UPSC Success Story: डिप्रेशन आज कल इस शब्द से हर कोई वाकिफ है. डिप्रेशन देखने में कोई खतरनाक बीमारी तो नहीं दिखता है, लेकिन यह बीमारी कई लोगों की जान तक ले लेती है, लेकिन कई लोग ऐसे भी होते है जो इससे बाहर निकल कर एक उदाहरण बन जाते हैं. ऐसी ही कहानी एक आईएएस की है. गाजियाबाद के एक गांव में पैदा हुए मनुज जिंदल शुरुआती पढ़ाई करने के बाद देहरादून के एक स्कूल में पढ़ने लगे. स्कूल की पढ़ाई पूरी करते ही उनका चयन एनडीए में हो गया. ट्रेनिंग के पहले टर्म में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन दूसरा टर्म आते-आते वो एंजाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो गए. उनके डिप्रेशन से बाहर आने की कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है.


आईएएस बनने की कहानी 
18 साल की उम्र में मनुज जिंदल की एनडीए में सिलेक्शन हो गया था, लेकिन कुछ ही दिन बाद उन्हें एंजाइटी होने लगी और वे इस बीमारी से लड़ नहीं पा रहे थे. उनके लिए एनडीए ट्रेनिंग एकेडमी में अपना वजूद बचाना मुश्किल हो गया. उन्होंने जब यह दिक्कत घर वालों को बताई तो उन्हे लगा शायद नई जगह है धीरे धीरे सब सही जाएगा, लेकिन मनुज सेटल नहीं हो पाए. सेकंड टर्म आते आते उनके हाथ पैर में चोट लग गई, क्योंकि मानसिक तनाव होने कि वजह से इसका असर उनके शरीर पर भी पड़ने लगा, जिसके बाद उनके बढ़ते डिप्रेशन को देख कर उन्हे अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां 3 से 4 महीने भर्ती रहें और दवाएं खाते रहे.


परिवार ने दिया हमेशा प्रोत्साहन
डिप्रेशन का वजह मनुज खुद समझ नहीं पा रहे थे, ऐसे में उन्हें एनडीए से निकाल दिया गया जिसके बाद उनका परिवार उन्हे घर ले कर आया. उनके पिता और भाई ने उनका हमेशा साथ दिया और हमेशा सकारात्मक माहौल बनाए रखा. मनुज अपनी स्टोरी शेयर करते हुए बताते हैं दरअसल आपके अचीवमेंट से कभी भी आपकी पर्सनालिटी का पता नहीं लगाया जा सकता है. कई बार आप बहुत सक्सेसफुल होते हैं और तब भी आप अपनी जिंदगी में निराश होते हैं. इसलिए सबसे पहले खुद को समझने की कोशिश करनी चाहिए, वहीं अगर आप कभी भी डिप्रेशन का शिकार होते हैं तो इस पर खुलकर बात करें. अगर आप अकेला महसूस कर रहे हैं या किसी बात से परेशान है तो छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढने की कोशिश करें, जैसे अगर आप घर पर रहते हैं तो अपने घर के छोटे बड़े काम खुद करें, किसी जानवर के साथ खेलें, थोड़ा सा वॉक करें अपने शरीर को अपने मन पर हावी ना होने दें. 


एनडीए से आईएएस तक का सफर
मनुज ने एनडीए से वापिस आने के बाद डिप्रेशन से लड़ाई लड़ी और अपने दोस्तों की सलाह पर यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया पढ़ने चले गए, वहां से उन्हें अच्छी नौकरी मिल गई, लेकिन 3 साल काम करने के बाद फिर भारत लौटे. अपने भाई की सलाह पर यूपीएससी का पहला अटेम्प्ट 2014 में दिया, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए. उन्होंने हार नहीं मानी और 2017 ऑल इंडिया 52वीं रैंक प्राप्त की. वर्तमान में वो औरंगाबाद के पास स्थित जालना जिला सीईओ जिला परिषद के तौर पर तैनात हैं. 


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