आईआईटी में पढ़ाई करने का एक गरीब दलित छात्र का सपना प्रवेश प्रक्रिया की मु​श्किल और कड़ी डेडलाइन के चलते टूट गया. अब छात्र ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद लगाते हुए दरवाजा खटखटाया है जहां से मिले जवाब से उसकी आईआईटी में पढ़ने की आस फिर से जगी है.

 

क्या है मामला

यूपी के मुजफ्फरनगर के टिटोरा गांव के रहने वाले दलित छात्र अतुल ने आईआईटी मद्रास द्वारा आयोजित कराई गई जेईई एडवांस की परीक्षा दी थी. इस परीक्षा को पास करने के बाद मजदूर पिता राजेंद्र के बेटे अतुल को आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की सीट आवंटित हो गई. इस एलाॅटमेंट को स्वीकार करने के नाम पर उन्हें जून 24 तक 17500 रुपये जमा कराने थे.

 

हालांकि गरीबी रेखा से नीचे आने वाले इस परिवार को इतनी बड़ी रकम रिजल्ट आने के चार दिन के भीतर जुटाने और उसे जमा कराने में वक्त लग गया. रा​शि जमा करने के अंतिम दिन उन्होंने किसी तरह उधार लेकर रा​शि तो जुटा ली लेकिन उसे भाई के खाते से रा​शि को जबतक वह बताए गए पोर्टल के खाते में जमा कराते, डेडलाइन पूरी हो गई.

 


 

एससी कमीशन और हाईकोर्ट भी नहीं कर सके मदद

बेटै का ख्वाब टूटता देख पिता राजेंद्र ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्होंने हाथ खड़े कर दिए. चूंकि अतुल ने झारखंड के एक केंद्र से परीक्षा दी थी ​इसलिए उन्होंने झारखंड के राज्य वि​धि सेवा प्रा​धिकरण से संपर्क किया लेकिन वहां से सलाह दी गई कि परीक्षा आईआईटी मद्रास ने कराई है इसलिए उन्हें मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी चाहिए. हालांकि हाईकोर्ट भी इसमें कुछ नहीं कर सका और मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया गया.

 

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

मामला सुप्रीम कोर्ट में भारत के चीफ ज​स्टिस डीवाई चंद्रचूड़, ज​स्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की ट्रिपल बेंच के सामने आया तो उन्होंने बेंच ने तत्काल आईआईटी मद्रास के आईआईटी प्रवेश संबंधी ​ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी से जवाब तलब किया है. अतुल और उसके परिवार के संघर्ष को ध्यान में रखते हुए चीफ ज​स्टिस ने राहत भरी बात करते हुए कहा कि वह जहां तक हो सकेगा उनकी मदद करने की को​शिश करेंगे.


दोस्तों-रिश्तेदारों से मदद लेकर पढ़ाया बेटा

याचिका पर सुनवाई के दौरान अतुल के अ​धिवक्ता ने बताया कि पिता राजेंद्र दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं. बच्चों की स्कूली पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्होंने कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों से वित्तीय मदद ली. ऐसे में संघर्षों के बीच आईआईटी की सीट सिर्फ चंद मिनटों की देरी की वजह से छूट जाना बेटे के साथ अन्याय होगा. उन्होंने याचिका में कहा कि एक्सेप्टेंस फीस के तौर पर जमा की जाने वाली रकम को उन्होंने उधार लेकर अतुल के भाई के बैंक खाते में 4:45 बजे तक जुटा लिया था लेकिन उसे पांच बजे से जमा नहीं करा सके.

 


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