्रों को अक्सर नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है.


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मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
हालांकि सुनेयुंग एग्जाम का महत्व बहुत अधिक है, लेकिन इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ रही हैं. कई छात्र इस परीक्षा की तैयारी के दौरान अत्यधिक तनाव और दबाव महसूस करते हैं, जो अंततः डिप्रेशन और आत्महत्या जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बनता है. दक्षिण कोरिया में युवा आत्महत्या की दर विकसित देशों में सबसे अधिक मानी जाती है और यह समस्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है.


परीक्षा के दिन विशेष व्यवस्थाएं
सुनेयुंग एग्जाम के दिन पूरे देश में विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं, ताकि छात्रों को बिना किसी रुकावट के परीक्षा देने का अवसर मिले. ट्रेनें और फ्लाइट्स का समय बदला जाता है, सरकारी कार्यालयों और बैंकों के खुलने का समय भी परिवर्तित किया जाता है. पुलिस अधिकारियों द्वारा छात्रों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने के लिए वाहन उपलब्ध कराए जाते हैं.


अब हम समझ सकते हैं कि दक्षिण कोरिया का सुनेयुंग एग्जाम न केवल एक शैक्षणिक चुनौती है, बल्कि यह समाज पर भी गहरा प्रभाव डालता है. इसकी कठिनाई और इसके परिणामों ने इसे एक ऐसा संस्थान बना दिया है, जो युवा पीढ़ी की मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है.


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