UP 69000 Shikshak Bharti: इलाहाबाद उच्च न्यायलय की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किये गए मानकों को ही सही माना है.
इस मामले में जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार ने 03 मार्च 2020 को सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. अब 69000 शिक्षक भर्ती में अहम फैसला सुनाते हुए भर्ती प्रक्रिया को 65% एवं 60% पर ही 03 महीने में पूरा करने का आदेश दिया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह 69000 शिक्षक भर्ती लगभग डेढ़ साल से न्यायालय में पड़ी थी.
यूपी शिक्षक भर्ती: विवाद की मुख्य जड़ यह थी
दिनांक 05 दिसंबर 2018 को 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा हेतु जारी विज्ञापन में सरकार द्वारा कोई स्पष्ट उत्तीर्णांक का जिक्र नहीं होने और भर्ती परीक्षा 06 जनवरी 2019 को संपन्न होने के तुरंत बाद यानी कि 07 जनवरी 2019 को सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम उत्तीर्णांक 65% और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम उत्तीर्णांक 60% निर्धारित करने के कारण ही इस भर्ती परीक्षा में विवाद का मुख्य कारण बना.
सरकार द्वारा निर्धारित किये गए इस मानक के खिलाफ लखनऊ उच्च न्यायालय में अभ्यर्थियों द्वारा कई याचिकायें दाखिल की गयी. लखनऊ खंडपीठ की एकल बेंच ने भर्ती परीक्षा के पश्चात लगाये उत्तीर्णांक को गलत बताते हुए भर्ती प्रक्रिया को 45% और 40% पर करने का आदेश पारित किया था.
एकल बेंच के इस निर्णय के खिलाफ सरकार ने डबल बेंच में अपील कर दिया था और तब से यह भर्ती प्रक्रिया अटकी पड़ी हुई थी. इस शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रदेश के लगभग 04 लाख से ऊपर अभ्यर्थी शामिल हुए थे.
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