SC से UGC ने कहा- सितंबर एंड में परीक्षा देने में असमर्थ स्टूडेंट्स के लिए बाद में आयोजित हों स्पेशल एग्जाम्स
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूजीसी ने कहा कि जिन राज्यों के स्टूडेंट्स सितंबर में फाइनल ईयर के पेपर नहीं दे सकते, उनके लिए बाद में परीक्षा आयोजित की जाए लेकिन परीक्षाएं कैंसिल न हों.
UGC On Final Year Exams 2020: यूजीसी द्वारा कुछ दिन पहले जारी की गयी गाइडलाइंस में यह कहा गया था कि देशभर में कहीं भी फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को बिना परीक्षा के पास न किया जाए और सभी कॉलेज तथा यूनिवर्सिटीज़ सितंबर के अंत तक अपने यहां परीक्षाएं संपन्न करा लें. यूजीसी के इस निर्णय का कई राज्यों ने विरोध किया था, खासकर उन राज्यों ने जहां कोरोना केसेस सबसे अधिक हैं पर यूजीसी ने अपना निर्णय नहीं बदला. अंत में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों ने इसे अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
यहां चल रही सुनवाई में यूजीसी ने अपना पक्ष साफ करते हुये कहा कि, जो राज्य अपने यहां के कॉलेजेस में फाइनल ईयर एग्जाम्स कैंसिल करने या बिना परीक्षा के इन स्टूडेंट्स को प्रमोट करने का प्रस्ताव रखने पर विचार कर रहे हैं, ये यूजीसी की गाइडलाइंस के विरुद्ध है. यूजीसी का कहना है कि ऐसा कतई स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि यूजीसी ने कोरोना की गंभीरता को देखते हुए यह प्रस्ताव जरूर दिया कि जो स्टूडेंट्स किसी कारण से सितंबर अंत में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सकते, उनके लिए माहौल ठीक होने पर फिर से स्पेशल परीक्षा आयोजित की जाए.
महाराष्ट्र और दिल्ली भी पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट –
यूजीसी के इस निर्णय का बहुत सी जगहों पर जमकर विरोध हुआ था. हालांकि काफी विरोध होने के बाद भी यूजीसी अपने निर्णय से पीछे नहीं हटी. यही नहीं एचआरडी मिनिस्टर ने इन विरोधी स्वरों के जवाब में कई बार परोक्ष रूप से ट्वीट आदि के द्वारा संदेश भी दिया कि बिना परीक्षा के स्टूडेंट्स को फाइनल ईयर में पास करना पूरे एजुकेशन सिस्टम के साथ खिलवाड़ करने जैसा है. उन्होंने कहा कि एजुकेशन मॉडल में परीक्षाएं मील का पत्थर होती हैं. इन्हें पास करके ही स्टूडेंट्स को संतोष व आत्मविश्वास प्राप्त होता है.
हालांकि इन बातों का कुछ स्टूडेंट्स पर खास असर नहीं पड़ा और उन्होंने अपना मत ‘राइट ऑफ लाइफ’ के नाम से कोर्ट में रखा. इसमें कहा गया कि परीक्षा से जरूरी स्टूडेंट की जिंदगी है जो कोविड के कारण खतरे में आ सकती है. स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने जिसमें एक कोविड पेशेंट भी है ने कुछ समय पहले एससी में याचिका दायर की थी. इस संबंध में अभी कोई भी अंतिम फैसला नहीं आया है.
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