UPSC Success Story : जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्र रामपुरा भाटियान गांव के रहने वाले एक किसान के बेटे का प्रशासनिक सेवा (UPSC) में चयन हुआ है.मां-बाप अंगूठा छाप है लेकिन बेटे ने यूपीएससी परीक्षा पास कर गांव का नाम रौशन किया है. यह कहानी सोहन लाल सियाग की है जिन्होंने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद दिन-रात एक कर मेहनत की और यूपीएससी में चयनित हुए.सोहनलाल ने बताया कि लगातार प्रयास करते रहने से सफलता जरूर मिलती है. . 


तीन बार फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार 
तीन बार यूपीएससी में फेल होने के बाद कोई दूसरा काम करने का मन हुआ. लेकिन जहन में एक सवाल आया कि क्यों ना खुद को एक अंतिम मौका दिया जाए. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए तैयारी के लिए कोई कोचिंग ज्वाइन नहीं किया सका. सोहनलाल ने बताया कि वे लगातार यूट्यूब से 8 घंटे पढ़ाई करते थे और नोट्स बनाते थे, साथ ही उनके भाई उन्हें समझाते थे और कि प्राइवेट नौकरी तो बाद में भी किया जा सकता है. भाई की बात ने उन्हें हौसला दिया और वह तैयारी में जुट गए. वे पहले अटैम्ट में इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हुआ पर वे मायूस नहीं हुए और लगातार तैयारी करते हैं. फिर दूसरे और तीसरे अटैम्ट में वे यूपीएससी प्री क्लियर नहीं कर पाए. आखिरकार चौथे अटैम्ट में उन्हें यूपीएससी में ऑल इंडिया 681वां रैंक हासिल हुई. 


पिता के परिश्रम ने बच्चों को दिलाया मुकाम 
सोहनलाल के पिता गोरधन राम सियाग रामनगर में खेती का काम करते हैं  और उनकी मां मीरा देवी कई बार मनरेगा में मजदूरी कर चुकी हैं. किसान गोरधन राम के 2 बेटे व 2 बेटियां हैं जिनमें एक बड़ा बेटा श्रवणराम साइबर एक्सपर्ट है और इस समय अमेरिका में पीएचडी कर रहा है. वहीं बड़ी बहन बसंत राजस्थान प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रही है और छोटी बहन सुमित्रा स्पेशल में बीएड कर चुकी है और इस समय रीट की तैयारी जयपुर में कर रही है. सोहनलाल ने अपनी स्कूली शिक्षा गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय रामपुरा भाटियान स्कूल में ही की. उसके बाद 11वीं में कोचिंग करने के लिए वह कोटा आ गए और कोटा से आईआईटी मुंबई में सिलेक्शन हो गया.  2018 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की लगातार 4 साल के बाद अब सोहनलाल का चयन यूपीएससी में हुआ है. 
जमीन गिरवी रख बच्चों को पढाया 
सोहनलाल सियाग के पिता गोरधन राम सियाग ने बताया कि बच्चों को पढ़ाने की शिक्षा गुरु से मिली गुरुओं ने सही दिशा दी जिसके कारण बच्चे आगे बढ़ रहे हैं बच्चों को पढ़ाने के लिए प्राइवेट कोचिंग भेजा जिसके लिए  मुझे अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ी. अभी भी ऋण चुकाना बाकी है. 


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