समितियों द्वारा विचार किये गए बिंदु
दोनों समितियों ने इस रिपोर्ट में सभी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों की वार्षिक परीक्षा, ऑनलाइन परीक्षा, एकेडमिक सत्र-2020, एवं ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन सहित कई अन्य मुदों से सम्बंधित अपना विचार प्रस्तुत किया है. यूजीसी अब इस रिपोर्ट को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत करेगी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के आधार पर ही यूजीसी इस सम्बन्ध में कोई गाइड लाइन कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के लिए जारी करेगा.
यूजीसी की समिति की रिपोर्ट में क्या है?
विश्वस्त सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालयों और विशेषज्ञों द्वारा जो सुझाव समिति को प्रदान किया गया है वह यह है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए जब तक देश में हालात सुधर नहीं जाते हैं तब तक किसी भी कीमत पर छात्रों को पढ़ने के लिए कक्षाओं में बुलाना अच्छा नहीं होगा क्योंकि इससे छात्रों के बीच फिजिकल डिस्टेंस को मेनटेन करने में समस्या उत्पन्न हो जाएगी.
विश्वविद्यालयों और विशेषज्ञों ने समिति को यह भी सुझाव दिया कि जिन शहरों अथवा जिन जिलों में कोरोना का कोई मरीज नहीं है वहां के छात्रों को लॉक डाउन समाप्त होने के पश्चात आगामी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी हेतु छूट प्रदान कर दी जाय जिससे वे अगले सत्र में प्रवेश हेतु अपनी तैयारी कर सकें.
ऑनलाइन परीक्षा करवाने के परिप्रेक्ष्य में समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि अभी हमारे सभी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के पास ऑनलाइन परीक्षा करवाने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए यह संभव नहीं है. हाँ जिनके पास ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं वे अपनी ऑनलाइन परीक्षा करवा सकते हैं.
समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि ऐसे छात्र जो ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट के पहले तथा दूसरे वर्ष में हैं. उन्हें पिछले सेमेस्टर के आधार पर प्रोन्नत करने के लिए एकेडमिक काउंसिल में एक प्रस्ताव पास किया जाय.
समिति ने ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन पर भी अपने सुझाव यूजीसी को दे दिया है जिसमें समिति द्वारा शैक्षिक सत्र 2020-21 में सिलेबस को पूरा करने के लिए शनिवार एवं रविवार को भी ऑनलाइन क्लासेज सहित एक्स्ट्रा क्लासेज एवं छुट्टियों को कम करने जैसे सुझाव भी दिये गए हैं.
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