बच्चे जब पढ़ाई में अच्छा करते हैं तो उनका कांफिडेंस बढ़ता है. एक बार अच्छे अंक लाने से वे बार-बार ऐसा करने के लिए प्रेरित होते हैं. इसी तरह जब वे क्लास में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और टीचर के सवालों का जवाब भी देते हैं तो न केवल उनकी नॉलेज बढ़ती है बल्कि अलग पहचान भी बनती है. इससे बच्चों को और अच्छा करने के लिए मोटिवेशन मिलता है. इसके उलट जब वे क्लास में ध्यान नहीं दे पाते या मुश्किल से पास होते हैं तो उनका मन पढ़ाई से हटने लगता है. कुछ छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए मोटिवेट कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स पाने में मदद भी कर सकते हैं.
बच्चे के साथ इंवॉल्व रहें
स्कूल या ट्यूशन कितना भी अच्छा हो लेकिन मां-बाप में से किसी एक का बच्चे के साथ पर्सनली इंवॉल्व होना बहुत जरूरी है. अगर ऐसा रोज हो सकता है तो बहुत अच्छी बात है वरना हर दो दिन में बच्चे के साथ बैठें, उसकी कॉपियां, होमवर्क सब देखें. जहां समस्या आ रही हो उसे दूर करने में उसकी मदद करें और जरूरत लगे तो किसी खास सब्जेक्ट या टॉपिक या बच्चे की किसी समस्या को लेकर उसके टीचर से भी बात करें.
काम पूरा होना चाहिए
बच्चे की क्लास में सफलता या वो कितना अटेंटिव है इस बात का पहला पता इसी बात से चलता है कि उसकी कॉपियों में या वर्कबुक में काम पूरा है या नहीं. अगर है तो टीचर ने उसे चेक किया है या नहीं. रोज के रोज बच्चे की कॉपियां देखें और उससे पूछते चले कि पढ़ाई कैसी चल रही है, कहां दिक्कत आ रही है या कहां उसे मदद की जरूरत है.
टीचर के लगातार संपर्क में रहें
बच्चे दिन का ज्यादा एक्टिव वक्त स्कूल में बिताते हैं. ऐसे में उनके टीचर्स से लगातार कांटैक्ट में रहें. वो कैसा कर रहे हैं, उनके दोस्त कैसे हैं, वो क्लास में जवाब देते हैं या नहीं, किस एरिया में सुधार की जरूरत है और कौन सा एरिया उनका स्ट्रांग है, ऐसे कई मुद्दों पर बात करते रहें. पेरेंट्स, टीचर मीटिंग में जरूर जाएं.
रोज के रोज हो टारगेट पूरा
क्लास में एक्सेल करने के लिए जरूरी है कि बच्चा रोज पढ़ाई करे. ताकि एग्जाम के समय उस पर एक्स्ट्रा प्रेशर भी न आए और रोज पढ़ाया जाने वाला उसी समय क्लियर हो जाए. पेंडिंग वर्क न रहें न लिखने के लिए न समझने के लिए. कोई कंफ्यूजन हो तो तुरंत ही दूर करा लें. रोज का रोज याद करते या समझते चलें और अगले दिन की हल्की सी तैयारी करके स्कूल जाएं.
स्कूल मिस न करें
क्लास में अच्छा करने की पहली शर्त यही होती है कि बच्चे स्कूल मिस न करें. इस बात का ध्यान रखें कि कोई बड़ी वजह न हो तो बच्चे का स्कूल मिस न कराएं. उसे पढ़ाई के अलावा भी बाकी एक्टिविटीज में इंवॉल्व होने के लिए प्रेरित करें. उसे मेहनत करने के लिए कहें लेकिन रिजल्ट को लेकर प्रेशर क्रिएट न करें.
कुछ छोटी बातों का ध्यान रखें
बच्चे की नींद पूरी हो रही है, वह ठीक से नाशता करते स्कूल जा रहा है. टिफिन में हेल्दी खाना ही खा रहा है और खेलकूद में भी भाग ले रहा है. इन सब छोटी लेकिन जरूरी बातों का पूरा ध्यान रखें. इससे बच्चा कॉन्सनट्रेट कर पाता है और पढ़ाई में अच्छा परफॉर्म करके क्लास में टॉप पोजीशन पर आता है.
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