UPSC IAS Success Story: यूपीएससी की परीक्षा (UPSC) में सफलता पाने के लिए उम्मीदवार को सही रणनीति की जरूरत होती है. आज हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी की कहानी बताएंगे, जिन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा को तो निकाल लिया. लेकिन उनकी असली परीक्षा सर्विस ज्वाइन करने के बाद शुरू हुई. आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका (Ashok Khemka) एक ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जो अपने ट्रांसफर को लेकर चर्चा में रहते हैं. अब तक की सर्विस में उनका 50 से ज्यादा बार ट्रांसफर किया गया है. अशोक खेमका के ऊपर एक बायोग्राफी भी लिखी गई है. जिसका का नाम है 'जस्ट ट्रांसफर्ड दी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अशोक खेमका'.
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से ताल्लुक रखने वाले अशोक खेमका ने आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से अपनी पढ़ाई की है. वह 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. यदि उनकी सर्विस का औसत निकालें तो करीब 6 महीने में उनका ट्रांसफर हो गया है. आईएएस अशोक खेमका साल 2012 में हरियाणा की हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान सुर्खियों में आए. तब उन्होंने कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra) और रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदे के म्यूटेशन को रद्द करने के आदेश जारी कर दिए थे.
इसका खामियाजा आईएएस अशोक ने ट्रांसफर के रूप में झेला. एक बार तो ऐसा समय आया की एक अधिकारी के तौर पर मिलने वाली सरकारी गाड़ी तक उनसे ले ली गई थी, लेकिन तब भी वह डरे नहीं और उन्होंने पैदल ही घर से ऑफिस और ऑफिस से घर आना-जाना शुरू कर दिया. अशोक खेमका यूपीएससी की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों व अन्य सिविल सेवकों के लिए एक प्रेरणा समान है.
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