यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में अब क्या होगा, कैसे बनेगी मेरिट लिस्ट? यहां है छात्रों के हर सवाल का जवाब
UP Shikshak Bharti 2024: यूपी शिक्षक भर्ती में अब आगे क्या होगा, क्या जो लोग पहले से नौकरी कर रहे हैं, उनकी जॉब जाएगी? जानते हैं इस भर्ती से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब.
UP Shikshak Bharti 2024 New Merit List: उत्तर प्रदेश में 69,000 पदों के लिए हुई शिक्षक भर्ती को हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद रद्द कर दिया गया है. सरकार को नई मेरिट लिस्ट रिलीज करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है. हालांकि ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि नई मेरिट लिस्ट तैयार कैसे होगी. क्या जो कैंडिडेट्स पहले से नौकरी कर रहे हैं, उनकी नौकरी चली जाएगी. इस भर्ती परीक्षा को लेकर कैंडिडेट्स के मन में जो सवाल आ रहे हैं उनके जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
कैसे बनेगी नई मेरिट लिस्ट
कोर्ट के आदेश की बात करें तो नई मेरिट लिस्ट इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर बनेगी.
- सही रिजर्वेशन पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए और नियमों का पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट रिलीज किए जाने का आदेश है.
- नई लिस्ट में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि जितने कैंडिडेट्स को रिजर्वेशन मिलना चाहिए, उन सभी को आरक्षण मिले. (इस बार का बड़ा मुद्दा ये था कि कम कैंडिडेट्स को आरक्षण का लाभ मिला है).
- बोर्ड फिर से चयनित कैंडिडेट्स की लिस्ट तैयार करेगा और जिलेवार नामों की घोषणा की जाएगी. इस काम में समय लगेगा.
- कुछ समय में ऑफिशियल वेबसाइट पर नई मेरिट लिस्ट जारी हो सकती है. वेबसाइट का पता ये है – upbasiceduboard.gov.in.
क्या है पॉलिसी
यूपी गवर्नमेंट के रूल्स और रेग्यूलेशंस के हिसाब से रिजर्वेशन पॉलिसी इस प्रकार है.
- एससी – 21 प्रतिशत
- एसटी – 2 प्रतिशत
- ओबीसी – 27 प्रतिशत
- ईडब्ल्यूएस – 10 प्रतिशत
- पीडब्ल्यूडी – 3 प्रतिशत
- फ्रीडम फाइटर डिपेंडेंट – 2 प्रतिशत
- महिला कैंडिडेट्स – 20 प्रतिशत (हॉर्रिजेंटल रिजर्वेशन).
इसके साथ ही यूपी गवर्नमेंट ने ओबीसी रिजर्वेशन में सब कैटेगरी सिस्टम भी बनाया है. इसके तहत आरक्षण इस प्रकार मिलेगा.
ओबीसी – नॉन क्रीमी लेयर – 14 प्रतिशत
ओबीसी – क्रीमी लेयर – 13 प्रतिशत.
विभाग के लिए फैसला होगा टेढ़ी खीर
कोर्ट ने शिक्षक भर्ती को लेकर तीन महीने का समय दिया है और इस दौरान नई लिस्ट तैयार होनी है. वहीं यूपी के सीएम योगी ने कहा है कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा और पूरी कोशिश की जाएगी कि जिनकी नौकरी है, वो न छिनें. हालांकि ऐसा प्रैक्टिकल ग्राउंड्स पर संभव नहीं दिख रहा है.
जैसा कि सवाल उठा था कि ओबीसी कैटेगरी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए लेकिन भर्ती में केवल 3.86 प्रतिशत को ही आरक्षण मिला है. ऐसे में अगर इन कैंडिडेट्स को सूची में शामिल किया जाएगा तो पुराने कैंडिडेट्स को हटाना ही होगा. कई उम्मीदवारों का कहना है कि कैटेगरी के हिसाब से उनके सही अंक आए थे फिर भी चयन नहीं हुआ. ऐसे में इन्हें लिस्ट में जगह देने पर भी सीटें कम पड़ेंगी.
क्या है संभावित रास्ता
अगर नये कैंडिडेट्स को शामिल करने के लिए पुराने कैंडिडेट्स के नहीं हटाना है तो इन्हें सुप्रीम कोर्ट का रास्ता देखना होगा. अगर वहां से हाईकोर्ट के फैसले के उलट फैसला आता है तो इनकी नौकरी बच सकती है. कोर्ट ने सेशन खत्म होने तक वर्तमान समय में पद पर काम करने वाले कैंडिडेट्स को नौकरी जारी रखने की अनुमति दी है पर लिस्ट रिवाइज होगी तो नौकरी जा सकती है.
लंबा है संघर्ष
कुल मिलाकर इस भर्ती में जो पेंच आड़े आ रहे हैं, उनसे साफ दिख रहा है कि ये संघर्ष लंबा है. हाईकोर्ट का आदेश माना जाता है तो पहले से काम कर रहे कई कैंडिडेट्स को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा और सुप्रीम कोर्ट से (अगर बात वहां तक पहुंचती है) कोई और ऑर्डर पास होता है तो पिछले 6 सालों से चला आ रहा इन कैंडिडेट्स का संघर्ष और लंबा खिंचेगा. कुछ सवालों के जवाब भविष्य के गर्त में हैं.
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