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​​UPSC Success Story: पैसे ​की ​किल्लत नहीं तोड़ सकी ओम प्रकाश की हिम्मत, ट्यूशन पढ़ाकर पास की यूपीएससी परीक्षा

Success Story of IAS: ओम प्रकाश गुप्ता ने अपनी पढ़ाई के दौरान पिता की मदद की और बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया.

UPSC IAS Success Story: बिहार में तो वैसे प्रतिभा की कमी नहीं है हर वर्ष नए-नए प्रतिभा में बिहार के छात्र अपना परचम लहराते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी छात्र है जो बिना संसाधन के बिना कोई व्यवस्था के अपना मुकाम हासिल कर लेते हैं. उनमें से एक है राजधानी पटना (Patna) के देहाती क्षेत्र के रहने वाले फतुहा प्रखंड के सोनारू गांव निवासी ओम प्रकाश गुप्ता (Om Prakash Gupta). जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) में 339 रैंक लाकर अपने सपनों को साकार किया. ओम प्रकाश ने न सिर्फ यूपीएससी बल्कि बीपीएससी 64वीं में पहला स्थान पाया है.

राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर सोनारु गांव (Sonaru Village) निवासी ओम प्रकाश गुप्ता ने पटना जिले का नाम सिर्फ रौशन ही नहीं किया. बल्कि उसके पीछे छिपी कहानी ने शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को एक नई प्रेरणा भी दी है. ओमप्रकाश फतुहा प्रखण्ड में UPSC कम्पलीट करने वाले पहले छात्र है और BPSC में कुल 1454 छात्रों का चयन में ओम प्रकाश ने पहला स्थान मिला था, जिससे पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ गयी थी. ओम प्रकाश झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी (IAS Officer) हैं.

सरकारी स्कूल से की पढ़ाई  
ओमप्रकाश के पिता विन्देश्वरी एक किराना दुकानदार रहे हैं, वे साइकिल की सवारी से फतुहा बाजार जा कर सामान लाते थे और सोनारू गांव में अपने घर पर ही छोटे से किराना दुकान करके सामान बेचकर अपने परिवार का परवरिश करते थे. अधिकांश लोग अपने बच्चे की अच्छी पढ़ाई के लिए प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाते है. लेकिन ओमप्रकाश (Om Prakash) के घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होने के कारण आठवीं तक गांव के सरकारी स्कूल मे पढ़ाई की. उन्होंने नौंवी, दसवीं की पढ़ाई फतुहां हाई स्कूलसे की और 12वीं तक की पढ़ाई एसकेएमवी से की.

पढ़ाई के दौरान की पिता की मदद
12वीं की पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद उन्होंने पटना से आईआईटी की कोचिंग (IIT Coaching) कर आईआईटी में प्रवेश लिया. इस दौरान सभी क्लास में वह प्रथम स्थान पर रहे. पढ़ाई के दौरान वह अपने पिता की मदद करने के लिए दुकान भी संभालते थे. इस दौरान वह दुकान पर ही पढ़ाई करते थे. ओमप्रकाश के घर में माता पिता के अलावे तीन भाई और दो बहन है. मां सुरवंती देवी के आंख में खुशी के आंसू हैं, वह अपने बीते गरीबी के दिन को याद कर रही हैं. ओमप्रकाश पूरे इलाके में प्रेरणा का स्रोत बन चुका हैं. ओमप्रकाश ने लोगों को यह बता दिया है कि आपके पास कुछ करने की लगन हो तो कम संसाधन में भी आप ऊंचाइयों को छू सकते है.

ट्यूशन पढ़ाकर की पढ़ाई पूरी  
ओमप्रकाश का कहना है कि मेरा सपना यूपीएससी निकालना था, बीपीएससी सेकेंडरी था. लेकिन अब यूपीएससी परीक्षा में सफल होने के बाद सपना साकार हो चुका है. उन्होंने कहा कि आईआईटी की कोचिंग के बाद वह ट्यूशन करके अपनी पढ़ाई को पूरा किए हैं. यूपीएससी परीक्षा के लिए उन्होंने बिहार, राजस्थान, दिल्ली व अन्य जगह रहकर पढ़ाई की. उन्होंने सभी जगह पर ट्यूशन देकर बच्चों को पढ़ाया और उसी पैसे से अपनी तैयारी की. 12वीं पढ़ाई पूरा करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कभी भी अपने माता पिता से पैसे नहीं मांगे.

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