UPSC Success Story : आपने ये पंक्तियां तो जरूर सुनी होगी कि "कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती, नन्ही चींटी जब दाना लेकर चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है, कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती" यह पंक्तियां छत्तीसगढ़ की छोटे से गांव की रहने वाली पूजा साहू पर एकदम सटीक बैठती है. पूजा साहू ने छोटे से गांव से आकर देश की सबसे बड़ी परीक्षा यूपीएससी में 199 रैंक लाकर एक मिसाल पेश की है. जानिए क्या है पूजा साहू की यूपीएससी टॉप करने तक की सफर की कहानी.
छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव मगरलोड में पली-बढ़ी पूजा साहू ने 2021 यूपीएससी परीक्षा में 199वां रैंक लाकर अपने गांव समेत पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है. पूजा साहू जिस गांव में रहती है वह गांव बहुत छोटा सा गांव है. पूजा साहू ने बताया कि उनके गांव में मोबाइल नेटवर्क बड़ी मुश्किल से मिलता है. जब भी किसी से बात करना हो तो छत के ऊपर जाना पड़ता है. ऐसे में इंटरनेट भी उस जगह पर बड़ी मुश्किल से मिलता है और गांव में ही रहकर यूपीएससी की तैयारी करना शुरू कर कर दी थी.
आठवीं तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई
पूजा साहू बताती है कि उनकी पहली से लेकर आठवीं तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूल से हुई थी लेकिन उन्होंने कभी यह ना सोचा कि उनकी पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई है तो वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी नहीं कर सकती है. उन्होंने यह साबित कर के बताया है कि छोटे से गांव के रहने वाले और हिंदी मीडियम में पढ़ने वाले बच्चे भी अगर मेहनत और लगन से किसी भी काम को करने में जुट जाए तो एक ना एक दिन सफलता जरूर मिलती है. और एक बार कदम डगमगयेगा दो बार कदम डगमगाएगा लेकिन उसके बाद में उन्हें सफलता जरूर मिलेगी.पूजा साहू बताती है कि जब यूपीएससी एग्जाम में दो बार फेल हुई तो उसके बाद थोड़ा बहुत उनका मनोबल टूटा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार यूपीएससी की तैयारी करती रही फिर वह समय आया जब यूपीएससी परीक्षा में तीसरी बार उन्होंने पूरे देश में 199वां रैंक लाकर यूपीएससी परीक्षा पास की है.
ये है पूजा की यूपीएससी क्लियर करने तक का सफर
पूजा साहू ने बताया कि उनकी प्रारम्भिक शिक्षा नगर के सरस्वती शिशु मंदिर मगरलोड में हुई है. केसीपीएस से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद रायपुर एनआईटी में बायोमेडिकल से इंजीनियरिंग करने के साथ ही वह दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने लगी. पूजा साहू यूपीएससी की परीक्षा में 2 बार में असफल होने के बाउजूद भी अपने मनोबल को कभी टूटने नही दिया और पूरी लगन से तैयारी करती रही. पूजा बचपन से ही देश के कोने-कोने में जाकर जनता की सेवा करने का सपना बना रखा था. आखिरकार तीसरा अटेम्प्ट में उन्हें सफलता मिल ही गयी. अभी उनका 199वां रैंक आया है.
माता पिता है शिक्षक
पूजा की पिता शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. मां मगरलोड में शिक्षिका है. पूजा बताती है कि पिछले 3 साल से सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर थी सिर्फ पढ़ाई संबंधित चीजें ही मोबाइल में सर्च करती थी.
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