Russell Group Universities To Use AI: पढ़ाई में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल को लेकर लोगों के विचार अलग-अलग हैं.  खासकर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स और टॉप यूनिवर्सिटीज चैट जीपीटी के विरोध में खड़ी दिखती हैं. हालांकि अब इस नजरिये में बदलाव होता दिख रहा है. यूके की बहुत सी टॉप यूनिवर्सिटीज ने स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए एआई के इस्तेमाल पर मोहर लगा दी है. उन्होंने एक समझौता किया है जिसके तहत एआई का एथिकल यानी नैतिक इस्तेमाल किया जा सकेगा.


इस दौरान इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि इस सुविधा का गलत प्रयोग किसी न हो. कुल मिलाकर एआई से मिलने वाले फायदों को स्टूडेंट्स से साझा किया जाएगा ताकि वे तकनीकी की सहायता से पढ़ाई में और अच्छा प्रदर्शन कर पाएं.


रसेल ग्रुप ने भरी हामी


इन यूनिवर्सिटीज ने एआई के इस्तेमाल को लेकर नियम जारी किए हैं और ये कहा है कि स्टूडेंट और स्टाफ ‘एआई लिटरेट’ यानी एआई के जानकार बनें, ये जरूरी है. इस ग्रुप में बहुत सी बड़ी यूनिवर्सिटीज जैसे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, ब्रिस्टल, डरहम, मैनचस्टर, आदि शामिल हैं. इनका कहना है कि वे कोर्स को इस प्रकार डिजाइन करेंगे ताकि स्टूडेंट्स को इससे मदद मिल सके और वे एआई का बढ़िया इस्तमाल सीख सकें. इस प्रकार वे बहुत से टूल जैसे चैट जीपीटी को भी पढ़ाई के लिए प्रयोग कर पाएंगे.


24 रसेल ग्रुप यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने इस बात के लिए हामी भरी है. इसमें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, इंपीरियल कॉलेज लंदन भी शामिल हैं.


क्या हैं गाइडलाइंस


इस बाबत जारी गाइडलाइंस में मुख्य तौर पर यही कहा गया है कि एआई का प्रयोग सही ढ़ंग से होना चाहिए. स्टाफ, टीचर्स और स्टूडेंट्स सभी इसका इस्तेमाल करें लेकिन बस इस बात का ध्यान रखा जाए कि कोई भी अनैतिक कार्य नहीं होना चाहिए. इंफॉर्मशन का गलत प्रयोग नहीं होना चाहिए. इसके लिए बकायदा स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी जाएगी और परीक्षा से लेकर कोर्स तक इसी अनुसार डिजाइन किए जाएंगे.


कुछ समय पहले एआई को कर दिया गया था बैन


कुछ ही समय पहले की बात है जब यूके की यूनिवर्सिटीज ने एआई और खासकर चैट जीपीटी के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी थी और कहा था कि इससे छात्र नकल करते हैं और काम आसान बना लेते हैं. इतना ही नहीं मार्च 2023 में बहुत सी यूनिवर्सिटीज ने (जिसमें कई रसेल ग्रुप के साथ भी जुड़ी थी) एआई का इस्तेमाल पूरी तरह बैन कर दिया था. वहीं अब ये यूनिवर्सिटी मान रह हैं कि इससे मिलने वाले फायदे छात्रों तक जरूर पहुंचने चाहिए.


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