What Does NTA Says In Supreme Court On NEET UG 2024 Case: नीट यूजी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और बहस व दलीलों के बीच एनटीए ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है. कोर्ट ने एजेंसी से कई सारे सवाल भी पूछे और टॉप करने वाले 100 छात्रों के डिटेल भी मांगे गए. कुछ ही देर में लंच के बाद कोर्ट में फिर से सुनवाई चालू होगी. इस बीच एनटीए ने कुछ ऐसी बातें कही हैं जिनके बारे में जानना सभी कैंडिडेट्स के लिए जरूरी है. खासकर उनके लिए जो परीक्षा कैंसिल करने की मांग कर रहे हैं.
कुछ छात्रों को नहीं कइयों को मिले अंक
एनटीए ने कहा कि जिन कैंडिडेट्स ने अच्छे मार्क्स पाए हैं, उसे नीट परीक्षा का सिस्टेमेटिक फेलियर नहीं कहा जा सकता. दरअसल सुनवाई के दौरान ये मुद्दा भी उठा कि टॉप करने वाले या 720 में से 720 अंक पाने वाले कैंडिडेट एक ही राज्य या किसी खास वर्ग या रोल नंबर के नहीं हैं. ऐसे में इस आरोप की जांच ठीक से होनी चाहिए.
सिलेबस हुआ कम
एनटीए ने ये भी कहा कि इस बार नीट सिलेबस में 25 परसेंट की कटौती हुई है. इसलिए भी कैंडिडेट्स ने एग्जाम में अच्छा स्कोर किया है. अच्छे स्कोर को इस तरह न देखा जाए कि किसी गड़बड़ी या धांधली की वजह से ऐसा हुआ है.
लीक हुए वीडियोज पर एनटीए का कहना है कि ये वीडियो जो सोशल मीडिया ऐप्स पर सर्कुलेट हो रहे हैं, ये ऐसे ही बनाए गए हैं ताकि पेपर लीक की पूरी कहानी सुनायी जा सके. इन्हें एडिट करके कैंडिडेट्स को भड़काने और अफवाह फैलाने के हिसाब से डिजाइन किया गया है.
गिरफ्तारी को न जोड़ें पेपर लीक से
एनटीए ने टॉपर्स के सवाल पर भी ये कहा कि ये एकदम सही है और इस पर किसी प्रकार का सवाल नहीं उठाना चाहिए. जहां तक बिहार के पटना और राजस्थान के सवाई माधेपुर से हुई गिरफ्तारियों की बात है तो ये गलत कामों में लगे कैंडिडेट्स के लिए है, इसका पेपर लीक से कोई संबंध नहीं.
एनटीए ने ये भी कहा कि सीबीआई अपना काम कर रही है और अभी ये कहना गलत होगा कि डिजर्विंग कैंडिडेट्स को मौका नहीं मिला क्योंकि ये सेलेक्शन प्रोसेस पूरी तरह रैंक पर आधारित है.
कोर्ट को दिखाया गया बढ़ा हुआ सिलेबस
जहां एनटीए का कहना है कि नीट का सिलेबस कम किया गया है वहीं याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने कोर्ट के सिलेबस दिखाया और ये कहा कि सिलेबस बढ़ गया है. इस बीच आईआईटी की रिपोर्ट को झूठा कहने पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी. मामले की सुनवाई के दौरान आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट को गलत कहने पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी और कहा कि आप बिना किसी ठोस आधार के किसी संस्थान की रिपोर्ट को गलत नहीं कह सकते.
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