स्कूल कब और कैसे खोले जाएं, इस पर HRD मिनिस्ट्री ने अभिभावकों से मांगे सुझाव
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस विषय पर अभिभावकों से उनके सुझाव मांगे हैं. स्कूल कब और कैसे खोले जाएं इसके लिए पूरे देश में अभिभावकों से उनके सुझाव मांगे हैं.
नई दिल्ली: देशभर के अभिभावक सरकार को यह राय देंगे कि स्कूल कब खोले जाएं. इसके साथ अभिभावक स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा एवं अन्य विषयों पर भी सरकार को अपने सुझाव दे सकते हैं. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस विषय पर अभिभावकों से उनके सुझाव मांगे हैं. स्कूल कब और कैसे खोले जाएं इसके लिए पूरे देश में अभिभावकों से उनके सुझाव मांगे हैं. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों को एक पत्र लिखा है. इस पत्र के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वह स्कूल पुन: खोले जाने के विषय पर अभिभावकों से उनकी राय जानें.
केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों के लिए जारी किए गए इस पत्र में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा, "अभिभावकों से पूछा जाए कि अभिभावक स्कूलों को दोबारा कब खोले जाने पर सुविधाजनक महसूस करते हैं. अभिभावकों के मुताबिक स्कूलों को अगस्त, सितंबर या अक्टूबर किस महीने में खोला जाना चाहिए."
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने इस पत्र में कहा, "अभिभावकों की स्कूलों से क्या अपेक्षा है. वे क्या चाहते हैं कि स्कूल कब से दोबारा शुरू कर दिए जाएं. स्कूल खोले जाने एवं छात्रों की सुरक्षा से जुड़े विषय पर अभिभावक चाहें तो कोई अन्य फीडबैक अथवा सुझाव भी दे सकते हैं."
केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे 20 जुलाई तक सुझाव हासिल करने के लिए अभिभावकों को ईमेल करें. गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण मार्च में हुए लॉकडाउन से अभी तक स्कूल बंद हैं. स्कूलों को खोले जाने की अभी कोई नई तारीख तय नहीं की गई है.
सीबीएसई द्वारा 10वीं एवं 12वीं कक्षा की शेष रह गई बोर्ड परीक्षाएं भी रद्द कर दी गई. सीबीएसई ने ही सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी सीटीईटी की परीक्षाएं भी निलंबित करने का अहम निर्णय लिया है. विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सेमेस्टर परीक्षाएं एवं फाइनल एग्जाम भी कोरोना वायरस के कारण नहीं लिए जा सके हैं.
कोरोना महामारी संक्रमण को देखते हुए कक्षा 9 से 12 तक छात्रों के सिलेबस में कटौती भी की गई है. मूल अवधारणाओं को बनाए रखते हुए पाठ्यक्रम को यथासंभव 30 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है. पाठ्यक्रम में की गई इस कटौती के बाद कई अध्यायों को मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.
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