नई दिल्ली: अंग्रेजी नहीं जानने को लेकर किसान के बेटे गोपाल कृष्णन रोनांकी का एक बार मजाक उड़ाया गया था. लेकिन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा-2016 में उन्होंने तीसरी रैंक हासिल कर अपनी क्षमता साबित कर दी है.


प्राथमिक स्कूल के शिक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे 30 साल के गोपाल काफी सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं. वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में अध्यापन करते हैं.


गोपाल करना चाहते हैं समाज के लिए काम
गोपाल ने बताया, ‘‘मैंने देखा कि मेरे माता-पिता रोजी-रोटी के लिए बहुत मेहनत करते थे. मैं हमेशा समाज और अपने परिवार की उन्नति के लिए काम करना चाहता था. इसलिए मैंने सिविल सेवा में जाने का फैसला किया. मैंने कड़ी मेहनत की और आईएएस अधिकारी बनने के लिए इस परीक्षा में कामयाबी हासिल की.’’ गोपाल अखिल भारतीय स्तर पर शीर्ष 20 रैंक में शामिल सिविल सेवा परीक्षा के उन टॉपरों में से हैं जिन्हें केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सम्मानित किया है.


आईएएस अधिकारी बनना था गोपाल का सपना
अंग्रेजी और हिंदी में संवाद करने में कठिनाई महसूस करने वाले गोपाल ने बताया कि वह अपने राज्य और देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले गरीबों के लिए काम करना चाहते हैं.


उन्होंने कहा, ‘‘आईएएस अधिकारी बनना मेरे लिए हमेशा सपना रहा. यह एक सम्मानजनक सेवा है. मैं आंध्र प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र के विकास की दिशा में और काम करना चाहूंगा .’’ गोपाल के भाई ओधुड़ ने बताया कि घर और अपने इलाके में अच्छी शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं नहीं होने क बावजूद उन्होंने किस तरह पढ़ाई की.


अंग्रेजी न जानने पर कभी उड़ा था गोपाल का मजाक
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी के पद पर कार्यरत ओधुड़ ने बताया, ‘‘मेरा भाई गोपाल कृष्ण पढ़ाई में काफी अच्छा रहा है. इसलिए एक बार वह सिविल सेवा की तैयारी के लिए एक कोचिंग में गया था. वहां उसका मजाक उड़ाया गया और कहा गया कि वह परीक्षा में सफल नहीं हो सकता, क्योंकि वह अंग्रेजी या हिंदी नहीं जानता. इसके बाद उसने इस परीक्षा में कामयाबी हासिल करने की ठानी और अपने समर्पण से इसे कर दिखाया.’’ श्रीकाकुलम जिले के पलासा प्रखंड के परासाम्बा गांव के रहने वाले गोपाल ने तेलुगु माध्यम से इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की.


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