UGC Guidelines LIVE: परीक्षाओं का हो रहा है जमकर विरोध, राहुल गांधी ने कहा- छात्रों में भ्रम पैदा कर रहा UGC

जब से यूजीसी ने फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराने का फैसला सुनाया है, तभी से स्टूडेंट इस फैसले का खूब विरोध कर रहे हैं. ट्विटर ऐसे मैसेजेस से भरा पड़ा है.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 10 Jul 2020 09:27 PM
UGC के फाइनल ईयर के एग्जाम कराने के फैसले पर आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया है.

राहुल गांधी ने कहा, ''कोविड ने बहुत लोगों को नुकसान पहुंचाया है. स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के हमारे छात्रों को बहुत कष्ट सहना पड़ा है। कोरोना महामारी के बीच परीक्षाएं कराना पूरी तरह अनुचित है.'' उन्होंने आरोप लगाया, ''आईआईटी और कई कॉलेजों ने परीक्षा रद्द कर बच्चों को प्रोन्नति दी है, लेकिन यूजीसी भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है.'' उन्होंने आगे कहा कि UGC को स्टूडेंट्स की आवाज सुननी चाहिए और परीक्षाएं रद्द कर उन्हें उनके पिछले प्रदर्शन के आधार पर प्रोन्नति देनी चाहिए.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को परीक्षाएं रद्द कर विद्यार्थियों को उनके पिछले प्रदर्शन के आधार पर अगले शैक्षणिक सत्र के लिए प्रोन्नत कर देना चाहिएय उन्होंने कांग्रेस की ओर से सोशल मीडिया पर चलाए गए ‘स्पीक अप फॉर स्टूडेंट्स’ अभियान के तहत वीडियो जारी कर यह आरोप भी लगाया कि यूजीसी भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है.
केंद्र सरकार के फैसले के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर में फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की परीक्षाएं कराने का फैसला लिया है. UGC के नए फैसले से महाराष्ट्र सरकार खफा दिख रही है. अब आदित्य ठाकरे ने इस मामले को लेकर ट्वीट किया है. आदित्य ठाकरे का कहना है कि यूजीसी को इस छोटे से मुद्दे को अपने ईगो पर नहीं लेना चाहिए और लाखों छात्रों, टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए.
उन्होंने कहा कि एचआरडी मंत्रालय और यूजीसी के प्रमुख छात्रों की जान की गारंटी लें. उनकी सुरक्षा की गारंटी ले जो एग्जाम में बैठेंगे. क्या इनको देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस की खबर नहीं?
बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) चाहता है कि परीक्षाएं ऑफलाइन मोड में ली जाएं या सितंबर के अंत तक ऑनलाइन ली जाएं, ताकि टर्मिनल-सेमेस्टर और अंतिम वर्ष के छात्रों के शैक्षिक हित को नुकसान न पहुंचे.
कांग्रेस ने कहा कि महामारी ने देश में डिजिटल बंटवारे को उजागर किया है. लाखों छात्र इंटरनेट कनेक्शन और ऑनलाइन पढ़ाई के लिए डिवाइस जैसी सुविधाओं से वंचित हैं और वे परीक्षाओं में बैठते हैं. विपक्षी दल ने पूछा, "ऐसे हालात में छात्रों को परीक्षा के लिए बैठाया जाना क्या उचित है?"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश में इस समय परीक्षाएं आयोजित किए जाने का विरोध करते हुए शुक्रवार को कहा कि छात्रों को पिछले सत्र के प्रदर्शन के अधार पर पास कर दिए जाने की मांग की. देश में कोरोनावायरस के चलते पैदा हालात के मद्देनजर परीक्षाएं रद्द किए जाने के पक्ष में पार्टी की ओर से चलाए जा रहे 'छात्रों के लिए हल्ला बोल' अभियान का समर्थन करते हुए राहुल ने कहा, "कोविड-19 महामारी के दौरान परीक्षाएं संचालित किया जाना बिल्कुल अनुचित है. यूजीसी को छात्रों और शिक्षाविदों की आवाज सुननी चाहिए. परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए और छात्रों को पिछले प्रदर्शन के आधार पर प्रोन्नत किया जाना चाहिए."
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 6 जुलाई को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के संशोधित दिशानिर्देशों को जारी किया था, जिसमें देश की तमाम यूनिवर्सिटी में फाइनल ईयर के एग्जाम को 30 सितंबर तक पूरा करने का आदेश दिया गया था. जिसका विरोध सोशल मीडिया पर लगातार हो रहा है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपना एक वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया है. जिसमें उन्होंने कहा, “कोविड ने बहुत से लोगों को नुकसान पहुंचाया. स्कूल कॉलेजों में हमारे छात्रों को इससे बहुत कष्ट झेलना पड़ा.”

सुनिए इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए राहुल गांधी ने क्या कहा, देखें वीडियो

कोरोनावायरस संक्रमण के मामले लगातार देश में बढ़ रहे हैं. इस बीच यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षाओं को आयोजित कराने के आदेश दिए गए है. इस फैसले का सोशल मीडिया पर लगातार स्टूंडेट्स विरोध कर रहे हैं. छात्र मौजूदा माहौल में परीक्षाओं के आयोजन को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. अब छात्रों की इन मांगों के समर्थन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी उतर आए हैं. राहुल ने यूजीसी से इन परीक्षाओं को रद्द करने की अपील की है.

परीक्षाओं के तहत इन दिशा-निर्देश का पालन करना अनिवार्य होगा. जैसे, स्टूडेंट्स के बीच कम से कम दो मीटर की दूरी होनी चाहिए. दो छात्रों के बीच में एक सीट की खाली रखनी होगी. साथ ही एक क्लासरूम में चार कॉलम होंगे. स्टूडेंट्स के बीच एक सीट की जगह खाली होगी.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा जारी नोटिस के मुताबिक यूनिवर्सिटी एवं महाविद्यालयों की टर्मिनल सेमेस्टर या फाइनल ईयर की परीक्षाओं के अनिवार्य रूप से आयोजन के दौरान दिशा-निर्देश का पालन करना सभी संस्थानों के लिए अनिवार्य है. UGC के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने गुरुवार को कहा था कि अगर हम फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराएंगे तो इससे उनकी डिग्री की वैधता पर एक सवाल उठता है. इस वक्त परीक्षाओं को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है.
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UGC Revised Guideline Live Updates, Latest News on URG: HRD एग्जाम के दौरान इन बातों का रखना होगा ख्याल
एग्जाम के तहत स्टूडेंट्स को कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा जैसे, स्टूडेंट्स के बीच कम से कम दो मीटर की दूरी होनी चाहिए. दो स्टूडेंट्स के बीच में एक सीट की खाली रखनी होगी. इसके अलावा एक क्लासरूम में चार कॉलम होंगे और उनके बीच एक सीट की जगह खाली होगी.
UGC Revised Guideline Live Updates, Latest News on URG: HRD मंत्रालय ने जारी किया SOP
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में फाइनल इयर के एग्जाम पर अभी संशय बना हुआ है. इसी बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने परीक्षा के आयोजन के लिए एसओपी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी कर दिया है.
विश्वविद्यालयों में परीक्षा के दौरान सभी परीक्षा केंद्रों पर हैंड सैनिटाइजर और हैंडवॉश रखा जाना आवश्यक है.
इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले परीक्षक, स्टूडेंट्स और अन्य लोगों का रिकॉर्ड होना चाहिए, जिससे अगर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा सके.
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने कोरोना वायरस महामारी के बीच विश्वविद्यालयों के फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए विस्तृत ब्यौरा यानी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी कर दिया है. गृह मंत्रालय ने पत्र जारी करते हुए कहा कि अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं अनिवार्य हैं. इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंजूर एसओपी के तहत परीक्षाएं कराईं जाएंगी.

बैकग्राउंड

Students Opposing Final Year Exams 2020: कुछ दिनों पहले यूजीसी की रिवाइज्‍ड गाइडलाइंस आने के बाद यह तय हुआ था कि यूनिवर्सिटी की फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी और स्टूडेंट्स को ऐसे ही प्रमोट नहीं किया जाएगा. हालांकि यूजीसी ने इस बाबत सारे सेफ्टी मेज़र्स लेने की भी बात कही पर बावजूद इसके स्टूडेंट्स का विरोध खत्म नहीं हो रहा है. यहां तक की यूजीसी ने जो स्टूडेंट सितंबर की परीक्षा देने के लिए उपस्थित नहीं हो पाते हैं, उनके लिए स्थितियां सामान्य होने पर दोबारा स्पेशल परीक्षा कराये जाने की बात भी कही लेकिन यूजीसी के किसी स्टेमटमेंट का असर स्टूडेंट्स पर नहीं पड़ रहा है न ही वे इन सहूलियतों से खासे खुश दिख रहे हैं. परीक्षा का विरोध करने के लिए उन्होंने टि्वटर को माध्यम बनाया है और इस समय यह सोशल मीडिया साइट परीक्षा न कराने जैसे मैसेजेस से भरा पड़ा है.


कुछ जगहों पर टीचर्स भी कर रहे हैं खिलाफत –


स्टूडेंट्स के साथ ही कुछ जगहों पर टीचर्स भी इन परीक्षाओं के आयोजन का विरोध कर रहे हैं. जैसे दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (DUTA)  ने भी यूजीसी की गाइडलाइंस पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए कहा था कि यह फैसला छात्रों की पूर्ण अवहेलना है. इस बीच ट्विटर पर कुछ ऐसे मैसेज आ रहे हैं जैसे सितंबर में परीक्षा होगी क्योंकि नवंबर में अस्पतालों में बेड खाली हो जाएंगे ताकि स्टूडेंट्स एडमिट हो सकें. कोई कह रहा है कि फाइनल ईयर स्टूडेंट्स के ऊपर ट्रायल करना उचित नहीं और ये परीक्षाएं कैंसिल हो जानी चाहिए. कुछ का कहना है कि बहुत से स्टूडेंट काफी दूर से ट्रैवल करते हैं, उनके लिए खतरा बहुत ज्यादा है आदि. कुल मिलाकर सबकी वजहें अपनी-अपनी हैं पर मांग एक सुर में केवल एक ही है की परीक्षाएं आयोजित न करायी जाएं. यही नहीं ‘से नो टू यूजीसी गाइडलाइंस’ इस माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर नंबर वन ट्रेंड बनकर उभरा है. अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि स्टूडेंट के विरोध का इन परीक्षाओं पर क्या असर पड़ता है क्योंकि यूजीसी ने सोच-विचारकर ही अपना फैसला सुनाया है.


UGC Revised Guidelines 2020: यूजीसी ने रिवाइज्‍ड गाइडलाइंस के साथ ही यूनिवर्सिटी फाइनल ईयर एग्जाम्स के लिए जारी की SOP 

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