IPS Success Story: यूनिफॉर्म का शौक था इसलिए चुना IPS, एक अख़बार ने जगाई थी जय यादव की उम्मीद
UPSC Success Story: आईपीएस जय (IPS Jay) का कहना है कि कई बार ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि दबाव बढ़ जाता है लेकिन हिम्मत ही सिचुएशन से लड़ने की उम्मीद बढ़ाती है.
UPSC IPS Success: देश में यूपीएससी एग्जाम (UPSC Exam) को सबसे मुश्किल और सर्वश्रेष्ठ परीक्षा कहा जाता है. इस परीक्षा में अधिकतर कैंडिडेट पास नहीं हो पाते. कुछ कैंडिडेट तो पहले ही एटेम्पट में पास हो जाते हैं. हम ऐसे आईपीएस अफसर की कहानी आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने तीन बार यूपीएससी परीक्षा दी और आईपीएस बन गए और आज भारतीय पुलिस सर्विस में अपनी सेवा दे रहे हैं.
2012 बैच के आईपीएस जय यादव (Jay Yadav) वर्तमान में बूंदी एसपी (SP Boondi) पद पर कार्यरत है और पिछले 9 माह से जिले की कमान संभाले हुए हैं. आईपीएस सक्सेस स्टोरी में आईपीएस जय यादव की कहानी इसलिए बता रहे हैं क्योंकि यूनिफॉर्म पहनने का शौक था और उसी से ही आईपीएस (IPS) बनने की ठानी और आईपीएस बन गए. परिवार में छोटे पदों पर पुलिस में थे जो अपनी ड्यूटी की बातें उनसे शेयर किया करते थे जिन्होंने उनकी उम्मीद और बढ़ाई.
परिवार में थे पुलिस वाले, जिन्होंने बढ़ाई उम्मीद
आईपीएस जय यादव (IPS Jay Yadav) 2012 के बैच के आईपीएस है. उन्होंने अपनी सफलता की कहानी के पीछे बताया कि उनके नाना, फूफा, मामा दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल से लेकर एएसआई के पद पर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब मैं छोटा था तो इन्हें देखता था और यह मुझे अपनी दिन भर होने वाली गतिविधियों को बताते थे. उनके सामने एसीपी - डीसीपी ऑफिसर के नाम अक्सर सुनाई देते थे. जब मैं उनसे इन के बारे में पूछता था तो वह कहते थे कि जब भी पुलिस में जाना हो तो आईपीएस की बनना, ऊंचे पदों पर ही रहना.
IPS जय यादव बताते हैं कि उनके परिवार में छोटे पदों पर ही पुलिस के अधिकारी रहे. ऐसे में उन्होंने भी लक्ष्य बनाया कि वह ऊंचे पदों पर पुलिस में अधिकारी बनेंगे. जब हमने आईपीएस जय यादव से सवाल किया कि उन्होंने आईपीएस ही क्यों चुना. उनके पास आईएसएस (IAS) भी तो था. उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से यूनिफॉर्म पहनने का शौक था और जॉब में भी वर्दी ही सब कुछ थी. ऐसे में उन्होंने आईपीएस सेक्शन सुना और आईपीएस बनने की ठान ली.
तीन बार दी परीक्षा
IPS जय यादव हरियाणा (Haryana) के निवासी हैं. वर्ष 2012 में उन्होंने पहले आईएफएस यानी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस का एग्जाम दिया था. उसी साल उन्होंने आईपीएस का एग्जाम दिया. आईपीएस का रिजल्ट बाद में आया उसे पहले वह आईएफएस (IFS) बन गए. जहां उन्होंने आईएफएस में 9 माह तक नौकरी की. बाद में रिजल्ट आने पर वह आईपीएस चुने गए.
2012 में आईपीएस चुनने से पहले उन्होंने तीन बार आईपीएस की परीक्षा दी. जिसमें तीसरी बार में वह सफल हुए. आईपीएस जय यादव ने बताया कि कभी एंट्रेंस तो कभी प्री तो कभी इंटरव्यू में पास होता था. इतनी मेहनत करने के बावजूद भी जब पास नहीं हुआ तो हिम्मत टूट जाती थी. लेकिन अपने जुनून ने मुझे वापस खड़ा किया और लगातार प्रयास करने पर आईपीएस परीक्षा (IPS Exam) में एक ही बार दिए गए अटेंड में तीनों चरण पूरे कर लिए.
सिलेबस का ज्ञान होना जरूरी
आईपीएस जय यादव (IPS Jay Yadav) ने बताया कि किसी भी परीक्षा को देने के लिए पहले उसका सिलेबस का ज्ञान होना जरूरी होता है. साथ में उसके पिछले 10 सालों के पेपर को स्टडी करना जरूरी होता है, ताकि परीक्षा के बारे में पता लगाया जा सके. आईपीएस जय यादव ने कहा कि मैंने मेरे एग्जाम में यही किया. एग्जाम का सिलेबस पता किया और 10 साल पुराने पेपर संभाल कर रखें और उनको स्टडी किया.
IPS यादव बताते हैं कि पहली बार सिविल सर्विस परीक्षा में वह लोग लकी होते हैं जो 3 पार्ट में पास हो जाते हैं. अधिकतर लोग तो फेल ही होते हैं. उनका कहने का मकसद था ताकि यह सभी सर्विस जिम्मेदारी वाली सर्विस होती है. ऐसे में फेल होने पर आपकी हिम्मत का पता लगता है इसमें हिम्मत बहुत जरूरी होती है और गिर कर उठते रहो कभी बुरा समय तो कभी अच्छा समय जरूर आएगा.
अख़बार से दूर हुई भ्रांति
आईपीएस जय यादव ने बताया कि आईएएस-आईपीएस बनने की सोच रखने वाले अभ्यार्थियों को यह भ्रांति होती है कि बड़ा कठिन पेपर होगा, कैसे होगा, मैं पास नहीं हो सकता सहित कई कारण होते हैं. आईपीएस जय यादव ने कहा कि उन्हें भी इस प्रकार के कई सवालों के बीच चिंता सताने लगी थी कि वह कैसे परीक्षा देंगे कैसे पास होंगे.
आईपीएस ने कहा कि वह अपने दोस्तों के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में न्यूज़ पेपर पढ़ रहे थे तो किसी अखबार में आईपीएस कैसे बना जाता है, क्या करना होता है, क्या सवाल होते हैं सहित पूरी जानकारी लिखी हुई थी उसे पढ़कर उनकी यह भ्रांति दूर हुई और उन्होंने आईपीएस बनने की ठान ली. आईपीएस यादव ने कहा कि लोग कहते हैं कि 12 से 18 घंटे पढ़ाई करनी होगी. ऐसा कुछ भी नहीं है, नियमित रूप से आप 7 घंटे पढ़ाई कर सकते हैं उसमें भी दो से तीन बार ब्रेक लिया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि 18 घंटे नियमित पढ़ाई कोई नहीं कर सकता.
बढ़ जाती हैं चुनौती
आईपीएस यादव ने एबीपी न्यूज़ (ABP News) से बातचीत में कहा कि आईपीएस बनने के बाद चुनौतियां बढ़ जाती है. अगला दिन कैसे होगा यह महत्वपूर्ण होता है. कई बार ऐसी सिचुएशन आ जाती है कि दबाव बढ़ जाता है लेकिन हिम्मत ही परिस्थिति से लड़ने की उम्मीद बढ़ाती है.
आईपीएस यादव बताते हैं कि हमारी ट्रेनिंग से लेकर इंटरव्यू तक हमें यह सिखा दिया जाता है कि नौकरी करने से पहले कितना दबाव आता है और कितना काम, उसी हिसाब से हमें जिले की जिम्मेदारी दी जाती है. क्योंकि एक लीडर को फैसले लेने होते हैं और उसकी जवाबदेही हम हैं. वह कहते हैं कि डिसीजन लेना ही पड़ता है सही हुआ तो अपने कर्तव्य के प्रति जवाबदेही सही होगी यदि गलत हुआ तो जिम्मेदारी खुद की होगी. उन्होंने कहा कि आईपीएस बनने के बाद जिले की कानून व्यवस्था में प्रतिदिन चुनौतियां बढ़ जाती है.
दो रेपिस्ट को दिलाई फांसी
आईपीएस यादव ने बताया कि वह 2013 में ट्रेनिंग करने के बाद एसएसपी ब्यावर, गंगानगर, कोटा एसीबी में रह चुके हैं. एडीसी गवर्नर राजस्थान भी रहे हैं. इसी तरह राजस्थान के सिरोही, डूंगरपुर, आरएसी कोटा एसपी रहे हैं. उन्होंने बताया कि बूंदी जिले में पोस्टेड होने के बाद बूंदी में एक नाबालिग को दरिंदों रेप कर मार दिया था. हमने बेहतरीन पुलिसिंग करके दो आरोपियों को पकड़ा और 125 दिन में उसके चालान पेश कर दोनों आरोपियों को एक साथ फांसी की दिलवाई. इसी तरह बूंदी में एसपी जय यादव ने दलितों के साथ होने वाले दूर व्यवहार व घोड़ी पर उतारने की घटनाओं को खत्म करने के लिए ऑपरेशन समानता भी चलाया जो राजस्थान में चर्चित रहा.
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