Teachers Day 2022: पुणे से करीब 60 किलोमीटर पूर्व में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जो पिछले 20 सालों से बंद नहीं हुआ है. इस स्कूल में 356 दिन छात्रों को पढ़ाया जाता है. ये प्राथमिक विद्यालय एक छोटे से गांव करदेलवाड़ी में स्थित है जो साल के हर एक दिन छात्रों के लिए खुलता है और इसमें 2001 के बाद से छुट्टी नहीं हुई है. यह समझने के लिए कि यह स्कूल साल में 365 दिन कैसे काम करता है, नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की टीम इस साल दो बार इस स्कूल का दौरा कर चुकी है.


शित्रिका को मिला है राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सरकारी स्कूल एक शिक्षक दंपति, दत्तात्रेय और बेबिनंदा सकात द्वारा चलाया जाता है, दोनों जिला परिषद शिक्षक हैं. ये दोनों साल 2001 में स्कूल में नियुक्त हुए थे. तब से ये स्कूल ने पिछले 20 सालों में कभी भी छात्रों के लिए एक भी दिन के लिए बंद नहीं हुआ है. साथ ही, दत्तात्रेय और बेबिनंदा सकात ने तब से कभी छुट्टी नहीं ली है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्कूल में कभी भी छुट्टी न हो, ये शिक्षक शादियों और अंतिम संस्कारों से पूरी तरह से परहेज करते हैं. इन शिक्षकों के प्रयासों के लिए स्कूल को कई इनाम भी मिल चुके हैं. इस स्कूल को जिला परिषद, राज्य सरकार और केंद्र सरकार भी मिल चुका है. साथ ही बेबिनंदा को राष्ट्रपति से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार भी मिला है. 


पेंटिंग, नेट सर्फिंग और म्यूजिक आदि सिखते हैं छात्र


इस स्कूल के बारे में शिक्षक दत्तात्रेय ने बताया, "मुझे दूसरे स्कूल में 11 साल की सेवा के बाद यहां ट्रांसफर किया गया था. मैं चार कमरों वाली एक पुरानी एक मंजिला इमारत स्कूल में आया था. उस दौरान इस स्कूल में छात्र कम थे. स्कूल की हालत भी खराब थी. हमने छोटी-छोटी चीजों जैसे बागबानी, दीवारों पर चित्र बनाना, मिट्टी से खिलौने बनाना, स्कूल के रंग-रूप और वातावरण को जीवंत बनाने के साथ शुरुआत की. इसके बाद हमने देखा कि बच्चे गतिविधियों में रुचि ले रहे हैं. इसलिए हमने उन्हें पाठ्य शिक्षा के साथ अन्य क्रियाकलाप सिखाने का फैसला किया."


सकत दंपति ने छात्रों के लिए मुफ्त में विशेष गतिविधियां आयोजित करना शुरू किया. इस स्कूल में छात्र पेंट करते हैं, स्केच बनाते हैं, फिल्में या नाटक देखते हैं, मिट्टी के सामान बनाते हैं. इसके अलावा इस स्कूल में इंटरनेट पर सर्फिंग के साथ-साथ संगीत भी सिखाया जाता है. वहीं शिक्षिका बेबिनंदा ने कहा कि, यहां सिर्फ औपचारिक शिक्षा नहीं मिलती. हम छात्रों बालभारती पाठ्य पुस्तक के अनुसार पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं. हालांकि यह एक मराठी माध्यम का स्कूल है. हम छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं और यहां तक ​​कि सीबीएसई, आईसीएसई की पाठ्य पुस्तक भी पढ़ाई जाती हैं.


जानकारी के अनुसार कुछ गांववालों ने स्कूल को पुराने कंप्यूटर, एलसीडी स्क्रीन और एक एयर कंडीशनर दान दिया है. शिक्षक दंपति ने एक कमरे को एक प्रयोगशाला में बदल दिया, जहां छात्र या तो खेल खेलते हैं या अब शिक्षकों द्वारा चुने गए विषयों पर इंटरैक्टिव लेक्चर के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.


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