UGC Guidelines Live Updates: सुप्रीम कोर्ट का यूजीसी को नोटिस, 31 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
फाइनल ईयर परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विश्विद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को जवाब देने के लिए कहा है. शुक्रवार, 31 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं याचिकाओं में बिहार और असम में बाढ़ की वजह से पैदा हुईं लाखों छात्रों की परेशानियों और कोरोना वायरस महामारी के चलते यूनिवर्सिटीज के एग्जाम रद्द करने के फैसले समेत कई मुद्दे उठाए गए हैं.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने यूजीसी के खिलाफ इन याचिकाओं पर केन्द्र और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से जवाब तलब किया है.
UGC ने शुक्रवार को बंबई हाईकोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कोविड-19 महामारी के बीच अंतिम साल की परीक्षाएं निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है. सेवानिवृत्त शिक्षक और पुणे से विश्वविद्यालय सीनेट के पूर्व सदस्य धनंजय कुलकर्णी की याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया गया. याचिका में परीक्षाएं निरस्त करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गयी है.
अदालत के जरिए एक छात्र ने गुहार लगाई है कि यूजीसी को निर्देश दिया जाए कि वह भी सीबीएसई मॉडल को अपनाए और छात्रों को बिना परीक्षा के उनके इंटरनल असेसमेंट के आधार पर पास करे.
फाइनल ईयर के एगजाम्स को रद्द करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह केंद्र सरकार को चिट्ठी लिख चुके हैं. इनके अलावा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी भी इन परीक्षाओं को इस महामारी के बीच कराने को लेकर विरोध कर चुके हैं.
अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देश के सभी विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सिंतबर से पहले आयोजित किए जाएं.
यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को फाइनल ईयर के एग्जाम 30 सितंबर तक कराने के लिए कहा है. यूजीसी के इस फैसले के खिलाफ शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
फाइनल ईयर के एग्जाम्स रद्द कराने के लिए देशभर के विश्वविद्यालयों से करीब 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर आज सुनवाई होनी है.
यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूजीसी से जवाब तलब किया है. अब इसकी अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी.
फाइनल ईयर परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विश्विद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को जवाब देने के लिए कहा है. शुक्रवार, 31 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी.
यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस में 30 सितंबर से पहले फाइनल ईयर के एग्जाम्स कराने के निर्देश दिए गए थे. इन एग्जाम्स को रद्द कराने के लिए देशभर के विश्वविद्यालयों से करीब 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर आज सुनवाई होनी है.
फाइनल ईयर के एग्जाम्स को रद्द करने की मांग को लेकर 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के छात्रों ने याचिका दायर की थी. इसके जरिए स्टूडेंट्स ने मांग की है कि छात्रों की मार्कशीट 31 जुलाई से पहले जारी की जाए.
यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस पर आज जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी. देशभर की यूनिवर्सिटीज से 31 छात्रों ने इसके खिलाफ याचिका दायर की है.
फाइनल ईयर के एग्जाम्स रद्द कराने के लिए देशभर के विश्वविद्यालयों से करीब 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर आज सुनवाई होनी है.
यूजीसी की तरफ से विश्वविद्यालयों के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा अनिवार्य किए जाने के फैसले का इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विरोध किया. इस दौरान छात्र अनशन पर बैठ गए. छात्रों का कहना है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी में ज्यादातर छात्र दूसरे जिलों या प्रदेशों से आकर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में एग्जाम होने पर उन्हें न सिर्फ यहां आना पड़ेगा, बल्कि भीड़ होने पर छात्रों-शिक्षकों और कर्मचारियों में संक्रमण का खतरा भी पैदा होगा.
राज्य सरकार ने पिछले महीने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं और कहा था कि उसे महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत ऐसा करने का अधिकार है. लेकिन यूजीसी ने दलील दी थी कि इन कानूनों को विश्वविद्यालय अनुदान आयुक्त अधिनियम जैसे विशेष कानून के वैधानिक प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता.
UGC ने शुक्रवार को बंबई हाईकोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कोविड-19 महामारी के बीच अंतिम साल की परीक्षाएं निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है. सेवानिवृत्त शिक्षक और पुणे से विश्वविद्यालय सीनेट के पूर्व सदस्य धनंजय कुलकर्णी की याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया गया. याचिका में परीक्षाएं निरस्त करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गयी है.
UGC को 818 विश्वविद्यालयों की प्रतिक्रिया मिली है जिसमें 603 विश्वविद्यालय या तो एग्जाम्स ले चुके हैं या फिर इसकी प्लानिंग कर रहे हैं. इनमें से 209 यूनिवर्सिटीज एग्जाम्स ले चुकी हैं जबकि 394 विश्वविद्यालय ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षाएं कराने की सोच रहे हैं.
अदालत के जरिए एक छात्र ने गुहार लगाई है कि यूजीसी को निर्देश दिया जाए कि वह भी सीबीएसई मॉडल को अपनाए और छात्रों को बिना परीक्षा के उनके इंटरनल असेसमेंट के आधार पर पास करे.
अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देश के सभी विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सिंतबर से पहले आयोजित किए जाएं.
इन छात्रों ने मांग की है कि देकर यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को जारी की गई संशोधित गाइडलाइंस को रद्द किया जाए. साथ ही छात्रों ने ये भी मांग की है कि फाइनल ईयर की परीक्षाएं रद्द करवाकर उनकी पहले की परफॉर्मेंस के बेसिस पर रिजल्ट जारी किया जाए.
फाइनल ईयर के एग्जाम्स रद्द कराने के लिए देशभर के विश्वविद्यालयों से करीब 31 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर आज सुनवाई होनी है.
UGC की संशोधित गाइडलाइंस और फाइनल ईयर एग्जाम्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई की जाएगी.
बैकग्राउंड
UGC Guidelines 2020: फाइनल ईयर परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विश्विद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को जवाब देने के लिए कहा है. शुक्रवार, 31 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी. याचिकाओं में छात्रों के स्वास्थ्य के मद्देनजर परीक्षा आयोजित न करने की दरख्वास्त की गई है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी यूजीसी की उस गाइडलाइन को चुनौती दी गई है, जिसमें देश के सभी विश्वविद्यालयों से 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कर लेने के लिए कहा गया है. प्रणीत समेत देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के 31 छात्रों, कानून के छात्र यश दुबे, शिवसेना की युवा इकाई युवा सेना के नेता आदित्य ठाकरे और और छात्र कृष्णा वाघमारे ने याचिकाएं दाखिल की हैं.
31 स्टूडेंट्स ने दाखिल की है याचिका
कोरोना काल में एग्जाम्स के खिलाख देशभर के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के करीब 31 स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इन छात्रों ने मांग की है कि देकर यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को जारी की गई संशोधित गाइडलाइंस को रद्द किया जाए. इससे पहले यूजीसी ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देश के सभी विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सिंतबर से पहले आयोजित किए जाएं. इन स्टूडेंट्स ने फाइनल ईयर की परीक्षाएं रद्द करवाने के लिए याचिका दायर की है और साथ में ये भी मांग की है कि रिजल्ट उनकी पहले की परफॉर्मेंस के बेसिस पर जारी किया जाए.
छात्रों की ये है मांग
इन स्टूडेंट्स की ये भी मांग है कि छात्रों की मार्कशीट 31 जुलाई से पहले जारी की जाए. जिन स्टूडेंट्स ने याचिका दायर की है उनमें से एक छात्र कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है जिसने अदालत के माध्यम से गुहार लगाई है कि यूजीसी को निर्देश दिया जाए कि वह भी सीबीएसई मॉडल को अपनाए और छात्रों को बिना परीक्षा के उनके इंटरनल असेसमेंट के आधार पर पास करे.
परीक्षाओं का जाना स्टेटस
वहीं इस मामले पर यूजीसी ने कहा है कि बहुत से विश्वविद्यालयों ने उनसे परीक्षाओं का फाइनल स्टेटस जाना है. यूजीसी को 818 विश्वविद्यालयों की प्रतिक्रिया मिली है जिसमें 603 विश्वविद्यालय या तो एग्जाम्स ले चुके हैं या फिर इसकी प्लानिंग कर रहे हैं. इनमें से 209 यूनिवर्सिटीज एग्जाम्स ले चुकी हैं जबकि 394 विश्वविद्यालय ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षाएं कराने की सोच रहे हैं.
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