UPSC IAS Success Story: जैसे एक क्रिकेट मैच आखिरी गेंद तक खत्म नहीं होता, वैसे ही यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) भी आखिरी प्रयास तक समाप्त नहीं होती. अगर कोई उम्मीदवार इस साल अपना तीसरा, चौथा या आखिरी प्रयास दे रहा है, तो उन्हें डॉ मिथुन प्रेमराज (Dr. Mithun Premraj) की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए. जिन्होंने 4 बार असफल होने के बावजूद अपने आखिरी प्रयास में 12 वीं रैंक हासिल की और आखिरी गेंद पर मैच जीत लिया. जानिए कैसे मिथुन ने आखिरी प्रयास देने का मन बनाया और आईएएस (IAS) बनने का अपना सपना साकार कर लिया.


बचपन से ही काफी मेहनती थे मिथुन
मिथुन ने 12वीं कक्षा के बाद पुडुचेरी में जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) में चिकित्सा का अध्ययन किया. जिसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा भी पूरा किया और डॉक्टर की उपाधि पाई. आपको बताते की मिथुन खुद डॉक्टरों के परिवार से आते है और उनके पिता जाने माने रोग विशेषज्ञ रह चुके हैं. उनकी बहन अश्वथी मुक्कम के केएमसीटी मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजी विभाग में वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर हैं.


कैसे बने आईएएस?
डाक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद मिथुन ने अपने घरवालों से आईएएस (IAS) बनने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद उनके घरवालों ने उनका पूरा साथ दिया और मिथुन अपनी तैयारी में जुट गए. एक साल की तैयारी के बाद मिथुन ने साल 2016 में आईएएस की परीक्षा दी, लेकिन वह इसके असफल रहे. मिथुन ने हार नहीं मानी और परीक्षा के प्रयास देते रहे. वह कई बार आईएएस बनने के पास तो आए लेकिन रैंक हासिल नहीं कर सके. लेकिन पांचवें प्रयास में उन्होंने अपना सपना साकार किया और यूपीएससी परीक्षा में 12 वीं रैंक हासिल की. डॉ मिथुन ने यूपीएससी के इंटरव्यू (UPSC Interview) की तैयारी से पूर्व कोविड वार्ड में भी काम किया था.


UPSC Selection: जानें देश में हर साल कितने IAS अधिकारी बनते हैं और कैसे होता है चयन?


FCI Jobs 2022: फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में निकली 113 पद पर भर्ती, ऐसे होगा उम्मीदवारों का चयन


Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI